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दाऊद इब्राहिम की भारतीय सल्तनत

सत्रह मई की रात भारत के सबसे वांछित आतंकवादी माने जाने वाले माफिया सरगना दाऊद इब्राहिम के भाई इकबाल कासकर के ड्राइवर की हत्या के दो घंटे बाद ही मुंबई पुलिस ने अपने दो सिपाहियों को मुंबई के भिंडी बाजार में उसके घर के दरवाजे पर तैनात कर दिया.

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सत्रह मई की रात भारत के सबसे वांछित आतंकवादी माने जाने वाले माफिया सरगना दाऊद इब्राहिम के भाई इकबाल कासकर के ड्राइवर की हत्या के दो घंटे बाद ही मुंबई पुलिस ने अपने दो सिपाहियों को मुंबई के भिंडी बाजार में उसके घर के दरवाजे पर तैनात कर दिया. 

करीब एक दशक से दाऊद के बहुधंधी व्यावसायिक साम्राज्‍य का संचालन कर रहे कासकर की हिफाजत के लिए वैसे भी इतने आदमी तैनात हैं जितने किसी माफिया डॉन के लिए तैनात हो सकते हैं. उसके निजी अंगरक्षक बिना लाइसेंस वाली स्मिथ ऐंड वेसन पिस्तौलें रखते हैं. लेकिन ड्राइवर आरिफ सैयद की हत्या से पूरा माफिया तंत्र ही नहीं, पुलिस भी सन्न है. पकमोड़िया स्ट्रीट पर खड़ी सामान्य-सी इमारत में दाऊद के हेडक्वार्टर पर पहले किसी ने हमला करने की जुर्रत नहीं की थी.

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यह दुस्साहसिक हत्या प्रतिद्वंद्वी गिरोह की ओर से भेजा गया संकेत है कि बहुचर्चित दाऊद कुनबा और 'शेर की मांद' के नाम से कुख्यात उसका अड्डा अब उसकी गोलियों की जद से परे नहीं रह गया है. जैसा कि जगजाहिर है, दाऊद खुद कराची में पाकिस्तानी अधिकारियों की सुरक्षा में रहता है.

जिन सिपाहियों को हमने अपनी पड़ताल के दौरान और कासकर के यहां तैनात देखा और जो यह रिपोर्ट लिखने तक वहां तैनात थे उन्हें मुंबई पुलिस ने वहां क्यों भेजा था? वे कासकर को गिरफ्तार करने नहीं गए थे, जिसका नाम सबसे वांछित अपराधियों की किसी भी पुलिस सूची में सबसे ऊपर होना चाहिए. एक मत तो यह बताया जाता है कि पुलिस उसे कैद करने से ज्‍यादा उसकी सुरक्षा में दिलचस्पी रखती है. आखिर माफिया काली कमाई का आकषोक स्त्रोत जो है. अतिरिक्त पुलिस कमिश्नर (अपराध शाखा) देवेन भारती कहते हैं कि ये सिपाही केवल ''सावधानी के लिए निगरानी'' रखने के लिए तैनात किए गए हैं.

पुलिस ने ड्राइवर की  हत्या के आरोप में 29 वर्षीय बिलाल सैयद  और 28 वर्षीय इंद्रलाल खत्री को गिरफ्तार करने में जरूर फुर्ती दिखाई है. इससे दाऊद गिरोह को जरूर राहत मिली होगी और यह लगा होगा कि भारतीय सत्तातंत्र में भी उसके कुछ दोस्त तो हैं.

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कासकर को 2003 में दुबई से गिरोहबाज एजाज पठान के साथ भारत भेज दिया गया था. ओसामा बिन लादेन के मारे जाने के बाद से भारी दबाव में रह रहे दाऊद ने मुंबई के इस ताजा हत्याकांड के बारे में तब सुना जब वह अपने बेटे मोइन की शादी नैरोबी में करने की तैयारियां कर रहा था. वह कराची में रुक गया और उसने अपनी बीवी  48 वर्षीया मह.जबीं को समारोह का इंतजाम करने के लिए रवाना कर दिया. उसने नवविवाहित जोड़े को आशीर्वाद देने के लिए प्रस्तावित वीडियो कॉन्फ्रेंस को भी रद्द कर दिया.

