प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीनों कृषि कानूनों की वापसी के ऐलान के बाद अब सोशल मीडिया में अनुच्छेद -370 और नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर सवाल उठने लगे हैं. सात साल में पहली बार सरकार ने विरोध प्रदर्शन की वजह से किसी कानून को वापस लिया है, ऐसे में लोग पूछ रहे हैं कि क्या अगली बारी अनुच्छेद-370 और सीएए को रद्द करना होगा?
गुरु नानक देव के प्रकाश पर्व पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया. इन तीनों कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली के अलग-अलग सीमाओं के अलावा कई प्रदेशों में किसान आंदोलन कर रहे थे. आंदोलन के एक साल पूरे होने से पहले ही मोदी सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया है.
Next is what? Article 370 back?
— Smita Prakash (@smitaprakash) November 19, 2021
इस ऐलान के बाद अब जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 को वापस लगाने और नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को वापस लेने की मांग उठने लगी है. हालांकि, कई ऐसे लोग भी हैं जो कृषि कानूनों के वापस लिए जाने के पक्ष में नहीं हैं, उन्होंने सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि चुनाव के चक्कर में अनुच्छेद-370 लगाने और सीएए वापस लेने का फैसला भी मत कर लीजिएगा.
#FarmLaws
— Riddhi Kapil🇮🇳 (@RiddhiKapil) November 19, 2021
The repealing of the laws wasn't a good decision in the long run. In no time we will see anti nationals protesting for article 370 and force the government to take that back too. #Farmlawsrepealed #tikait #Punjab
5 अगस्त 2019 को हटाया गया था अनुच्छेद - 370
आपको बता दें कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 को 5 अगस्त 2019 को हटाया गया था. अनुच्छेद 370 के जरिए जम्मू कश्मीर राज्य को विशेष अधिकार मिले थे. जम्मू-कश्मीर का अलग झंडा और अलग संविधान चलता था. रक्षा, विदेश और संचार के विषय छोड़कर सभी कानून बनाने के लिए राज्य की अनुमति जरूरी थी.
What next? Article 370?#FarmLaws #KisanMajdoorEktaZindabaad #GuruNanakJayanti #किसानआंदोलन pic.twitter.com/tjGQ1O3DnI
— Parakram News🇮🇳 (@ParakramNews) November 19, 2021
अनुच्छेद-370 के तहत ही जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के पास दोहरी नागरिकता होती थी. दूसरे राज्यों के लोग जम्मू कश्मीर में जमीन नहीं खरीद सकते थे. 5 अगस्त 2019 को मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद -370 को हटा दिया था और लद्दाख को अलग करके जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बना दिया था.
Soon, Abdullah and Mufti are going to come to the Delhi border to abrogate Article 370. @narendramodi ji @PMOIndia UP election campaign ke chakkar me isko mat hata dena ye acha decision tha. pic.twitter.com/W8aXtZwbdM
— Kanak Gupta (@kanak__gupta) November 19, 2021
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाए जाने का स्थानीय लोग विरोध करने लगे थे. कश्मीर का एक बड़ा तबका फिर से अनुच्छेद-370 लगाने की मांग करता रहा है. अब कृषि कानूनों की वापसी के बाद सोशल मीडिया में अनुच्छेद-370 को फिर से लगाने की मांग उठने लगी है. वहीं कुछ लोगों ने सरकार को नसीहत दी कि इसे मत हटा देना.
सीएए को लेकर पूरे देश में चला था आंदोलन
मोदी सरकार ने 11 दिसंबर 2019 को ही नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) पास किया था. इसके बाद पूरे देश में धरना प्रदर्शन का दौर शुरू हो गया था. दिल्ली के शाहीन बाग और देश के कई अन्य हिस्सों में भी शाहीन बाग की तर्ज पर धरना प्रदर्शन किए गए. लखनऊ के घंटाघर, अलीगढ़ विश्वविद्यालय में भी जबरदस्त प्रदर्शन हुआ था.
no caa no nrc no farm laws.
— Aakar Patel (@Aakar__Patel) November 19, 2021
protest works.
कई महीनों तक चले इन आंदोलनों के सामने मोदी सरकार झुकी नहीं. इसी बीच कोरोना की लहर आ गई और आंदोलन खत्म हो गए. अब तीनों कृषि कानूनों की वापसी के बाद सीएए को वापस लेने की भी मांग उठ रही है.