एक ओर आम आदमी महंगाई की मार से दोहरा हुआ जा रहा है तो वहीं दूसरी ओर संसद सदस्यों के वेतन भत्तों में बढ़ोतरी करने के लिए केन्द्र सरकार सोमवार से शुरू होने वाले संसद के मानसून सत्र में एक महत्वपूर्ण विधेयक लाने जा रही है. यह विधेयक सरकार के कामकाज के एजेंडा में शामिल है.
मानसून सत्र में महत्वपूर्ण विधायी कामकाज में विवादास्पद असैन्य परमाणु जवाबदेही विधेयक तथा न्यायिक मापदंड और जवाबदेही विधेयक प्रमुख हैं लेकिन महिला आरक्षण विधेयक को लेकर अभी भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है जिसे राज्यसभा काफी पहले मंजूर कर चुकी है. सांप्रदायिक हिंसा निषेध विधेयक भी सरकार की कार्यसूची में प्रमुख स्थान रखता है.
इस विधेयक पर सोनिया गांधी की अगुवाई वाली राष्ट्रीय सलाहकार परिषद विचार विमर्श कर चुकी है. यही हालत स्थानीय इकाइयों में महिलाओं के 33 फीसदी आरक्षण को बढ़ाकर 50 फीसदी करने वाले विधेयक की भी है. इस बीच, संयुक्त संसदीय समिति द्वारा सिफारिश किए जाने के बाद सांसदों के वेतन भत्तों में वृद्धि करने के लिए एक मसौदा विधेयक तैयार किया जा रहा है. समिति ने सांसदों के वेतन को 16 हजार रुपये प्रति माह से बढ़ाकर 80,001 करने की सिफारिश की थी. यह वेतन केन्द्र सरकार के सचिव के वेतन से एक रुपया अधिक है. {mospagebreak}
लोकसभा के 545 और राज्यसभा के 250 सांसदों के वेतन भत्तों में अंतिम बार वृद्धि करीब दस साल पहले की गयी थी. सरकारी कर्मचारियों के लिए छठा वेतन आयोग जनवरी 2006 से प्रभाव में आया था. कांग्रेस के चरण दास महंत की अध्यक्षता वाली समिति ने संसद सत्र के चालू रहने के दौरान सांसदों के दैनिक भत्ते को एक हजार रूपये से बढ़ाकर दो हजार रुपये प्रति माह करने की भी सिफारिश की है.
समिति ने निर्वाचन क्षेत्र भत्ते और कार्यालय भत्ते को भी बढ़ाए जाने का सुझाव दिया है. संसदीय कार्य मंत्री पवन कुमार बंसल ने महीने भर चलने वाले मानसून सत्र में सरकार के कामकाज के बारे में फैसला करने के लिए विभिन्न मंत्रालयों तथा विभागों के सचिवों के साथ एक बैठक की.
मानसून सत्र में विमान अपहरण विरोधी (संशोधन) विधेयक 2010 तथा रसायनिक हथियार समझौता (संशोधन) विधेयक को भी शीर्ष प्राथमिकता वाले विधेयकों की सूची में शामिल किए जाने की संभावना है. विमान अपहरण रोधी विधेयक में अपहर्ताओं को कड़ी सजा दिए जाने का प्रावधान किया गया है. लोकसभा और राज्यसभा में इस समय करीब 110 विधेयक पारित होने के इंतजार में हैं और महिला आरक्षण विधेयक को इस प्राथमिकता सूची में जगह नहंी मिल पायी है. {mospagebreak}
इस समय एक संसदीय समिति असैन्य परमाणु जवाबदेही विधेयक की पड़ताल कर रही है. विधेयक को बजट सत्र के अंतिम दिन पेश किए जाने के स्तर पर ही वाम दलों और भाजपा की ओर से कड़े प्रतिरोध का सामना करना पड़ा था.
न्यायिक मापदंड और जवाबदेही विधेयक का मकसद न्यायिक मापदंडों को तय करना तथा उच्चतम न्यायालय या उच्च न्यायालय के किसी न्यायाधीश के ‘र्दुव्यवहार या अक्षमता’ की शिकायत से निपटने के लिए किसी तंत्र की स्थापना करना है. इसमें जजों की संपत्ति तथा देनदारियों का खुलासा करने का भी प्रावधान किया गया है. विधि मंत्री एम वीरप्पा मोइली ने हाल ही में कहा था कि वह न्यायपालिका को उसकी भूल चूक तथा ‘भ्रष्टाचार पर शंकाओं को साफ’ करने के लिए ‘जवाबदेह’ बनाएंगे.