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अपने फैसले, खुद करें साइरसः रतन टाटा

टाटा घराने के पर्याय रहे रतन टाटा की अपने उत्तराधिकारी साइरस मिस्त्री को सीधी सरल सलाह है, ‘अपने फैसले खुद करो.’ रतन टाटा दो सप्ताह बाद ही 100 अरब डालर के टाटा घराने के प्रमुख पद से हट रहे हैं और मिस्त्री उनकी जगह लेंगे.

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रतन टाटा
रतन टाटा

टाटा घराने के पर्याय रहे रतन टाटा की अपने उत्तराधिकारी साइरस मिस्त्री को सीधी सरल सलाह है, ‘अपने फैसले खुद करो.’ रतन टाटा दो सप्ताह बाद ही 100 अरब डालर के टाटा घराने के प्रमुख पद से हट रहे हैं और मिस्त्री उनकी जगह लेंगे.

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टाटा ने इस धारणा को खारिज कर दिया कि उनके सेवानिवृत्त होने के बाद उनके आभा मंडल का असर उनके उत्तराधिकारी पर रहेगा. उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि किसी पर अपना असर या अपनी छाया कायम रखना सही होगा.’ रतन टाटा 28 दिसंबर को 75 साल की आयु पूरी होने पर सेवानिवृत्त हो रहे हैं. उनके उत्तराधिकारी मिस्त्री उनसे 31 साल छोटे हैं. टाटा की मिस्त्री को सलाह है, ‘आप अपने फैसले खुद करें और आपको वही फैसले करने चाहिए जो आप करना चाहते हैं.’

टाटा ने बांबे हाउस में अपने कार्यालय में टाटा ग्रुप के साथ बीते अपने 50 सालों के बारे में बात की. इनमें से 21 साल वे टाटा ग्रुप के चेयरमैन रहे हैं. उन्होंने इस दौरान की उपलब्धियों और विफलताओं की चर्चा की तथा सेवानिवृत्ति के बाद की योजनाओं पर भी बात की.

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टाटा से जब पूछा गया कि क्या उन्होंने मिस्त्री को सफलता का कोई मंत्र दिया है? उनका कहना था, ‘नहीं, मैंने उन्हें वही बात कही जो मैंने जेआरडी से कमान संभालते समय खुद से कही थी. किसी की भी पहली प्रतिक्रिया जेआरडी टाटा बनने की थी क्योंकि आप उनके पदचिन्हों पर चल रहे हैं. मैंने तत्काल खुद से कहा, ‘मैं कभी भी ऐसा नहीं कर सकता.’ मैं उनकी कितनी भी नकल करने की कोशिश करूं वैसा नहीं बन सकता. इसलिए मैंने खुद जैसा ही बनने तथा जो मुझे सही लगे वही करने का फैसला किया. यही मैंने साइरस को बताया है.’ मिस्त्री इस समय टाटा ग्रुप में वायस चेयरमैन हैं और वे टाटा के साथ मिलकर काम कर रहे हैं ताकि इस शीर्ष स्तर पर इस बदलाव को सुचारू ढंग से अमली जामा पहनाया जा सके. टाटा ग्रुप का कारोबार आटोमाबाइल, आईटी, होटल तथा चाय से लेकर इस्पात तक और 80 देशों में फैला है.

नेतृत्व परिवर्तन के दौर में मिस्त्री ने उनसे समय-समय पर पूछा था, ‘ये ठीक है या फिर वह ठीक है.’ उन्होंने कहा था कि उन्हें चीजों को इस तरह देखना चाहिए जैसे कि मैं यहां नहीं हूं क्योंकि आपको अपना फैसला कुछ करना चाहिए.

