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सउदी अरब: संतरों में छिपाकर लाए ‘सुपरह्यूमन’ बनाने वाली गोलियां, कीमत 5.8 करोड़ डॉलर

कैप्टागॉन बहुत ज्यादा नशे की लत वाली दवा है. इसे खाने से कई दिनों तक इंसान जागा रह सकता है और खाने वाला खुद को सुपरह्यूमन समझने लगता है.

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संतरों में छिपाकर कैप्टागॉन पिल्स की तस्करी
संतरों में छिपाकर कैप्टागॉन पिल्स की तस्करी
स्टोरी हाइलाइट्स
  • संतरों में छिपाकर कैप्टागॉन पिल्स की तस्करी
  • 45 लाख कैप्टागॉन पिल्स जेद्दाह पोर्ट पर जब्त

सऊदी अरब के कस्टम विभाग ने देश में 45 लाख एम्फेटमाइन पिल्स को लाने की कोशिश को नाकाम कर दिया है. इस ड्रग को स्थानीय तौर पर कैप्टागॉन कहा जाता है. इसे जद्दाह के पोर्ट पर संतरों की बड़ी खेप में छुपा कर लाया जा रहा था. सऊदी अरब के सरकारी टीवी अल अरबिया ने ये जानकारी दी है. इतनी पिल्स की अनुमानित कीमत 5.8 करोड़ डॉलर मानी जाती है.  

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अधिकारियों ने बताया कि जेद्दाह के बंदरगाह पर बड़ी संख्या में आए संतरों के बॉक्सेज को जब्त कर लिया गया. इन बाक्सेज के एक्स-रे मशीनों से निरीक्षण में सच्चाई का पता चला. बॉक्सेज के नीचे बड़ी संख्या में कैप्टागॉन पिल्स छुपी हुई थीं.  

अल जजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक बॉक्सेज का इंतजार करने वाले कई संदिग्ध लोगों को हिरासत में लिया गया है. कस्टम अधिकारियों ने बताया कि संगठित अपराधियों की स्मगलिंग की एक और बड़ी कोशिश को नाकाम कर दिया गया है.

इससे पहले शनिवार को सऊदी अधिकारियों ने लेबनान से आई एक करोड़ 44 लाख टैबलेट्स को जब्त किया था. इनका शिपमेंट लोहे की प्लेटों में छुपा कर किया गया था. इसी तरह अप्रैल में लेबनान से आई अनारों की खेप में 53 लाख पिल्स मिली थी. उस वक्त सीरिया के एक नागरिक समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया गया था.

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क्या है कैप्टागॉन पिल्स? 

कैप्टागॉन के नाम से जानी जाने वाली ये ड्रग सीरिया में बनाई जाती हैं और पूरे मिडिल ईस्ट में पहुंचाई जाती है. बता दें कि इसका इस्तेमाल ISIS  के आतंकी करते रहे हैं. इसे खाने से कई दिनों तक इंसान जागा रह सकता है और खाने वाला खुद को सुपरह्यूमन समझने लगता है. कैप्टागॉन की गैरकानूनी बिक्री से मिलने वाले पैसे का इस्तेमाल हथियार खरीदने के लिए किया जाता रहा है. डॉक्टरों के मुताबिक कैप्टागॉन का इस्तेमाल खतरनाक होता है और इससे साइकोसिस और ब्रेन डैमेज का खतरा रहता है. 

कैप्टागॉन एक मनोवैज्ञानिक पिल है जो एम्फ़ैटेमिन और थियोफिलाइन के फ्यूजन से बनती है. हालांकि, यह बहुत ज्यादा नशे की लत वाली दवा है. 1986 में अधिकतर देशों में इसका इस्तेमाल अवैध घोषित कर दिया गया.

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