अगर आप होली में महज इसलिए रंग खेलने से परहेज करते हैं कि कहीं रंग आपके चेहरे की रंगत न चुरा ले तो चिंता मत कीजिए. बाजार में इस बार ऐसे प्राकृतिक रंग उपलब्ध हैं जो एक घंटे तक आपके चेहरे को रंगीन रखेंगे और उसके बाद पानी से धोने की जरूरत नहीं है, रंग खुद उड़ जाएंगे.
इस तरह रंग छुड़ाने में पानी की बबार्दी भी नहीं होगी. सुनकर थोड़ा अजीब जरूर लगेगा पर यह सही है. खास बात यह है कि ये प्राकृतिक रंग गुलाल की तरह ही हैं. बृज में फूलों की होली प्राकृतिक तरीके से रंगोत्सव मनाने का सबसे अच्छा उदाहरण है. देश में करोड़ों प्रकृति प्रेमी हैं जो प्राकृतिक रंगों से होली खेलकर जल और पर्यावरण संरक्षण के पक्षधर हैं. प्राकृतिक होली के प्रति बढ़ रही जागरुकता के लिहाज से बाजार ने भी अपने को तैयार किया है.
बाजार में जहां रासायनिक तत्वों से बने रंगों की भरमार है, वहीं प्राकृतिक रंग भी कुछ कम नहीं हैं. ऐसे प्राकृतिक रंग जो न तो त्वचा पर उल्टा असर छोड़ेंगे और न ही धोने के लिए पानी मांगेंगे. बस एक कपड़ा लीजिए और झाड़ दीजिए इन्हें प्यार से.
बाजार में ऐसे रंग कई नामों से उपलब्ध हैं. इनमें एक नाम छुईमुई है. इस रंग की खासियत है कि यह रंगीन गीलापन तो देता है, लेकिन इसे धोने की जरूरत नहीं होती. यानी अगर आपने होली खेली तो आपको लगेगा कि रंग लग गया, लेकिन एक से दो घंटे बाद यह खुद-ब-खुद उड़ जाता है.
खास बात यह है कि यह आपकी त्वचा की नमी को भी नुकसान नहीं पहुंचाता. साथ ही यह हल्की सी खुशबू भी छोड़ जाता है. हर्बल गुलाल में कई विकल्प इस बार बाजार में मौजूद हैं. इनमें गुलाब, गेंदा, सेवंती, चंदन, केसर, केशु की महक वाले गुलाल हैं. इन्हें लगाने पर किसी तरह की एलर्जी भी नहीं होती.