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'नहीं बोल पाते कन्नड़ तो आ जाओ दिल्ली', CEO के इस पोस्ट से छिड़ी नई बहस

दिल्ली-एनसीआर स्थित कंपनी के सीईओ का एक हायरिंग पोस्ट इन दिनों काफी चर्चा में है. दरअसल, इस पोस्ट में बेंगलुरु में कन्नड़ नहीं बोल पाने को लेकर तंज किया गया है.

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भाषा विवाद को लेकर सीईओ का पोस्ट (सोशल मीडिया ग्रैब)
भाषा विवाद को लेकर सीईओ का पोस्ट (सोशल मीडिया ग्रैब)

दिल्ली-एनसीआर बेस्ड एक कंपनी के सीईओ के एक पोस्ट ने सोशल मीडिया पर   नई बहस को जन्म दे दिया है. उन्होंने हायरिंग के लिए एक पोस्ट शेयर किया था. इसके जरिए  उन्होंने बेंगलुरु के भाषा विवाद पर तंज कसा है और हिंदी बोलने वालों को दिल्ली आ जाने की अपील की है. 

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बेंगलुरु, जिसे भारत का टेक हब माना जाता है, न केवल स्टार्टअप्स का केंद्र है, बल्कि यहां लाखों लोगों को रोजगार मिलता है. हालांकि, हाल के वर्षों में यहां की बुनियादी सुविधाओं से जुड़े कई मुद्दे सामने आए हैं. इसमें खराब ट्रैफिक, गड्ढों से भरी सड़कें और बढ़ते किराए जैसे मसलों के बीच, प्रवासियों की बढ़ती संख्या ने शहर की व्यवस्थाओं पर सवाल खड़े कर दिए हैं.

भाषा को लेकर बेंगलुरु में चलता रहता है विवाद
इसके साथ ही भाषा को लेकर विवाद ने भी जोर पकड़ा है. कर्नाटक में कन्नड़ भाषा को बढ़ावा देने की मुहिम ने वहां रह रहे दूसरे राज्यों के लोगों को कुछ कटु अनुभव भी दिए हैं. कई लोगों ने साझा किया है कि उन्हें कन्नड़ न बोल पाने की वजह से परेशानियों का सामना करना पड़ा. टैक्सी चालकों द्वारा यात्रियों को ले जाने से इनकार, अंग्रेजी में साइनबोर्ड्स पर तोड़फोड़, हिंदी बोलने वाले ग्राहकों से अधिक पैसे वसूलने जैसी घटनाएं आम हो गई हैं.

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रोजगार के मामले में बेंगलुरु सबसे आगे
इसके बावजूद, बेंगलुरु आईटी सेक्टर में रोजगार के मामले में अन्य शहरों से काफी आगे है, इस वजह से देश के अन्य हिस्सों से लोग यहां अपने करियर बनाने आते हैं. साथ ही ऐसी तमाम छोटी-मोटी परेशानियों के बावजूद वहां रह रहे हैं. ऐसे में दिल्ली-एनसीआर स्थित एक कंपनी के सीईओ के पोस्ट ने नया विवाद खड़ा कर दिया है. 

सीईओ का विवादित पोस्ट
दिल्ली-एनसीआर की कंपनी Cars24 के सीईओ विक्रम चोपड़ा ने हायरिंग से संबंधित एक पोस्ट किया है. इसके जरिए उन्होंने बेंगलुरु के भाषा विवाद पर हल्के-फुल्के अंदाज में कटाक्ष किया है. उन्होंने लिखा है कि क्या सालों तक बेंगलुरु में रहने के बाद भी कन्नड़ नहीं बोल पाए? कोई बात नहीं, आ जाओ दिल्ली.

'घर के करीब रहना चाहते हैं तो दिल्ली आ जाएं'
उन्होंने कहा कि उनकी कंपनी उन इंजीनियर्स को भर्ती करना चाहती है, जो 'घर के करीब' यानी दिल्ली-एनसीआर में काम करना चाहते हैं. चोपड़ा ने पोस्ट में यह भी जोड़ा है कि हम यह नहीं कह रहे कि दिल्ली-एनसीआर बेहतर है. बस इतना कह रहे हैं कि यह सच में बेहतर है. अगर आप लौटना चाहते हैं, तो मुझसे vikram@cars24.com पर संपर्क करें. सब्जेक्ट लिखें - दिल्ली मेरी जान.

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लोगों की आ रही मिली जुली प्रतिक्रियाएं
इस पोस्ट ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X और लिंक्डइन पर बहस छेड़ दी. कुछ ने इसे भद्दा कहा, तो कुछ ने इसे मजाकिया अंदाज में लिया. एक यूजर ने लिखा है- यह एक भद्दा विज्ञापन है.  दूसरे ने सवाल किया है- तो आप अपनी टीम में सिर्फ उत्तर भारतीय या दिल्लीवाले चाहते हैं? बाकी लोग? वहीं, कुछ ने चोपड़ा के पोस्ट की तारीफ करते हुए कहा कि यह लोगों को अपने घरों के करीब काम करने का एक अच्छा अवसर प्रदान करता है. एक अन्य व्यक्ति ने लिखा है - बेंगलुरु की भीड़भाड़ कम करने के लिए आपका धन्यवाद. कृपया अपने अन्य व्यवसायी मित्रों को भी यही सलाह दें.

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