scorecardresearch
 

ब्रिटिश विशेषज्ञों ने हल की हिमालय की पहेली

रीडिंग विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने आखिरकार इस सवाल का जवाब खोज ही निकाला है कि हिमालय पर सर्दियों और वसंत के मौसम के दौरान भारी हिमपात के कारण विशेष तौर पर गर्मियों के मानसून के शुरूआती हिस्से में देश में सूखे की स्थिति क्यों बन जाती है.

Advertisement
X

रीडिंग विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने आखिरकार इस सवाल का जवाब खोज ही निकाला है कि हिमालय पर सर्दियों और वसंत के मौसम के दौरान भारी हिमपात के कारण विशेष तौर पर गर्मियों के मानसून के शुरूआती हिस्से में देश में सूखे की स्थिति क्यों बन जाती है.

Advertisement

विश्वविद्यालय की एक विज्ञप्ति के अनुसार, 1980 से ही वैज्ञानिकों को यह मालूम था कि हिमालय पर हिमपात अधिक होने से भारत में गर्मियों के मानसून में होने वाली वर्षा कम होती है. हालांकि ऐसा क्यों होता है, इस सवाल का जवाब वैज्ञानिकों के पास भी नहीं था.

क्लाइमेट डाइनामिक्स में इस सप्ताह प्रकाशित नये अनुसंधान में मौसम विभाग या हेडली सेंटर मौसम मॉडल के आधार पर प्रक्रियाओं का अध्ययन किया गया है. यह प्रदर्शित करता है कि अधिक बर्फबारी से सूर्य की रोशनी का अधिक परावर्तन होता है और इसके कारण हिमालय पर ठंड होती है. इसके कारण हिमालय से आने वाली वे मानसूनी हवाएं कमजोर हो जाती हैं जिनके चलते भारत में वर्षा होती है.

उष्णकटिबंधीय प्रशांत में गर्म (अल निनो) या ठंडी (अल निना) परिस्थितियों की गैर-मौजूदगी में यह मौसम संबंध सबसे मजबूत होता है क्योंकि यह सामान्य तौर पर भारतीय वर्षा पर प्रभावी नियंत्रण करती हैं.

Advertisement

इस अनुसंधान के प्रमुख लेखक डा एंडी टर्नर ने कहा, ‘हमारे अध्ययन ने यह प्रदर्शित किया है कि उष्णकटिबंधीय प्रशांत से प्रभाव की अनुपस्थिति, हिमालय और तिब्बती पठार में बर्फबारी की परिस्थितियां होने की स्थिति में भारत, खासतौर पर उत्तरी भारत में जून महीने की शुरूआत के बाद मौसमी मानसूनी बारिश की भविष्यवाणी की जा सकती है.’ उन्होंने कहा, ‘कृषि के लिए मानसून के शुरू होने का समय काफी महत्वपूर्ण है, बीजाई के मौसम की शुरूआत में बारिश की कमी का फसलों पर बेहद खराब असर पड़ सकता है.’

Advertisement
Advertisement