सोशल मीडिया एक ऐसी दुनिया है, जहां एक झूठ सेकंडों में सच बन जाता है. अफवाहें आग से भी तेज फैलती हैं, और हकीकत को फिक्शन से अलग करना मुश्किल हो जाता है. हाल ही में एक वीडियो ने एक सोसायटी में रहने वाले लोगों को रात 9:09 बजे आसमान की ओर देखने और विश मांगने पर मजबूर कर दिया. दावा है कि 21 अप्रैल 2025 को लाइरिड उल्कापात के दौरान यह 'दुर्लभ संयोग' आपकी हर इच्छा पूरी कर सकता है.
एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसे इंस्टाग्राम पर @somaandsons नाम के प्रोफाइल से शेयर किया गया है. वीडियो में एक हाउसिंग सोसायटी की महिला बालकनी में खड़ी होकर कहती है कि 21 अप्रैल है और रात के 9 बजकर 9 मिनट हो चुके हैं.
वह बताती है कि सोशल मीडिया पर एक रील वायरल हुई है, जिसमें दावा किया गया कि 21 अप्रैल को रात 9:09 बजे जो भी विश मांगी जाएगी, वो पूरी होगी.
वीडियो में दिखाया गया है कि सोसायटी के लोग अपने घरों से बाहर निकलकर छतों पर आ गए हैं, आंखें बंद करके विश मांग रहे हैं. महिला का कहना है कि ये सब कुछ सिर्फ एक वायरल रील की वजह से हो रहा है.
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रील्स में क्या किए गए थे दावे
वायरल वीडियो और रील्स में यह दावा किया गया कि 21 अप्रैल को यूनिवर्स में एक दुर्लभ खगोलीय संयोग बन रहा है. कहा गया कि यह दिन बेहद पॉवरफुल है, क्योंकि इस दिन आसमान से उल्कापिंडों की बारिश होगी. दावा यह भी किया गया कि इस दिन आप जो भी विश करेंगे, वह पूरी होगी.
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इसके पीछे एक अंकशास्त्रीय लॉजिक भी जोड़ा गया है. कहा गया कि 21 अप्रैल 2025 मंगल का वर्ष है. अगर आप 9:09 बजे के समय को देखें, तो (0+9+0+9 = 18 और 1+8 = 9) आता है. अंक 9 का संबंध मंगल ग्रह से बताया गया है, जो ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है. इसी वजह से यह दावा किया गया कि 21 अप्रैल की रात 9 बजकर 9 मिनट पर दिव्य ऊर्जा सबसे ज़्यादा सक्रिय होगी.
क्या कहता है विज्ञान
लाइरिड उल्कापात (Lyrid Meteor Shower) एक वास्तविक खगोलीय घटना है, जो हर साल 16 से 25 अप्रैल के बीच होती है. यह थैचर धूमकेतु (Comet Thatcher) के मलबे से बनता है. लेकिन वायरल दावों में कई गलतियां हैं. NASA के अनुसार, लाइरिड उल्कापात 2025 में 22 अप्रैल को सुबह 3:00 से 5:00 बजे IST के बीच अपने चरम पर होगा, न कि 21 अप्रैल को रात 9:09 बजे. रात 9:09 बजे लायरा नक्षत्र (उल्कापात का केंद्र) क्षितिज पर नीचे होता है, जिससे उल्काएं देखना लगभग असंभव है.
भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (IIA) जैसे संगठनों के मुताबिक, उल्कापात का 'दिव्य ऊर्जा' या विश मांगने से कोई संबंध नहीं है.यह एक प्राकृतिक खगोलीय नजारा है, न कि जादुई घटना.