टाटा ने मिस्त्री से कहा था, ‘यदि आप मेरी राय चाहते हैं तो मैं दूंगा लेकिन आपको खुद फैसला करना चाहिए और अपने तरीके से सोचना चाहिए और सिर्फ इस तरह सोचना चाहिए कि जो भी फैसला आप करेंगे और जो भी पहल करेंगे उसे जनता की नजर से गुजरना है.’ उन्होंने कहा कि यह परीक्षा उन्होंने खुद भी दी है. उन्होंने कहा, ‘यदि यह जनता की नजर में ठीक है तो आगे बढ़ें. लेकिन यदि यह जनता की नजर में खरा नहीं उतरता, तो न करें.’

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यह पूछने पर कि क्या वे परामर्श के लिए अपने उत्तराधिकारी के लिए उपलब्ध होंगे टाटा ने कहा, ‘हां निश्चित तौर पर. वह जानते हैं कि वह मुझसे कहां संपर्क कर सकते हैं और दरअसल कंपनी से विदा लेने के बाद हम कारोबार पर बात करेंगे और संपर्क में बने रहेंगे.’ उन्होंने खुलासा किया कि, ‘हर दो हफ्ते बाद खाने पर साथ बैठेंगे और उस विषय पर बात करेंगे जिस पर वह बात करना चाहते हैं.’

टाटा इस समूह के उन विभिन्न ट्रस्टों यानी न्यासों के अध्यक्ष बने रहेंगे जिनकी टाटा सन्स में 66 फीसद हिस्सेदारी है. उनसे यह पूछने पर कि क्या इस तरह इस समूह पर उनका बहुत प्रभाव नहीं रहेगा? उन्होंने कहा, ‘मैं यह नहीं कहना चाहता कि मेरा इस समूह पर बहुत असर रहेगा. मुझे लगता है कि मुझे दूसरी जिम्मेदारी उठानी होगी, बहुलांश हिस्सेदार की. उसी तरह का रवैया जैसा कि किसी शेयरधारक का हो सकता है न कि कंपनी के चेयरमैन का.’ उन्होंने कहा, ‘मुझे कंपनी के परिचालन या कंपनी अपनी वृद्धि के बारे में क्या फैसले करती है, इसमें शामिल नहीं होना चाहिए. लेकिन इसके साथ ही मुझे अपने शेयरों पर मिलने वाले रिटर्न की चिंता होनी चाहिए क्योंकि यही आय तो ट्रस्टों को मिलनी हैं.’

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उन्होंने कहा टाटा संस से मिलने वाला लाभांश ट्रस्टों के कल्याणकारी कामों के लिए लगाया जाएगा, ‘इसलिए मुझे उसकी रक्षा करनी चाहिए.’ ग्रुप के भविष्य के बारे में चर्चा करते हुए टाटा ने कहा कि व्यक्तिगत रूप से वह मानते हैं कि यह ‘फलता फूलता रहेगा.’ उन्होंने कहा, ‘इसकी वृद्धि कहां तक होगी, मुझे लगता है कि साइरस मिस्त्री को यह तय और परिभाषित करना होगा कि वह इसे कहां तक बढ़ाना चाहते हैं.’ उन्होंने कहा कि शीर्ष पद पर उनका 20 साल का कार्यकाल इसका पथ तय करने के लिए पर्याप्त समय था. प्राय: किसी संगठन ने एक पथ अपनाया और अब अलग दिशा में जाने को तैयार है. उन्होंने कहा कि जब आप अपने संगठन में नई पीढी को लाते हैं तो वह चीजों को अलग ढंग से देखती है.

टाटा ने कहा कि टाटा ग्रुप उसी तरह उत्तरोत्तर वृद्धि करना जारी रखेगा जिस तरह वह अब तक हासिल करता रहा है लेकिन उन्होंने आगाह किया, ‘प्रतिस्पर्धा लगातार बढ रही है और कारोबार में बने रहना अधिक से अधिक कठिन होता जा रहा है. इसलिए मुझे विश्वास है कि साइरस नये विचार और नयी चीजें लाएंगे. मुझे पूरा विश्वास है कि संगठन तथा नेतृत्व विकास करता रहेगा.’