मुंबई अपराध शाखा के अधिकारियों का कहना है कि दिल के मरीज दाऊद ने अपने सहयोगी छोटा शकील को 17 मई की घटना का बदला लेने के लिए कहा है. एसीपी भारती का कहना है, ''हमें मुंबई में जल्दी ही कुछ जवाबी हमले की आशंका है.'' शकील ने दुबई से समाचार चैनल आजतक से बातचीत में कहा कि उसे पूरा विश्वास है कि दाऊद के कट्टर दुश्मन छोटा राजन के दोस्त उबेद ने डॉन के करीबी लोगों का सफाया करने की व्यापक साजिश के तहत कासकर के ड्राइवर की हत्या की.

भारतीय खुफिया एजेंसियों के मुताबिक, अपने भाई अनीस और सहयोगियों छोटा शकील, टाइगर मेमन, आफताब बटकी, येड़ा याकूब और फहीम मचमच के साथ कराची में रहने वाला दाऊद अपना अड्डा बदलने की फिराक में है. उसने चार अफ्रीकी देशों को अपने संभावित अड्डे के रूप में चुना है- सोमालिया, जिंबाब्वे, कांगो और सुडान. खुफिया ब्यूरो (आइबी) के अधिकारियों का दावा है कि दाऊद अफ्रीका में बड़े पैमाने पर जमीन खरीदने की कोशिश कर रहा है ताकि बाद में उसे कृषि उत्पादन के लिए पट्टे पर दिया जा सके. आइबी के एक अधिकारी का कहना है, ''उसके गुर्गे कबायली सरदारों के संपर्क में हैं.''

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जाहिर है, दाऊद के प्रतिद्वंद्वी इसे उस शख्स की कमजोरी मान रहे हैं जिसे कभी इस उपमहाद्वीप के अंडरवर्ल्ड का ''तरकश'' माना जाता था. माना जा रहा है कि दाऊद दबाव में आकर कदम उठा रहा है. मुंबई पुलिस के पूर्व आयुक्त एम.एन. सिंह का कहना है, ''राजन के लिए अपने दुश्मन को संकेत देने का यह माकूल मौका था.'' लेकिन वे चेताते हैं कि यह मानना गलत होगा कि दाऊद दबाव के आगे झुकेगा.

सारा झ्गड़ा भारत और विदेश में अपने इलाके पर कब्जे को लेकर है. दाऊद भारत में ओडीसा, झारखंड और छत्तीसगढ़ जैसे खनिज समृद्ध राज्‍यों में माओवादियों के साथ गठजोड़ करना चाहता है ताकि देश के कोयला ह्नेत्र में 400 करोड़ रु. के अवैध खनन पर उसकी व्यापक पकड़ हो. गृह सचिव जी.के. पिल्लै ने इंडिया टुडे को बताया, ''पिछले साल उसने छत्तीसगढ़ के एक गुर्गे को 25 लाख रु. दिए लेकिन उसने उसे ठग लिया. अब वह भारत में अपने सहयोगियों से संपर्क बनाने के लिए नेपाल के माओवादियों का इस्तेमाल करने की कोशिश कर रहा है और उन्हें गोले-हथियार दे रहा है. वह कुछ खानों पर कब्जा करना चाहता है.''

वह कोयले के अलावा 2.5 अरब डॉलर के नकली भारतीय नोट के धंधे में आफताब बटकी के जरिए बड़ा हिस्सा बनाए रखना चाहता है. बटकी दुबई से भारत में नकली नोटों का धंधा चलाता है. उसने एक बार खाद्यान्न ढोने वाले जहाज से नकली नोट भेजे. भारतीय बंदरगाहों पर चौकसी बढ़ने के साथ ही उसने नेपाल और बांग्लादेश की सीमा का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया. दाऊद ने भारत में अपने धंधे के प्रमुख, दुबई स्थित के.एम. अब्दुल्ला की केरल में गिरफ्तारी के बाद नए साझीदारों की तलाश शुरू कर दी है. मुंबई पुलिस (ऑपरेशंस) के डिप्टी कमिश्नर राजकुमार वहटकर ने कहा, ''नेपाल एक दशक से भी लंबे अरसे से नकली नोटों के उसके धंधे का अड्डा रहा है.'' दाऊद नेपाल सरकार के मौन समर्थन से हथियार और नकली नोट पाकिस्तान से पूरे भारत में भेजता है. दो साल पहले उसने माओवादियों की मदद से पश्चिमी नेपाल में हथियार बनाने वाली दो इकाइयों का निर्माण किया.

