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हवाला तिजोरियों से निकली कालिख

प्रवर्तन निदेशालय के जासूसों ने दिल्ली में एक निजी लॉकर फर्म पर छापा मारा, जहां अमीर और प्रभावशाली लोग अपना काला धन सफेद बनाने के लिए रखते थे. लेकिन सरकार ऐसे बड़े लोगों के नाम उजागर नहीं कर रही, जिनका पैसा विदेश भेजा जा रहा था.

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हवाला कारोबार
हवाला कारोबार

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के गुप्तचरों ने  22 जून की आधी रात को एक गुप्त सूचना के आधार पर दिल्ली में निजी लॉकर सेवाएं देने वाली एक कंपनी सीपी वॉल्ट्स पर छापा मारा. मौके पर मौजूद गार्डों से कहा गया कि वे कंपनी के अधिकारियों को बुलाएं. उनके आने पर ईडी ने जांच के लिए 15 लॉकर खोले. 10 करोड़ रु. नकद बरामद किए गए और ईडी अधिकारियों ने लॉकर सील कर दिए.

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बाद में, प्रेस कॉन्फ्रेंस में ईडी अधिकारियों ने सीपी वॉल्ट्स के मालिक पंकज कपूर को काले धन को सफेद करने वाले भारत के सबसे बड़े धंधेबाजों में से एक बताया.

ईडी ने दावा किया कि बरामद पैसा आटे में नमक के बराबर है, पर उसने कपूर के ग्राहकों के नाम उजागर करने से महज यह कहते हुए इनकार कर दिया कि वे ''प्रभावशाली राजनेता और उद्योगपति हैं.'' ईडी के उपनिदेशक राजेश्वर सिंह ने कहा, ''जांच जारी है. हम नामों का खुलासा नहीं कर सकते. मामला संवेदनशील है.''

आभूषण व्यवसायी परिवार के कपूर के खिलाफ विदेशी मुद्रा प्रबंधन कानून (फव्मा) के तहत मामला दर्ज किया गया है. खुद को हीरा व्यापारी बताते हुए उसने हीरों पर पॉलिश करने के लिए ज्‍यादा रकम के चालान वाले और फर्जी बिल पेश किए ताकि बैंकों से दुबई, हांगकांग, लंदन और सिंगापुर के 'संदिग्ध खातों में' पैसा भेज सके. अपने ग्राहकों से नकदी इकट्ठी करके वह अपने लॉकरों में रख देता था. लॉकरों से बरामद किए गए दस्तावेजों से ईडी अधिकारियों को इस नतीजे पर पहुंचने में मदद मिली कि आप्रवासी भारतीय कपूर काले धन को सफेद करने का धंधा चला रहा था, जिसका वार्षिक कारोबर लगभग 5,000 करोड़ रु. का था. दस्तावेजों से पुष्टि हुई कि इस साल जुलाई तक कपूर 1,000 करोड़ रु. को काले से सफेद धन में बदल चुका था. नकदी देकर ले जाओ
काले धन को सफेद करने वाले वैध मार्गों का इस्तेमाल करने के तरीके खोज रहे हैं.

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परंपरागत तरीका
1. हवाला लेनदेन अवैध होते हैं, बैंक सारे वैध लेनदेन का रिकॉर्ड रखते हैं.
2 ऑपरेटर किसी ग्राहक से पैसे जमा करता है और फिर जहां पैसा देना है, उस शहर में अपने साथी को फोन करता है. 0.5 से लेकर 1 प्रतिशत तक का कमीशन काटकर पैसा दे दिया जाता है.

आधुनिक तरीका
1. काले धन को सफेद करने वाले मझेले और बड़े स्तर के धंधेबाजों ने कारोबार का विस्तार सोने और हीरे में कर दिया है, ताकि वैधता पा सकें.
2. पैसा रखने के लिए वे निजी लॉकर लेते हैं.
3. अवैध कमाई ढकने के लिए वे फर्जी बिल पेश करते हैं और भारत और विदेश में फर्जी खातों में पैसा भेजने के लिए बैंकिंग तरीके बरतते हैं. 
संपर्क किए जाने पर सीपी वॉल्ट्स के एक अधिकारी ने कहा कि कपूर इस समय कहां हैं, उसे कोई जानकारी नहीं है. पंकज के पिता और लाइसेंसशुदा वैल्युअर के.के. कपूर कहते हैं, ''मैं अपने बेटे के आने-जाने पर नजर नहीं रखता.''

ईडी अधिकारी कहते हैं कि बरामद किए गए पैसे के अलावा उन्हें यह भी पता चला है कि कपूर ने तीन निजी बैंकों-एचडीएफसी, एक्सिस और आइसीआइसीआइ-की दिल्ली स्थित शाखाओं के जरिए पैसे का खासा बड़ा-1000 करोड़ रु. का-लेनदेन किया है. अब जांच हो रही है कि इन बैंकों ने कपूर के लेनदेन के बारे में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) को सूचित क्यों नहीं किया.

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एक्सिस बैंक के वरिष्ठ अधिकारी आशीष अरोड़ा ने माना कि ईडी उनकी जांच कर रहा है, पर उन्होंने किसी नियम के उल्लंघन से इनकार किया. उन्होंने कहा, ''हमारे यहां कपूर के दो खाते हैं और हम बाहर से आए पैसे के बारे में आरबीआइ को नियमित तौर पर सूचित करते थे.''

