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प्राइवेट पार्ट में फंस गया बम, अस्पताल पहुंचा शख्स तो बुलाना पड़ा बम स्क्वॉड

शख्स के प्राइवेट पार्ट (Private Part) में बम (Explosive) फंस गया. इस लेकर जब वह अस्पताल पहुंचा, तो डॉक्टर्स भी हैरान रह गए. इसके बाद आनन-फानन में बम को डिफ्यूज करने के लिए बम निरोधक दस्ता बुलाना पड़ा.

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सांकेतिक फोटो
सांकेतिक फोटो
स्टोरी हाइलाइट्स
  • सफाई के दौरान टैंक के गोले पर गिर पड़ा
  • नुकीला हिस्सा प्राइवेट पार्ट में फंस गया
  • डॉक्टर्स के पास पहुंचा शख्स

ब्रिटेन में रहने वाले एक शख्स के प्राइवेट पार्ट (Private Part) में बम (Explosive) फंस गया. घायल हालत में जब वह अस्पताल पहुंचा, तो डॉक्टर्स भी हैरान रह गए. इसके बाद डर के मारे आनन-फानन में बम को डिफ्यूज करने के लिए बम निरोधक दस्ता बुलाया गया. आइए जानते हैं पूरा मामला.. 

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दरअसल, शख्स के प्राइवेट पार्ट से निकाला गया बम वर्ल्ड वॉर-2 (Second World War) का बताया जा रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक, शख्स वर्ल्ड वॉर-2 के जमाने के एक टैंक के गोले पर गिर गया था. इस दुर्घटना में टैंक के गोले का नुकीला सिरा उसके प्राइवेट पार्ट में फंस गया था. 

घायल हालात में उसे अस्पताल पहुंचा गया. लेकिन प्राइवेट पार्ट में फंसे बम को देखकर ग्लॉसेस्टरशायर रॉयल अस्पताल (Gloucestershire Royal Hospital) के डॉक्टरों ने बम निरोधक दस्ता बुला लिया. हालांकि, उससे पहले ही बम को बाहर कर दिया गया और शख्स का इलाज शुरू कर दिया गया. बताया गया कि बम निष्क्रिय था और इससे ब्लास्ट होने का खतरा नहीं था.   

कैसे प्राइवेट पार्ट में फंसा बम? 

'द सन' के मुताबिक, शख्स ब्रिटिश आर्मी का पूर्व सदस्य था. उसे पुराने जमाने के हथियारों को इकट्ठा करने का शौक है. वर्ल्ड वॉर-2 के समय के इस एंटिक गोले को भी अपने शस्त्रागार में रखा था. लेकिन बीते दिन सफाई के दौरान शख्स का पैर फिसल गया और वो सीधे टैंक के इस गोले के ऊपर ही गिर गया. जिससे गोले का नुकीला सिरा उसके प्राइवेट पार्ट में फंस गया.  

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जिसके बाद दर्द से चीखते शख्स को तुरंत अस्पताल में भर्ती करवाया गया, जहां डॉक्टरों ने एहतियातन बम निरोधी दस्ते को बुला लिया. फिलहाल इलाज के बाद शख्स की हालत ठीक है, उसे अस्पताल से छुट्टी भी दे दी गई है. 

अस्पताल के एक प्रवक्ता ने कहा कि उन्होंने मामले की गंभीरता को देखते हुए सुरक्षा के प्रोटोकॉल का पालन किया था और बम निरोधी दस्ते को बुलाया. हालांकि, इस केस के कारण अस्पताल के कर्मचारियों, मरीजों या उनके साथ के लोगों को कोई खतरा नहीं था. 

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