गृह मंत्री पी चिदंबरम ने दंतेवाड़ा में सीआरपीएफ पर नक्सली हमले को ‘एक बड़ी चेतावनी’ बताते हुए कहा कि अगर हम इस पर भी नहीं चेते तो कब चेतेंगे.
चिदंबरम ने लोकसभा में दंतेवाड़ा घटना पर गुरुवार को दिनभर चली चर्चा का जवाब देते हुए इस बात को गलत बताया कि नक्सलवाद को निपटने को लेकर कांग्रेस में किसी तरह का भ्रम हैं. उन्होंने कहा ‘हमारी नीति एकदम स्पष्ट है. हम इसे एक गंभीर कानून एवं व्यवस्था का मुद्दा मानते हैं लेकिन साथ ही यह भी मानते हैं कि इसके पीछे सामाजिक आर्थिक कारण हैं जिन्हें दूर किया जाना चाहिए.
और यह भी कि वार्ता के लिए हमारे दरवाजे हमेशा खुले हैं.’ नक्सलवाद के मुद्दे से निपटने पर सरकार में मतभेद संबंधी विपक्षी सदस्यों के आरोपों के जवाब में उन्होंने कहा ‘गुरुवार को इस विषय पर सदन में चर्चा हुई और सपा नेता मुलायम सिंह ने जो कहा वह भाजपा नेता यशवंत सिन्हा की बात से अलग थी, इसी तरह जद यू नेता शरद यादव ने जो कहा वह बीजद नेता तथागत सतपति से अलग है.’
उन्होंने कहा ‘मतभेद होते हैं पर सरकार का यह कर्तव्य है कि वह आमराय बना कर आगे चले.’ गृह मंत्री ने कहा कि उन्होंने दंतेवाड़ा घटना के बाद मैदान छोड़ने के लिए इस्तीफा नहीं दिया था बल्कि एक मंत्री के रूप में नैतिक कर्तव्य को निभाया था. उन्होंने कहा कि जबकि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी उनके इस्तीफे को नामंजूर कर चुके हैं ‘मैं नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई में सुरक्षा बलों को नेतृत्व देना जारी रखूंगा.’
नक्सली हिंसा से निपटने के तौर तरीकों को लेकर विपक्ष की कड़ी आलोचना झेल रहे गृह मंत्री पी चिदम्बरम ने गुरुवार को कहा कि नक्सली आतंक के खिलाफ संघर्ष मुख्य रूप से राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है और केन्द्र इसमें उनकी सहायता को तैयार है. उन्होंने कहा कि केंद्र इसके लिए राज्यों को धन देने के लिए तैयार है लेकिन उसे खर्च किया जाना चाहिए. {mospagebreak}
उन्होंने शिकायत की कि अधिकतर राज्य इस राशि को खर्च नहीं कर रहे हैं. उन्होंने कहा, कि दंतेवाड़ा हमले में 76 सुरक्षाकर्मी मारे गए हैं और यह ‘भयावह गलती’ का नतीजा है. लेकिन उन्होंने सदस्यों से कहा कि वह किसी नजीते पर पहुंचने से पहले इस घटना की जांच के लिए गठित ई एन राममोहन समिति की रिपोर्ट की प्रतीक्षा करें. उन्होंने कहा कि 24-25 अप्रैल तक रिपोर्ट पेश हो जायेगी और वह इसके परिणामों के बारे में सदन को अवगत करायेंगे.
उन्होंने भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के एक सवाल पर सदन को भरोसा दिलाया कि दंतेवाड़ा त्रासदी में मारे गए सीआरपीएफ कर्मियों के परिवार वालों को सम्मानजनक मुआवजा दिया जायेगा. चिदंबरम ने कहा कि प्रत्येक शहीद के परिजन को केंद्र की ओर से 35-35 लाख रूपया दिया जायेगा. यह राज्य सरकार के पांच से 15 लाख रूपये दिये जाने के अतिरिक्त होगा.
उन्होंने यह भी बताया कि शहीदों के परिवार में एक योग्य व्यक्ति को नौकरी दी जायेगी. साथ ही शहीद के अंतिम मूल वेतन के समकक्ष राशि उसके आश्रित को उसके शेष सेवा अवधि तक दी जायेगी. गृह मंत्री ने इसके साथ सदन को यह आश्वासन दिया कि आश्रितों के पहचान करने सहित सभी प्रक्रिया इस महीने के अंत तक पूरी कर ली जायेगी. नक्सलवाद की समस्या पर सर्वदलीय बैठक बुलाने की सपा, राजद और कुछ अन्य दलों के सुझाव का स्वागत करते हुए उन्होंने कहा कि इस बारे में वह प्रधानमंत्री से बात करेंगे. {mospagebreak}
गृह मंत्री ने कहा कि वह इस बात से गाफिल नहीं हैं कि नक्सलवाद की जड़ में सामाजिक आर्थिक पिछड़ेपन की समस्या है लेकिन इसके लिए केंद्र जिम्मेदार नहीं है. उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल के लालगढ़ में 30 साल से कोई विकास कार्य नहीं हुआ, तो इसका जिम्मेदार केंद्र कैसे हो सकता है. उन्होंने कहा कि इसी प्रकार छत्तीसगढ़, झारखंड आदि नक्सल प्रभावित राज्यों में विकास नहीं होने के लिए वहां की राज्य सरकारें जिम्मेदार हैं. चिदम्बरम ने कहा कि नक्सल विरोधी अभियान के दो युक्तिपूर्ण स्तम्भ है.
एक पुलिस कार्रवाई और दूसरा विकास. गृह मंत्री ने नक्सलियों के विरूद्ध कड़े रूख की वकालत करते हुए कहा, ‘हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि नक्सलवादियों का लक्ष्य हथियारबंद स्वतंत्रता युद्ध के माध्यम से सरकार के सुस्थापित अधिकारों को समाप्त करना है. राज्य को उन उग्रवादियों को रोकने, गिरफ्तार करने और यदि आवश्यक हो तो मार गिराने का तर्कसंगत अधिकार है, जो हमारे राष्ट्र की जड़ों पर प्रहार करने के लिए कटिबद्ध हैं.’
नक्सलियों को मार गिराने का तर्कसंगत अधिकार बताने के साथ ही चिदम्बरम ने उनसे सशर्त वार्ता की भी बात कही. उन्होंने कहा, ‘हमने भाकपा (माओवादी) से इस आशा के साथ बातचीत का आहवान किया था कि वे इस पर ईमानदारी से विचार करेंगे. एकमात्र शर्त है कि भाकपा (माओवादी) हिंसा का रास्ता छोड़ दें.’ चिदम्बरम ने कहा कि नक्सलवाद की समस्या से निपटने के लिए समझदारी, मजबूत हृद्य और अत्याधिक सहनशक्ति की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि सरकार के पास ये तीनों गुण हैं.