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नेपाल में उसका दूसरा धंधा वहां के शेयर बाजार में चलता है. नेपाल के गृह मंत्री कृष्ण बहादुर महरा ने अपने मंत्रिमंडल के सहयोगियों के साथ इस मामले को उठाने का असफल प्रयास किया था. उन्होंने शेयर बाजार और नेपाल के कुछ स्थानीय बैंकों में दाऊद के बेनामी निवेशों का ब्यौरा दिया था. माओवादियों के प्रमुख पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड के 29 वर्षीय बेटे प्रकाश दहल और वरिष्ठ नेता सरीना बेगम ने महरा के आरोपों का विरोध किया. बताया जाता है कि सरीना बेगम पाकिस्तानी क्रिकेटर जावेद मियांदाद के बेटे के साथ दाऊद की बेटी की शादी में मौजूद थीं. दुबई में आइबी के लोगों ने दाऊद की बेटी के लिए बेगम की ओर से नेपाली जेवरात भारत के अपने मित्रों के जरिए भेजे जाने का पता लगाया था. भारतीय खुफिया अधिकारियों का दावा है कि दहल ने दुबई में दाऊद के लोगों से मुलाकात की थी. दहल पिछले कुछ समय से अंडरवर्ल्ड के साथ अपने संपर्कों की वजह से आलोचना झेल रहे हैं.

नेपाल के पूर्व राजकुमार पारस के भी दाऊद के साथ व्यावसायिक संबंध हैं. उन्होंने काठमांडो और पोखरा में कैसिनो और काठमांडो के थमेल और सोंधरा ह्नेत्रों में 1,000 से ज्‍यादा डांस बार चलाने में दाऊद की मदद की.

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पिछले साल दाऊद ने सिले-सिलाए वस्त्रों के कारोबार में कदम रखा. उसने शंघाई के बाहरी इलाके में कारखाना लगाया और नेपाल के सीमावर्ती शहरों नेपालगंज एवं बिराटनगर के रास्ते भारत में 2,000 करोड़ रु. से अधिक का अवैध माल भेजा. भारतीय सीमा शुल्क अधिकारियों का कहना है कि इससे हर साल करीब 500 करोड़ रु. के राजस्व का घाटा होता है लेकिन वस्त्र तस्करों और व्यापारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है.

आइबी के पूर्व प्रमुख ए.के. डोभाल कहते हैं, ''दाऊद हमेशा अवैध चीजों से ही जुड़ा रहा है. लेकिन वह कई तरह के वैध कारोबार में भी कदम रख रहा है.''

उसका नाम मुंबई पुलिस के रिकॉर्ड में  'भगोड़े अभियुक्त' के रूप में दर्ज है और उस पर-अपने भाई अनीस इब्राहिम के साथ मिलकर -1993 में मुंबई में सिलसिलेवार बम धमाके करने की साजिश रचने का आरोप है. वह भारत में प्रमुख रियल्टरों के साथ संबंध बनाने की पूरी कोशिश कर रहा है. मुंबई पुलिस का दावा है कि उनमें से कुछ रियल्टर डॉन के संपर्क में हैं और उन्होंने महाराष्ट्र में रियल एस्टेट डेवलप करने के लिए उससे पैसे की मांग की थी. डीबी रियल्टी के एक मालिक विवेक गोयनका, जो 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में अभियुक्त के तौर पर जेल में है, के अंडरवर्ल्ड के साथ संबंधों की जांच की गई थी.

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दाऊद के एक सहयोगी इकबाल अत्तरवाला ने मलाड में जमीन हड़पने के मामले में मुंबई स्थित बिल्डर उमेश गांधी का नाम लिया था, जिसके बाद गांधी को 2007 में गिरफ्तार किया गया था. पुलिस ने  1993 के बम विस्फोटों के लिए आरोपित करीमुल्लाह खान को जब 2008 में गिरफ्तार किया तब देश भर के रियल एस्टेट बाजारों में दाऊद के बेनामी निवेशों और कराची में वैध निवेश के बारे में पता चला. उसने ये निवेश 1993 के एक अन्य षड्यंत्रकारी और करीबी सहयोगी टाइगर मेमन के साथ कर रखे हैं. महाराष्ट्र के आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) के एक अधिकारी के मुताबिक, उनके पास विशेष जानकारी है कि मुंबई के भायखला इलाके में एटीएस कार्यालय के इर्दगिर्द आवासीय परियोजनाओं में दाऊद के लोगों का पैसा लगा है. उन्होंने कहा, ''हम इसकी जांच कर रहे हैं.''

