scorecardresearch
 

मरकर भी वो दे गया चार लोगों को नई जिंदगी

आपने कई विज्ञापन देखे होंगे जिसमें अंगदान को महादान बताया गया होगा. हालांकि अंगदान को लेकर अब भी बहुत अधिक जागरूकता तो नहीं आयी है लेकिन अच्छी बात बस इतनी है कि लोग अब इस बारे में बात करने लगे हैं.

Advertisement
X
अंगदान
अंगदान

Advertisement

आपने कई विज्ञापन देखे होंगे जिसमें अंगदान को महादान बताया गया होगा. हालांकि अंगदान को लेकर अब भी बहुत अधिक जागरूकता तो नहीं आयी है लेकिन अच्छी बात बस इतनी है कि लोग अब इस बारे में बात करने लगे हैं.

सोचिए किसी के घर का चिराग बुझ रहा हो और आपके एक फैसले से उसके घर की रोशनी बुझते-बुझते दोबारा से जल उठे तो क्या इससे बेहतर कुछ हो सकता है? विडंबना ये है कि हम अपने घर के लोगों को जिंदा रहते किडनी तो दान कर देते हैं लेकिन अंगदान को आज भी दिल से स्वीकार नहीं कर पाते हैं.

4 को दी नई जिंदगी
18 साल के दीपक धाकेता के माता-पिता ने जो फैसला किया वो वाकई हम सभी के लिए प्रेरणा है. अरबिंदो इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस में भर्ती 18 वर्षीय दीपक की मौत हो गई थी. इंदौर सोसाइटी फॉर ऑर्गन डोनेशन के सचिव और इंदौर के सरकारी महात्मा गांधी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. संजय दीक्षित को इस घटना की खबर लगी तो उन्होंने दीपक के माता-पिता को उसके अंग दान करने के लिए प्रेरित किया.

Advertisement

उनकी रजामंदी मिलते ही अंगों को जरूरतमंदों तक पहुंचाने के लिए शहर में ही ​तीन ग्रीन कॉरिडोर बनाए गए और दोपहर तक दीपक के दिल, लिवर और दोनों किडनियों को इंदौर के एक अन्य अस्पताल समेत, गुड़गांव और दिल्ली के अस्पतालों में पहुंचा दिया गया. दीपक के अंगों ने चार लोगों की जिंदगी बचा ली.

पहले भी हुए हैं प्रयास
डॉ. दीक्षित बताते हैं कि अब तक सोसाइटी के प्रयासों के चलते 16 किडनी, नौ लि‍वर और पांच दिल दान किए जा चुके हैं. उनके अनुसार, फिलहाल इंदौर में दिल और लिवर ट्रांसप्लांट की सुविधा उपलब्ध नहीं है इसलिए इन अंगों को हम दूसरे शहरों में भेज देते हैं.

दे रहे हैं प्रोत्साहन
अंगदान के लिए लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए सोसाइटी ने अनोखी पहल की है. यह सोसाइटी अंगदान करने वाले व्यक्ति के परिजन का तीन लाख रुपए का बीमा करवाती है. इसका असर भी दिखने लगा है. पिछले साल अक्टूबर महीने से लेकर अब तक इंदौर में नौ बार ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया है और मृत व्यक्ति के अंगों को दिल्ली, मुंबई और गुड़गांव में जरूरतमंदों तक सही-सलामत पहुंचाया जा चुका है.

बढ़ें हैं डोनर्स
सोसाइटी की वेबसाइट पर अब तक 10,000 से ज्यादा लोगों ने अंगदान के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया है. रजिस्ट्रेशन करवाने वाले लोगों के लिए तत्काल डोनर कार्ड तैयार कर दिया जाता है. इसके अलावा सोसाइटी के सदस्य नई पीढ़ी में अंगदान के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए शहर के स्कूलों में ओरियंटेशन भी आयोजित करते हैं.

Advertisement
Advertisement