scorecardresearch
 

सिंगूर पर समाधान के नए रास्ते तलाश रहा है बंगाल

कलकत्ता उच्च न्यायालय के फैसले के मद्देनजर पश्चिम बंगाल की सरकार ने कहा कि सिंगूर में ‘अनिच्छुक किसानों’ को जमीन वापस करने करने के लिए कानूनी रास्ते के साथ ही कुछ अन्य रास्तों को तलाश कर रही है.

Advertisement
X
ममता बनर्जी
ममता बनर्जी

कलकत्ता उच्च न्यायालय के फैसले के मद्देनजर पश्चिम बंगाल की सरकार ने कहा कि सिंगूर में ‘अनिच्छुक किसानों’ को जमीन वापस करने करने के लिए कानूनी रास्ते के साथ ही कुछ अन्य रास्तों को तलाश कर रही है.

Advertisement

राज्य के उद्योग मंत्री पार्थ चटर्जी ने कहा, ‘कानूनी रास्ते को खुला रखते हुए हम इस बात पर विचार कर रहे हैं कि सिंगूर भूमि गतिरोध मामले को हल करने के लिए कोई और रास्ता निकाला जाए.’

मंत्री ने इस बारे में कुछ भी कहने से इंकार कर दिया कि उनके ‘दूसरा रास्ता’ कहने का क्या मतलब है, हालांकि उन्होंने कहा, ‘राज्य सरकार अनिच्छुक किसानों को जमीन लौटाने के लिए प्रतिबद्ध है.’

चटर्जी ने कहा, ‘लोगों को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी में पूरा भरोसा है और हम सभी दरवाजे खुला रखे हुए हैं.’ इससे पहले पश्चिम बंगाल के कृषी मंत्री रविंद्रनाथ भट्टाचार्य ने कहा कि सिंगूर मामले में टाटा के साथ बातचीत करने में उन्हें कोई नुकसान नहीं दिखता.

गौरतलब है कि कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 23 जून को दिए फैसले में सिंगूर जमीन पुनर्वास एवं विकास कानून, 2011 को संवैधानिक तौर पर अवैध करार दिया.

Advertisement

सिंगूर से विधायक भट्टाचार्य ने कहा, ‘मेरी व्यक्तिगत राय यह है कि टाटा के साथ बात करने में कोई नुकसान नहीं है. हम इस बारे में पहले भी बात कर चुके हैं. वे (टाटा) 600 एकड़ पर अपना काम करें और 400 एकड़ जमीन किसानों को लौटा दें.’

उन्होंने ‘राइटर्स बिल्डिंग्स’ में संवाददाताओं से कहा, ‘हमारी लड़ाई टाटा के साथ नहीं है. हमारा लक्ष्य प्रभावित किसानों के हितों की रक्षा करना है.’ उधर, राज्यपाल एम के नारायणन ने कहा कि उन्हें ऐसा लगा कि सिंगूर से जुड़े कानून को राष्ट्रपति की मंजूरी की जरूरत नहीं है.

उन्होंने एक आयोजन से इतर संवाददाताओं से कहा, ‘मुझे लगा कि हमें राष्ट्रपति की मंजूरी की जरूरत नहीं होगी. वह कानूनी सलाह भी थी.’ उन्होंने कहा, ‘अगर उच्च न्यायालय का अलग सोचना है, तो यह ठीक है. हम क्या कर सकते हैं?’

माकपा नेता एवं सीटू (भारतीय ट्रेड यूनियन केंद्र) के राज्य प्रमुख श्यामल चक्रवर्ती ने कहा, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि राज्यपाल को कानूनी तौर पर सही सलाह नहीं दी गई. मुझे नहीं मालूम कि राज्यपाल के सलाहकार कौन हैं.’

Advertisement
Advertisement