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डॉक्टर से हुई बड़ी चूक, युवक का प्राइवेट पार्ट काटकर हटाया

एक अस्पताल के डॉक्टर से बड़ी चूक हो गई. डॉक्टर ने इलाज के नाम पर एक युवक का प्राइवेट पार्ट काटकर अलग कर दिया. डॉक्टर ने इससे पहले कहा कि प्राइवेट पार्ट अगर काटकर अलग नहीं किया गया तो उसकी मौत हो सकती है. लेकिन बाद में डॉक्टर की चूक सामने आई. शख्स का कैंसर का इलाज चल रहा था.

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कैंसर के इलाज के दौरान डॉक्टर ने शख्स के प्राइवेट पार्ट को हटाया (प्रतीकात्मक तस्वीर/GettyImages)
कैंसर के इलाज के दौरान डॉक्टर ने शख्स के प्राइवेट पार्ट को हटाया (प्रतीकात्मक तस्वीर/GettyImages)

डॉक्टर की बड़ी गलती की वजह से एक पुरुष को अपना प्राइवेट पार्ट पूरी तरह से हटवाना पड़ा. डॉक्टर की गलती सामने आने के बाद जांच की गई और अब एक कोर्ट ने आदेश दिया है कि हॉस्पिटल, पीड़ित युवक को 54 लाख का हर्जाना दे.

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मामला फ्रांस का है. इलाज के बारे में बात करते हुए पीड़ित ने local rag Frenchblue वेबसाइट से कहा- मुझे उस डॉक्टर से नफरत हो गई है, जो मेरी बात बिल्कुल भी नहीं सुन रहा था. उसने मेरे इलाज के लिए एक बहुत ही खतरनाक प्रोसेस को चुना.

शख्स का इलाज साल 2014 में नैनटेस यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल में हुआ था. वे तीन बच्चों के पिता हैं. तब वह 30 साल के ही थे. जांच के दौरान वह carcinoma (एक तरह का कैंसर) से ग्रसित पाए गए थे. 

एडमिनिस्ट्रेटिव कोर्ट ऑफ नैनटेस में सुनवाई के दौरान बताया गया कि सर्जरी के दौरान हुई गलतियों की वजह से प्राइवेट पार्ट में कैंसर फैल गया. इस वजह से शख्स को इतना दर्द होने लगा कि उन्होंने एक समय पर तो खुद से अपने प्राइवेट पार्ट को हटाने की कोशिश की. शख्स ने कहा- लेकिन मेरी पत्नी ने मुझे इससे रोक लिया था.

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लियॉन के एक डॉक्टर ने दावा किया कि सालभर में शख्स का ट्यूमर इतना ज्यादा बढ़ गया था कि उनके पास शख्स के प्राइवेट पार्ट को हटाने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं था. अगर ऐसा नहीं किया जाता तो हो सकता था कि कैंसर से शख्स की मौत हो जाती. लेकिन अब पता चला है कि डॉक्टर ने बीमारी को समझने में गलती की.

रिपोर्ट के मुताबिक, शख्स को हर्जाने के तौर पर करीब 54 लाख रुपए (€‎61,000) का भुगतान कर दिया गया है. शख्स के वकील जार्ज पैरास्टाटिस ने इस मामले में हर्जाने के तौर पर करीब 9 करोड़ रुपए की मांग की थी, जिसे फ्रेंच कोर्ट ने रिजेक्ट कर दिया था.

हालांकि, दावा किया जा रहा है कि शख्स का वकील इस मामले में अपील करने का प्लान बना रहा है. क्योंकि इस सुनवाई में कोर्ट ने साइकोलॉजिकल डैमेज पर विचार नहीं किया था. 

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