यह पूछने पर कि टाटा समूह में वह कौन से बदलाव नहीं कर पाए, टाटा ने कहा कि वह ज्यादा पारदर्शी होना चाहते थे, समरूपता वाला संगठन बनाना चाहते थे जहां ज्यादा वर्गीकरण (बड़े और छोटे अधिकारियों का भेद) न हो, जहां सभी स्तरों पर अनौपचारिक कामकाजी संबंध हों.

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टाटा ने कहा, ‘हमारे यहां बड़े और छोटे अधिकारियों में बहुत अधिक भेद है, वर्ग स्तर पर नहीं बल्कि लंबे अनुभव के आधार पर हम एक दूसरे के पैर नहीं छूते लेकिन हम लगभग हर बार किसी बड़े अधिकारी को गुजरते देखकर अदब से झुक जाते हैं.’ अपने लंबे कार्यकाल को ‘ज्ञान यात्रा’ करार देते हुए टाटा ने कहा कि उनके पास श्री जे आर डी टाटा जैसा एक आदर्श व्यक्तित्व था जिन्हें इस समूह के जुड़ने के बाद उन्हें छह साल तक जानने का मौका मिला. वह उन्हें जानते थे लेकिन वह उनके करीब नहीं थे और वे एक दूसरे के करीब आ सके क्योंकि वे दोनों पायलट थे. उन्होंने टाटा परिवार के इस वरिष्ठ सदस्य के बारे में कहा, ‘मैं 17 साल की उम्र से विमान उड़ा रहा था और जब वह जमशेदपुर आए तो देखा कि उनकी और मेरी जो एक पसंद थी वह थी विमान उड़ाना.’

टाटा ने कहा, ‘अब उम्र के इस पड़ाव पर मैं उस बात को समझ पा रहा हूं जो मुझसे कही गई थी कि ‘आपको सब्र रखना है और हो सकता है कि चीजें उस तरह न हों जैसा कि आप चाहते हों.’

इस 144 साल पुराने इस समूह के साथ अपने जीवन के बारे में टाटा ने कहा, ‘कुल मिलाकर यह बेहतरीन अनुभव रहा. मैंने उन मूल्यों और नैतिक मानकों को बरकरार रखने की कोशिश की जो वहां पहले से थे.’ उन्होंने कहा, ‘मुझे संतोष है कि मैंने वह किया जिसे मैं सही समझता था और जो वहां पहले से था.’ टाटा ने कहा कि अपने कार्यकाल में वे अनेक बार कुंठा या खीझ भरी घटनाओं से दोचार भी हुए.

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ऐसी ही एक घटना का ज्रिक करते हुए उन्होंने कहा कि टेल्को की फाउंडरीज में अपने पहले कार्यकाल के दौरान उन्होंने किसी से पूछा कि ‘यह सब एक ही तरीके से क्यों किया जा रहा है’ तो किसी ने जवाब दिया, ‘हम इसी तरीके से करते रहे हैं और यही सबसे बढिया तरीका है.’ यह पूछे जाने पर कि क्या ग्रुप में इसमें अब कुछ बदलाव आया है, टाटा ने कहा, ‘मैंने बदलने की कोशिश की. मैं लोगों से लगातार कहता रहा हूं कि वे उन चीजों पर सवाल उठायें जिन पर अब तक सवाल नहीं उठा. वे नये विचारों, काम करने के नये तरीकों को सामने लाने में संकोच नहीं करें.’

उन्होंने कहा, ‘कुछ बदलाव हुआ है. अगर मैं यह कहूं कि वास्तव में सबकुछ बदल गया तो मैं झूठा और मगरूर होऊंगा. कुछ हिस्से हैं जो बदल गए हैं बाकी कुछ भाग पहले की तरह ही बने हुए हैं.’

साल 1991 में चेयरमैन बनते समय क्या उन्होंने कोई लक्ष्य तय किए थे, यह पूछे जाने पर टाटा ने कहा, ‘ग्रुप का पुनर्गठन करते हुए एक बुनियादी लक्ष्य, इसे अधिक एकीकृत करना था जहां कम कंपनियां व गतिविधियां हों. लेकिन हम इसमें अधिक सफल नहीं रहे.’