इसके अलावा, उचित माध्यमों से वैध निवेश भी किए गए हैं. बॉम्बे शेयर बाजार के सूत्रों का कहना है कि दाऊद और उसके सहयोगियों का पैसा अब विदेशी संस्थागत निवेश (एफआइआइ) के जरिए आता है. मुंबई के एक प्रमुख दलाल हेमेन कापड़िया का कहना है, ''जब तक उचित व्यवस्था नहीं की जाएगी तब तक हमें कैसे पता चलेगा कि एफआइआइ में पैसा कौन लगा रहा है?'' बाजार पर नजर रखने वाली संस्था भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने इस तरह के निवेशों का पता लगाने की नाकाम कोशिश की. सेबी ने यहां तक कि संदिग्ध रियल्टरों को भी रोकने का प्रयास किया. कापड़िया का कहना है, ''इससे भी उन्हें दाऊद को नियंत्रित करने में मदद नहीं मिली.''

भारतीय खुफिया अधिकारियों ने 2009 में एक सूचना पर पड़ताल की कि आतंकवादियों ने भारतीय शेयर और जिंस बाजारों में निवेश किया है और दाऊद ने तेल-समृद्ध खाड़ी के देशों में विभिन्न व्यापारियों के साथ अपने संबंधों के चलते कुछ निवेश कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. शेखों के साथ दाऊद का संबंध उस समय साफ दिखा जब वह पाकिस्तान में सिंधु नदी पर गुड्डळ् और सुक्कु बैराजों के पास शिकार कर रहा था. लेकिन जांचकर्ताओं को खास-खास शेयरों में दाऊद और उसके सिंडिकेट के निवेश के बारे में खास जानकारी हाथ नहीं लगी है.

हाल में दाऊद नकदी की तंगी झेल रहे पाकिस्तान रेलवे को उबारने की कोशिश में जुटा था. इस साल के शुरू में आइएसआइ ने, जिसने उसे कराची में पनाह दे रखी है, उससे कहा था कि वह रेलवे के संचालन के लिए अपना कुछ पैसा लगाए. यह आग्रह उस समय किया गया जब अनाज और सीमेंट से लदी कुछ गाड़ियां ईंधन की कमी की वजह से एक के बाद एक खड़ी होने लगीं. इस मंदी की वजह से दाऊद का कारोबार भी प्रभावित होने लगा क्योंकि रेलगाड़ियों पर उसके सिंडिकेट का माल ढोया जा रहा था. आइबी के मुताबिक, आइएसआइ के वरिष्ठ अधिकारियों और कुछ पाकिस्तानी नेताओं ने निवेश की क्षमता रखने वाले मालदार लोगों की सूची तैयार की और इसी के बाद दाऊद से रेलवे में निवेश करने के लिए कहा गया. आइबी सूत्र का कहना है, ''उसके तंबाकू उत्पाद की रूस, पश्चिम एशिया और अफगानिस्तान में जबरदस्त मांग है. इसे ब्रांड नाम फायर के तहत बेचा जाता है. उसने कराची शेयर बाजार, कंस्ट्रक्शन कंपनियों, मॉल, सीमेंट कंपनियों और खाड़ी की तेल कंपनी में निवेश कर रखा है. उसका कुल कारोबार 20,000 करोड़ रु. से अधिक का है.''

1993 के विस्फोटों के बाद मुंबई के फिल्मी सितारों के साथ दाऊद का संपर्क खत्म हो गया लेकिन उसने दुबई स्थित अल मंसूर वीडियो और कराची स्थित सादाफ ट्रेडिंग कंपनी के बड़े हिस्से का अधिग्रहण कर लिया है. ये दोनों कंपनियां एशिया, यूरोप और अमेरिका में नकल की गईं भारतीय फिल्मों की बिक्री के लिए जानी जाती हैं. सादाफ का सबसे बड़ा बाजार भारत है, जहां पाइरेसी विरोधी लचर कानून की वजह से माल आसानी से बिक जाता है. खुफिया अधिकारियों का दावा है कि भारत के 1 अरब डॉलर के पाइरेसी बाजार के 70 फीसदी हिस्से पर सादाफ का कब्जा है.

हालांकि यह डॉन क्रिकेट का दीवाना है पर वह मैच देखने के लिए पाकिस्तान या पश्चिम एशिया के स्टेडियमों में नहीं जा सकता. लेकिन वह कराची स्थित अपने सहयोगी शोएब खान और दुबई स्थित सुनील दुबई के जरिए एशिया के सबसे बड़े सट्टेबाजी सिंडिकेट को नियंत्रित करता है. बताया जाता है कि हाल में करीब दो महीने तक चले विश्व कप क्रिकेट टूर्नामेंट के दौरान दाऊद ने 6 अरब डॉलर की सट्टेबाजी में करोड़ों डॉलर कमाए.

