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परिजनों ने छोटी उम्र में ट्रांसजेंडर समझ घर से न‍िकाला तो मांगी भीख, 13 साल बाद म‍िला हक

राजस्थान के धौलपुर में पर‍िजनों ने 14 वर्ष साल की उम्र में थर्ड ट्रांसजेंडर को घर से बाहर न‍िकाला तो वह सड़कों पर भीख मांग कर दिल्ली पहुंची. उसने अपने हक के लिए कोर्ट में लड़ाई लड़ी. कोर्ट से जीत मिलने के बाद उसको पैतृक संपत्ति में अध‍िकार म‍िला. अब वह अंग्रेजी में पोस्ट ग्रेजुएट करने बाद अंग्रेजी में पीएचडी कर रही हैं. वह वर्तमान में समाज सेवा का कार्य कर रही हैं. इंडोनेशिया, कतर, श्रीलंका, यूगोस्लाव‍िया में भारत का प्रतिनिधित्व क‍िया है.

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देवेंद्र शर्मा उर्फ देव‍िका की बचपन की फोटो.
देवेंद्र शर्मा उर्फ देव‍िका की बचपन की फोटो.
स्टोरी हाइलाइट्स
  • परिजनों ने 14 साल की उम्र में देवेंद्र उर्फ़ देविका को निकाला घर से बाहर
  • सड़कों पर भीख मांग कर देविका पहुंची दिल्ली
  • कोर्ट से जीत मिलने के बाद देविका को मिली पैतृक संपत्ति

कभी 14 साल की उम्र में लड़का होते हुए लड़क‍ियों जैसी हरकत के कारण घर से न‍िकाल द‍िए गए शख्स की ज‍िंंदगी ऐसे बदली क‍ि वह प्रेरणा का कारण बन गया. 

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राजस्थान के धौलपुर शहर की रहने वाले एक प्रतिष्ठित परिवार के यहां देवेंद्र शर्मा उर्फ देव‍िका ने जन्म लिया. परिवार में पुत्र रत्न की प्राप्ति में काफी खुशियां मनाई गई. धीरे-धीरे देवेंद्र बड़ा होने लगा. उसके बाद देवेंद्र को प्राथमिक शिक्षा के लिए परिजनों ने शहर के नामीगिरामी स्कूल एवीएम कान्वेंट स्कूल में भर्ती करा दिया.

देवेंद्र पढ़ने में काफी होशियार था लेकिन जैसे-जैसे ही देवेंद्र बड़ा होने लगा तो उसकी एक्टिविटी बदलने लगी. देवेंद्र लड़कियों जैसे कार्य करने लगा. सजना-संवरना उसको अच्छा लगने लगा तो उसने अपनी मां को यह जानकारी दी.

उसके बाद परिवार में कोहराम छा गया और देवेंद्र पर परिजनों ने बंदिश लगा दी. इसके बाद 14 साल की उम्र में साल 2005 में देवेंद्र को घर से निकाल दिया. देवेंद्र जब घर निकला तो उसके पास बीस रुपये थे. 

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खाने-पीने के लिए जगह-जगह भीख मांगी

देवेंद्र खाने-पीने के लिए जगह-जगह भीख मांगी और ट्रेन से दिल्ली पहुंच गया. रेलवे स्टेशन और फुटपाथ पर भी रात गुजारी. देवेंद्र ने तीन साल तक दिल्ली में भीख मांग कर पेट भरा और उसके बाद अपने समाज के लोगों के पास पहुंच गया. वहां रह कर नाइट स्कूल से पढ़ाई की. देविका ने अंग्रेजी में पोस्ट ग्रेजुएट किया और वर्तमान में अंग्रेजी साहित्य में पीएचडी कर रहा है.

देवेंद्र शर्मा का सरकारी रिकार्ड और कागजातों, अंक तालिका में देवेंद्र शर्मा नाम है लेकिन अब देवेंद्र का नाम देवेंद्र एस मंगला मुखी उर्फ़ देविका है और लोग उसे देविका के नाम से पुकारते हैं. वर्ष 2013 में देविका ने अधिकारों के लिए सुप्रीम कोर्ट में प‍िटीशन दायर की और कोर्ट ने जून 2014 में प्रथम थर्ड जेंडर का देविका को अधिकार मिल गया.

कोर्ट से म‍िला पैतृक अधिकार

होश संभालने के बाद देविका के पिताजी का स्वर्गवास हो गया तो उसने घर वापसी के लिए धौलपुर के सीजेएम कोर्ट में वर्ष 2015 में केस दायर किया. उनके वकील रामकुमार शर्मा थे. सीजेएम कोर्ट से देविका ने अपना केस एडीजे कोर्ट में ट्रांसफर करा लिया. करीब साढ़े तीन साल तक लंबी लड़ाई लड़ने के बाद देविका ने एडीजे कोर्ट से वर्ष 2018 में जीत हासिल की. इसके बाद देवेंद्र उर्फ़ देविका की घर वापसी हुई और देविका को पैतृक अधिकार मिल गया. 

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देविका के पिता का देहांत हो चुका है. परिवार में मां ने उसे पैतृक सम्पति में से हिस्सा दे दिया. इसके बाद देवेंद्र उर्फ़ देविका एक संस्था के माध्यम से समाज की विधवा, विकलांग, सेक्स वर्कर और अभावग्रस्त परिवारों के लिए सेवा का काम कर रही हैं. संयुक्त राष्ट्र संघ के दौरे के दौरान उन्होंने भारत देश का प्रतिनिधित्व किया है. 

देवेंद्र उर्फ़ देविका ने इंडोनेशिया, कतर, श्रीलंका, यूगोस्लाव‍िया का दौरा किया है. भारत सरकार द्वारा उनको सर्वोच्च सम्मान राष्ट्रीय मीरा दिया है. देवेंद्र उर्फ़ देविका अच्छा कत्थक नृत्य करती हैं और दूरदर्शन के साथ कई राज्यों में अपनी प्रस्तुति दे चुकी हैं. 

 

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