मोबाइल फोन, टावरों तथा बेस स्टेशनों से निकलने वाली रेडियो तरंगों से स्वास्थ्य को होने वाले खतरे के मद्देनजर एक उच्च स्तरीय अंतर मंत्रालयी समिति (आईएमसी) ने रेडिएशन (रेडियो तरंगें) नियमों में भारतीय जरूरतों के अनुरूप संशोधन की मांग की है.
आईएमसी द्वारा जमा कराई गई रिपोर्ट के अनुसार, मोबाइल फोन और टावरों से निकलने वाली रेडियो तरंगों से थकान, नींद न आना, चक्कर आना और एकाग्रता की कमी जैसी समस्याएं आती हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे प्रतिक्रिया देने में अधिक समय लगना, याददाश्त कमजोर होना, सिर दर्द, पाचन में गड़बड़ी और दिल से संबंधित बीमारियां होने का भी अंदेशा रहता है.
इन्हीं तथ्यों के मद्देनजर समिति ने अधिक घनत्व वाली आवासीय इलाकों, स्कूलों, खेल के मैदान और अस्पतालों के आसपास मोबाइल टावर न लगाने के लिए कड़े कदम उठाने का सुझाव दिया है. हालांकि, इस तरह के उत्सर्जन के दीर्घावधि के असर के बारे में अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है. समिति ने कहा है कि रेडियो तरंगों से खासकर बच्चों, गर्भवती महिलाओं और बुजुर्ग लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले असर का पता लगाने के लिए वैज्ञानिक शोध की जरूरत है. {mospagebreak}
इस तरह की खबरों के बाद कि मोबाइल टावरों से निकलने वाली विद्युत चुंबकीय तरंगों से चिड़िया और मधुमक्खियों पर असर पड़ रहा है, सरकार ने इसके प्रभाव के अध्ययन के लिए एक समिति का गठन किया था. समिति को इस तरह के ढांचे के बारे में दिशानिर्देश भी तय करने थे. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत का मौसम यूरोपीय देशों से काफी अलग है. इसलिए भारतीय परिस्थितियों को देखते हुए रेडियो तरंगों के उत्सर्जन नियमों में बदलाव किया जाना चाहिए.
रिपोर्ट में कहा गया है कि सीओएआई और ऑस्पी द्वारा जमा कराए गए आंकड़ों के आधार पर भारत में रेडिएशन की सीमा को घटाकर वर्तमान स्तर का दस प्रतिशत किया जा सकता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसे लोग जिन्होंने प्रत्यारोपण कराया हुआ है, उन्हें अपने मोबाइल फोन को उस अंग से कम से कम 30 सेमी. दूर रखना चाहिए. {mospagebreak}
समिति ने कहा है कि अध्ययनों से यह बात सामने आई है कि फोन टावरों से निकलने वाले रेडिएशन की वजह से आज मधुमक्खियां, तितलियां, कीट और गोरैया गायब हो गई है. आठ सदस्यीय समिति ने सुझाव दिया है कि ऐसे मोबाइल हैंडसेट जो स्पेसिफिक एब्सार्पशन रेट (एसएआर) के मानकों पर खरे नहीं उतरते हैं, उन पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए. मोबाइल फोन के इस्तेमाल के दौरान शरीर में जाने वाले रेडिएशन की मात्रा को एसएआर कहा जाता है.