'पत्थर लौटा दो, पत्थर लौटा दो, वरना मेरा श्राप लगेगा...' डर गए क्या? कुछ याद आया? ये वही डायलॉग है जो एक जिंदा लाश बोलती है. एक वक्त पर इस सीन को देखकर अच्छे अच्छों के रोंगटे खड़े हो जाते थे. यहां हम एक ऐसे शो की बात कर रहे हैं, जिसका नाम सुनते ही आपकी बचपन की यादें ताज़ा हो जाएंगी. इस शो में डर, सस्पेंस, कॉमेडी और रोमांच कूट कूटकर भरा हुआ था. इसका नाम है- Courage The Cowardly Dog.
बचपन में आप कौन सी मूवी या शो देखकर सबसे ज्यादा डरे थे? अगर आप 90's किड वाली कैटेगरी में आते हैं, तो आपमें से ज्यादातर लोगों का जवाब "करेज द कवर्डली डॉग" ही होगा. शो का मेन लीड वो डॉग है, जो लाल आंखों से अपनी बूढ़ी मालकिन और उसके किसान पति को उन पर आने वाले खतरे के बारे में आगाह कर देता था.
वो खूब डरता था, लेकिन बावजूद इसके अपने मालिकों की रक्षा करने में कोई कसर नहीं छोड़ता था. मगर अब ये शो टीवी पर नहीं आता. तो आखिर ऐसी कौन सी वजह थीं कि आपका हमारा पसंदीदा कार्टून शो, दुनिया भर में बंद कर दिया गया? आज हम इसके बनने से लेकर बंद होने तक के बारे में सब कुछ जानेंगे.
कार्टून नेटवर्क या पोगो का नाम ज़हन में आते ही ढेर सारी यादें ताज़ा हो जाती हैं. इस पर तमाम शो आते थे, जैसे पावरपफ गर्ल्स, ऑसवाल्ड, लूनी टून्स, टॉम एंड जेरी, स्कूबी डूबी डू, रिची रिच, ड्रैगन टेल्स, पिंगू, नॉडी, ताकेशीज कास्ल और करेज द कवर्डली डॉग. खैर ये लिस्ट काफी लंबी है.
सारे कार्टून्स पर फिर कभी बात करेंगे. आज हम करेज द कावर्डली डॉग (Courage The Cowardly Dog) पर बात कर लेते हैं. इसे देखकर बेशक कुछ बच्चे डर जाते होंगे, लेकिन जब इसे देखा करते थे, तो न तो चैनल बदलने का मन करता था, न खौफ में आकर टीवी बंद करने का. ये शो जितना डरावना था, उतना ही एंटरटेनिंग भी था. हालांकि इसके बंद होने के बाद बहुत से बच्चों का दिल टूट गया.
द न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, करेज द कवर्डली डॉग एक अमेरिकन टेलीविजन सीरीज है, जिसमें हॉरर और कॉमेडी दोनों का मिश्रण है. इसे कार्टून नेटवर्क चैनल के लिए जॉन आर. डिलवर्थ ने बनाया था. वो एक अमेरिकन एक्टर, एनीमेटर, डायरेक्टर, राइटर, स्टोरीबोर्ड आर्टिस्ट और प्रड्यूसर हैं.
उन्होंने अपनी इस यात्रा की शुरुआत न्यूयॉर्क स्कूल ऑफ विजुएल आर्ट्स से की. इसके बाद वो जल्द ही एनिमेशन कर कार्टून बनाने लगे. 1985 में डिग्री पूरी होने के बाद साल 1991 में जॉन ने अपना एनिमेशन स्टूडियो शुरू किया. इस कंपनी का नाम स्ट्रेच फिल्म्स रखा गया.
जॉन डिलवर्थ ने कई प्रसिद्ध कार्टून बनाए जैसे, द लिमिटेड बर्ड और द डर्टी बर्डी. ऐसा ही उनका एक कार्टून "द चिकन फ्रॉम आउटर स्पेस" था. तब तक करेज द कवर्डली डॉग अस्तित्व में नहीं आया था. 20 फरवरी, 1995 को कार्टून नेटवर्क ने 'वट अ कार्टून' नाम की एक सीरीज की शुरुआत की.
इसके तहत हर हफ्ते हॉरर जेनर यानी डराने वाली कार्टून सीरीज का एक नया शो टीवी पर दिखाया जाता था. इस सीरीज का सबसे ज्यादा फायदा नए क्रिएटर्स को मिल रहा था. वो अपने शो को लोगों तक पहुंचा सकते थे.
इसी तरह की एक 8 मिनट की सीरीज का नाम "द चिकन फ्रॉम आउटर स्पेस" था. जिसे 18 फरवरी, 1996 को पहली बार टीवी पर दिखाया गया. इसमें एक छोटा सा शॉट करेज द कवर्डली डॉग और चिकन के बीच लड़ाई का था. इसमें करेज यानी कुत्ते ने केवल एक या दो लाइन कहीं, इसके अलावा कोई डायलॉग नहीं था.
