
यूपी के बाराबंकी में ग्रामीण अपने हाथों से अपना ही आशियाना उजाड़ने को मजबूर हैं. कोरियन पूर्वा गांव में कुछ मकान जब सरयू की कटान में डूबे तो बचे हुए लोगों ने बढ़ते प्रकृति के प्रक्रोप के चलते अपने मकान ढहाने शुरू कर दिए.
आज तक ने जब पीड़ितों से बात की तो उन्होंने बताया कि उनके सामने कई मकान सरयू में समा गए तो कुछ आधे रह गए. इसे देखते हुए उन्होंने अपने मकान बचाने की जुगत में ईंट हटानी शुरू कर दी है.
रमेश पीएम आवास योजना के अंतर्गत बने मकान में रहते थे. जब बाढ़ आई तो सब तबाह हो गए. यही कहानी वहां रह रहे प्रकाश और दाता राम की हुई. दाता राम का मकान पहले ही आधा बह चुका था और इस बार पूरा बह गया जिसके बाद वह एक तख्त पर पॉलिथीन लगा कर रहने को मजबूर हैं.
प्रकाश का दर्द भी किसी से कम नहीं. उनका आधा मकान बह गया, तब वह अपना बचा मकान समेटने में लग गए. प्रकाश अब अपनी पत्नी और छोटे-छोटे बच्चों के साथ एक खुद की बनाई झोपड़ी में रहने को मजबूर हैं. उनके परिवार को आवास और शिक्षा तो सरकार की तरफ से मिली पर प्रकृति के कहर ने सब पर पानी फेर दिया.
उनकी छोटी सी झोपड़ी में जब आजतक टीम ने जाकर उनकी धर्मपत्नी से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि जब बाढ़ आई तब वह सब कुछ छोड़ कर वहां से भागने को मजबूर हुए जिसके बाद उन्होंने यहां पर कुटिया लगाई. उनकी पत्नी ने बताया कि सरकार की मदद से स्कूली बस्ते-किताबें और शिक्षा तो मिली पर पढ़ाई का माहौल इस बाढ़ के आलम में दूर होता गया.
लेखपाल नूर मोहम्मद ने बताया कि यह आवास पीएम योजना में इनको मिला था और अब बाढ़ के साथ बह गया. उन्होंने बताया की यह बात शासन स्तर तक जा चुकी है और जल्दी ही इन सब पीड़ितों की मदद की जाएगी.
यूपी के 18 जिलों में 619 गांव बाढ़ प्रभावित हैं. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक़ 148 गांव में असर हैं जिनका सम्पर्क सड़क मार्ग से कट गया है. बाढ़ प्रभावित इलाकों में सरकार की तरफ से राहत एवं बचाव कार्य चलाया जा रहा है. अलग-अलग जगहों पर एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और पीएसी तैनात की गई है.