टाटा ने टाटा आयल मिल्स (टोमको) को बेचने के अपने शुरुआती प्रयास का ज्रिक किया. उन्होंने कहा कि यही उनका अंतिम बड़ा पुनर्गठन प्रयास था. यह संभवत एक ऐसा क्षेत्र था जिसमें मैंने अपने लिए लक्ष्य तय किए और विफल रहा.

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टाटा का मानना है कि लोग सेवानिवृत्ति के बाद ऐसी चीजें करना चाहते हैं जो वे हमेशा करना चाहते थे. यह पूछने पर कि ऐसा क्या है जो वह क्या करना चाहते थे और नहीं कर सके, टाटा ने कहा, ‘मिसाल के तौर पर मैं प्रौद्योगिकी के साथ और वक्त गुजारना चाहूंगा जिससे मुझे बहुत लगाव है. वास्तुविद के तौर पर एक बार फिर से इस पर काम करना चाहूंगा.’ उन्होंने कहा, ‘दरअसल मैं यह आज भी करता हूं लेकिन जो मैं ड्राइंग बोर्ड पर करता हूं उसे अब अमल में ला सकूंगा. फिर पियानो जैसी चीज जिसे मैंने तब सीखा था जबकि मैं नौ साल का था. उसके बाद से मैंने इसे बजाया नहीं है और अब मैं फिर से पियानो बजाना सीखना चाहूंगा.’

विमान उड़ाने का लाइसेंस प्राप्त टाटा ने इससे से लगाव के बारे में कहा, ‘जब मैं विमान उड़ा पाने की स्थिति में नहीं होऊंगा तो वह मेरे लिए दुखद समय होगा.’ स्कूबा डाइविंग जैसे अन्य शौक के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, ‘मैंने यह करीब चार साल पहले छोड़ दिया क्योंकि इससे मेरे कान के पर्दे को कई बार नुकसान पहुंचा.’ बीएमडब्ल्यू और लैंड रोवर बनाने वाले टाटा समूह के अध्यक्ष से यह पूछने पर कि उन्होंने अब तक कौन सी सबसे अच्छी कार चलाई है उन्होंने कहा, ‘मुझे दो-तीन कारें पसंद हैं लेकिन अब तक जो भी कारें मैंने चलाई हैं उनमें प्रभावशाली कार के लिहाज से फरारी बेहतरीन है.’

कोई उन्हें अपने जीवन में किसी भी बात का अफसोस है? टाटा ने कहा, ‘नहीं, मैं पीछे मुड़ कर देखना पसंद नहीं करता. यदि मुझे फिर से जीवन जीना पड़े तो कई चीजें हैं जो मैं दूसरे तरीके से करना चाहूंगा. लेकिन मैं पीछे मुड़कर देखना या यह सोचना पसंद नहीं करता कि मैं क्या नहीं कर पाया.’ यह पूछने पर कि वह टाटा समूह में विरासत के तौर पर क्या छोड़ जाना चाहेंगे उन्होंने कहा, ‘जिस मूल्य और नैतिकता के साथ मैंने जीवन जिया उसके अलावा एक साधारण सी विरासत छोड़ना चाहूंगा, वह यह कि मैंने उन चीजों के लिए हमेशा आवाज उठाई है जिन्हें मैंने सही समझा और मैंने हरसंभव निष्पक्षता और बराबरी का व्यवहार किया.’

विश्व के सबसे प्रभावशाली उद्योगपतियों में शुमार टाटा के संरक्षक ने कहा, ‘मैंने इस दौरान कुछ लोगों को दुखी किया होगा लेकिन मैं चाहता हूं कि लोग मुझे ऐसे व्यक्ति के तौर पर देखें जिसने किसी भी परिस्थिति में बगैर समझौता किए सही काम किया.’

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