सियाचिन में हुए हिमस्खलन के पांच दिन बाद सोमवार को एक जवान का शव मिला. बीते हफ्ते हुए हिमस्खलन में एक जूनियर कमीशन ऑफिसर सहित 10 जवान बर्फ में दब गए थे. इसके बाद से ही रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है. लेकिन खराब मौसम के चलते दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
Visuals from rescue operations in Siachen for bodies of soldiers buried after an avalanche last week (source-MoD) pic.twitter.com/qKxjGYVn4g
— ANI (@ANI_news) February 8, 2016
20 हजार फीट की ऊंचाई पर रेस्क्यू ऑपरेशन
सेना ने शुक्रवार को शहीद जवानों के नाम जारी किए थे. सभी जवान मद्रास रेजीमेंट के थे. सेनाध्यक्ष जनरल दलबीर सिंह ने रेस्क्यू ऑपरेशन में तेजी लाने के लिए अतिरिक्त संसाधनों के उपयोग का आदेश दिया था. सेना के अनुसार रेस्क्यू ऑपरेशन 20 हजार फीट की ऊंचाई पर चल रहा है.
दिन में भी मायनस 40 डिग्री रहता है पारा
यहां का तापमान रात के समय मायनस 60 डिग्री के पास चला जाता है. वहीं दिन में तापमान मायनस 40 डिग्री के करीब रहता है. सियाचिन दुनिया का सबसे ऊंचा युद्धस्थल है. 1984 में ऑपरेशन मेघदूत के बाद से भारत ने यहां अपने जवान तैनात कर रखे हैं.
बैटल स्कूल में ट्रेनिंग के बाद की चुनौतियां
सियाचिन बैटल स्कूल में पांच हफ्ते की विशेष ट्रेनिंग के बाद सियाचिन की चौकियों पर तैनाती के लिए जवानों को हेलिकॉप्टर से सफर करना पड़ता है. इन चौकियों पर रसद और गोला-बारूद की अपूर्ति भी हेलीकॉप्टर से ही की जाती है. कोई सैनिक बीमार पड़ जाए तो उसे हेलिकॉप्टर से ही बेस कैंप के अस्पताल पहुंचाया जाता है.