इसके बाद साल 1998 में कार्टून नेटवर्क ने जॉन डिलवर्थ से संपर्क किया. उन्हें करेज और चिकन पर बनी अपनी छोटी सी एनिमेशन स्टोरी को एक कार्टून सीरीज में तब्दील करने का ऑफर मिला. इस ऑफर को जॉन ने एक शर्त पर स्वीकार किया. शर्त ये थी कि इसके एनिमेशन का काम स्ट्रेच फिल्म्स स्टूडियो करेगा. इसके एक साल बाद 19 नवंबर, 1999 को करेज द कवर्डली डॉग का पहला एपिसोड सीरीज के रूप में टेलीविजन पर आया.
कहानी एक एंथ्रोपोमोर्फिक डॉग के इर्द गिर्द घूमती है. यानी एक इंसान जैसा कुत्ता, जो दो टांगों पर चल सके, भावनाएं प्रदर्शित करे और उसमें इंसानों जैसी क्वालिटी हो. करेज गुलाबी रंग का एक डरपोक कुत्ता था, जो म्यूरियल नाम की महिला और उसके पति इयूस्टेस के साथ 'कहीं भी नहीं' रहता था. आपने इयूस्टेस के हाथ में अखबार देखा होगा, उस पर लिखा होता था, 'नाउवेयर न्यूज.'
उनका घर दिखने में बाकी घरों से काफी अलग था, एक ऐसी बंजर सी जगह, जहां मीलों दूर तक कोई दूसरा घर दिखाई नहीं देता था. इनके साथ हर रोज कोई न कोई अजीबोगरीब घटना घटती थी. कभी अंतरिक्ष से एलियंस आ जाते, तो कभी जिंदा लाशें आकर पत्थर मांगा करतीं.
अब करेज आखिर इस परिवार को कैसे मिला, इस पर बात कर लेते हैं. म्यूरियल को करेज एक सुनसान जगह पर मिलता है, जहां वो डर डरकर रह रहा था. ऐसी जगह पर रह पाना आसान नहीं था, इसी वजह से कुत्ते को करेज नाम दिया गया, यानी शेरदिल. अब बेशक करेज एक शर्मीला कुत्ता था, जो खतरों से बहुत जल्दी डर जाता लेकिन वो बहादुर भी था. परिवार पर आने वाले खतरों से पहले वो उन्हें इस बारे में संकेत दे देता और खुद बचाता भी था.
करेज द कवर्डली डॉग के कुल 4 सीजन थे और प्रत्येक सीजन में 13 एपिसोड थे. हालांकि 22 नवंबर, 2002 को इस सीरीज का आखिरी एपिसोड आया. इसके बाद शो को बंद कर दिया गया. नए एपिसोड तो बनने बंद हो गए थे लेकिन दुनियाभर में पुराने एपिसोड्स दिखाए जाते रहे. भारत में शो को 2002 से 2003 के बीच हिंदी में डब करके कार्टून नेटवर्क पर दिखाया गया.
यहां देखिये करेज द कवर्डली डॉग का एक पॉपुलर एपिसोड -
शो को बंद करने के पीछे कई बड़े कारण बताए जाते हैं. एक बड़ा कारण ये माना जाता है कि इस शो के बच्चों पर पड़ने वाले प्रभाव के चलते इसे बंद किया गया. माता-पिता को चिंता थी कि बेशक शो देखकर बच्चे उसमें पूरी तरह खो जाते हैं, उनका एंटरटेनमेंट होता है लेकिन इसके साथ ही उन्हें रात को सोने में दिक्कत होती है, क्योंकि शो डरावना होने की वजह से उन्हें बुरे सपने आते थे. ऐसा माना जाता है कि शो को लेकर दुनियाभर में शिकायतें की गईं. लेकिन इसकी पुष्टि आज तक नहीं हो सकी है.
ऐसी भी अफवाह है कि शो को बनाने वाले शख्स के फैसले के कारण ही इसे बंद कर दिया गया. कहा जाता है कि जॉन डिलवर्थ ने ही शो को बंद करने का फैसला लिया था. लोगों का मानना है कि जॉन बेशक इस शो के लिए नई कहानियां और एपिसोड लेकर आ सकते थे लेकिन उनके पास दूसरे कई एनिमेशन आइडियाज भी थे. जिन पर वो काम करना चाहते थे. इसी वजह से ये शो बंद कर दिया गया.
इससे कोई फरक नहीं पड़ता कि आपके और हमारे पसंदीदा शो करेज द कवर्डली डॉग को किस वजह से बंद किया गया, लेकिन ये बात साफ है कि ये हमेशा ही हम सबके लिए यादगार रहेगा. इसकी कहानियां बेहद खूबसूरती के साथ लिखी गई थीं. इसके साथ ही कार्टून में पिक्चराइजेशन इतना कमाल का था, कि बेशक हम इसे देखकर डर जाएं लेकिन फिर भी इसे पूरी तरह इंजॉय करते थे. न तो तब चैनल बदलता था और न ही टीवी झट से बंद होता था.
आपको ये बात जानकर भी हैरानी होगी कि इस शो ने न केवल लोगों का दिल जीता बल्कि इसे ऑस्कर के लिए नॉमिनेट भी किया गया था. इस कार्टून को कई अवॉर्ड्स भी मिल चुके हैं. बेशक कार्टून बंद हो गया है लेकिन इसे यूट्यूब पर अब भी देखा जा सकता है. अब चूंकि 90's किड बड़े हो गए हैं, लेकिन आज भी कार्टून को देखने के बाद वो अपनी नज़रें स्क्रीन से शायद ही हटा पाएं.