आइसीआइसीआइ बैंक के चारुदत्त देशपांडे कहते हैं, ''हमने कोई नियम नहीं तोड़ा है.'' एचडीएफसी बैंक के एक अधिकारी ने कहा कि बैंक ने हर संदिग्ध लेनदेन के बारे में आरबीआइ को नियमित तौर पर सूचित किया. पर राजेश्वर सिंह जोर देकर कहते हैं कि बैंकों को ज्‍यादा सतर्क होना चाहिए था, ''खासकर जो लोग बड़े पैसे का लेनदेन करते हैं या मोटा पैसा पाते हैं, बैंकों को उनकी लगातार जांच करनी चाहिए. काले धन को सफेद करने वाले लोग देश की नकद अर्थव्यवस्था का लाभ उठा रहे हैं.''

ईडी की प्राथमिक जांच से पता चलता है कि कपूर दिल्ली में काम कर काले धन को सफेद करने के 50 शीर्ष धंधेबाजों में से एक है, जिनका रोजमर्रा का कारोबार 10-15 करोड़ रु. का है. ईडी ने पाया है कि कई व्यापारी अवैध धन रखने के लिए निजी लॉकर इस्तेमाल कर रहे हैं. ईडी ने ऐसे लॉकर खोलने के लिए आरबीआइ से इजाजत मांगी है. बैंकिंग नियमों के तहत, सरकारी और निजी बैंकों के लॉकरों की चाबियों पर एक निशान रहता है, जो पहचान में मददगार होता है. पर निजी वॉल्ट्स के मामले में, चाबियों पर कोई निशान नहीं होता. ईडी अधिकारी कहते हैं कि इससे उन्हें पहचानना मुश्किल होता है.

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इसके चलते आरबीआइ ने सारे सरकारी और निजी बैंकों को सतर्क किया है कि वे लॉकरों में रखी सामग्री की नियमित जांच करें और बड़े लेनदेन के बारे में उसे खबर करें. जुलाई में जारी आरबीआइ का निर्देश ईडी के उसे यह बताने के तुरंत बाद आया कि भारत में काले धन को सफेद करने वाले धंधेबाज वैध तरीके प्रयुक्त कर रहे हैं.

वित्त मंत्रालय की वित्तीय खुफिया शाखा और ईडी की हाल में की गई जांच के कुछ निष्कर्षः

*हवाला का ज्‍यादा कारोबार मुंबई, अहमदाबाद और दिल्ली से होता है. दैनिक कारोबार 2,000 करोड़ रु. का और वार्षिक 7,00,000 करोड़ रु. का है, 9,00,000 करोड़ रु. के केंद्रीय बजट के लगभग बराबर है.

*भारत 27,000 टन अवैध सोने और 1,50,000 टन अवैध चांदी का वार्षिक कारोबार करता है. रियल स्टेट के 40 प्रतिशत सौदे अवैध होते हैं और नकद पैसों में किए जाते हैं.

*काला पैसा सफेद करने वाले खाने के तंबाकू के निर्माताओं से नकदी लेकर कंपनियों को देते हैं, जो अपनी देनदारियों का बड़ा हिस्सा बिना लिखत-पढ़त करना चाहते हैं.

*काला पैसा सफेद करने वाले खुले तौर पर सरकारी बैंकिंग मार्गों का प्रयोग कर रहे हैं.

ईडी अधिकारी कहते हैं कि काला पैसा सफेद करने की बढ़ती घटनाएं चिंता का विषय बनती जा रही हैं. दिल्ली में अवैध लेनदेन करीब 500 करोड़ रु. रोजाना का है. ईडी अधिकारी बताते हैं कि यह आकलन 2010 के दैनिक कारोबार के 270 करोड़ रु. के आकलन से सीधे दोगुना है.

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राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआइ) के निदेशक आर.एस. सिद्धू कहते हैं कि सारे हवाला कारोबार पर शिकंजा कस पाना लगभग असंभव है. वे काले धन को सफेद करने और आतंकवाद के वित्त पोषण से निबटने के लिए बनी अंतर-सरकारी संस्था-फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स-की एक शाखा-ऑर्गेनाइज्‍ड मैरीटाइम पाइरेसी ऐंड रिलेटेड किडनैपिंग फॉर रैन्सम-के एक चिट्ठी का अपनी इस दलील के पक्ष में उद्धरण देते हैं कि काले धन को सफेद करने का धंधा खुले आम चल रहा है.

भारत और पाकिस्तान सोमाली समुद्री लुटेरों को नियमित तौर पर नकद पैसे की पेशकश करते हैं. 2006 से हवाला के जरिए 36 करोड़ रु. का भुगतान किया जा चुका है. ईडी के पूर्व निदेशक के.एल. वर्मा कहते हैं, ''काले धन को सफेद करने का धंधा तेजी से एक आपराधिक वेस्टर्न यूनियन बनता जा रहा है.'' इस धंधे में लगे लोग जहां नकदी का हस्तांतरण संभालते हैं, वहीं पीछे का सारा कामकाज बिक चुके पुलिसवाले और नौकरशाह संभालते हैं.

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