भारत, पाकिस्तान और श्रीलंका के मैच शुरू होने के घंटों पहले प्रशंसकों ने उनके परिणामों के बारे में लाखों टेक्स्ट संदेश भेजे और इसे देखते हुए डॉन की हरकतों पर संदेह हुआ. मुंबई में '90 के दशक के शुरू में गैंगवार के दौरान डी-कंपनी के सदस्यों पर पर करीब से नजर रखने वाले एम.एन. सिंह ने कहा, ''उसके गुर्गों को अपने धंधे के बारे में पूरा मालूम है, वे सट्टा लगाने से पहले अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों पर मौसम की रिपोर्ट भी देखते हैं.''

डोभाल ने कहा, ''उसने भारत और नेपाल जैसे देशों पर ही ध्यान केंद्रित कर रखा है, जहां वह अपने धंधे को चलाने के लिए जरूरी व्यवस्था मुहैया करा सकता है.'' पूर्व आइबी प्रमुख डोभाल का यह भी कहना है कि ''इसलिए इस बात में कोई आश्चर्य नहीं है कि वह अफ्रीका की ओर रुख कर रहा है.''

दाऊद मादक पदार्थों का धंधा लंदन स्थित अपने सहयोगी इकबाल मिर्ची के जरिए करता है, जो 1993 के बम विस्फोटों का अभियुक्त है. पूर्वी लंदन में कुछ कैसिनो चलाने वाले मिर्ची से आइबी अधिकारियों ने 2003 में संपर्क करके सरकारी गवाह बनने के लिए कहा था लेकिन उसने मुंबई में अपनी जान को खतरा बताकर गवाह बनने से इनकार कर दिया था. इससे नाराज भारत सरकार ने 2007 में भोपाल स्थित उसके विशाल बंगले को 4.84 करोड़ रु. में नीलाम कर दिया.

दाऊद 1998 से ही अफगानिस्तान से अल .कायदा के जरिए मादक पदार्थ खरीद रहा है. अल .कायदा दाऊद के चैनलों के जरिए मादक पदार्थ, पैसा और आतंकवादियों को अफगानिस्तान से लाने-ले जाने का काम करता है. इसके बदले दाऊद भारत विरोधी गतिविधियों के लिए लश्कर-ए-तय्यबा को धन मुहैया कराता है. दाऊद ने अफगानिस्तान के अवैध स्कॉच व्हिस्की कारोबार में कदम रखने के लिए अल .कायदा से  अपने संबंधों का इस्तेमाल किया. शराब को खच्चरों पर लाद कर पाकिस्तान पहुंचाया जाता है, जहां से उसे बोतल में भर कर कराची से पानी के जहाज से दुबई और अफ्रीकी देशों में पहुंचाया जाता है.

दाऊद अब हताश होकर अपने अवैध कारोबार को वैध बनाना चाहता है. भारती का कहना है, ''मुंबई पुलिस और नेताओं पर उसकी पकड़ अब पहले जैसी नहीं रही.'' एम.एन. सिंह उनसे सहमति जताते हुए कहते हैं, ''मुझे दो जंग लड़नी पड़ी, एक दाऊद के साथ और दूसरी अपने भेदियों के साथ.'' उन्हें अपने कार्यालय में मौजूद भेदियों से जानकारी गुप्त रखने में काफी परेशानी झेलनी पड़ी.''

दाऊद के कई पैदल सिपाही और निशानेबाज मुठभेड़ में मार गिराए गए हैं. अब वह उत्तर प्रदेश, बिहार, कर्नाटक और नेपाल से अंशकालिक तौर पर गुर्गे नियुक्त कर रहा है ताकि पुलिस ऐसे कातिलों का पता न लगा सके. लेकिन उसका राजनीतिक समर्थन बरकरार है. '90 के दशक के शुरू में चर्चा थी कि करीब 75 नेता संसद में प्रवेश के लिए दाऊद के आभारी हैं लेकिन कोई भी इसकी पुष्टि न कर सका क्योंकि कुछ भी लिखित न था. उसी समय भाई ठाकुर और सुरेश उर्फ पप्पू कालाणी जैसे नेताओं को दाऊद के साथ संबंध के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. खुफिया ब्यूरो फिलहाल महाराष्ट्र विधानसभा के एक विधायक पर डॉन के साथ कथित संबंध के लिए नजर रखे हुए है.

दाऊद को आंच लगने लगी है. एबटाबाद में लादेन के मारे जाने के बाद वांछित आतंकवादियों को संरक्षण देने के मामले में पाकिस्तान का दोगलापन फिर जाहिर हुआ है. दाऊद अपनी आजादी के लिए आइएसआइ और भारत की कमजोर राजनैतिक इच्छाशक्ति का आभारी है.

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