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'रोते क्यों हो... ये हमारे लिए वेकअप कॉल है ?', छोटे से देश के पूर्व राष्ट्रपति ने नेताओं को फटकारा, ट्रंप की नीतियां हैं वजह!

दुनिया भर के देशों को दी जा रही मदद पर ट्रंप की रोक कई राष्ट्रों के लिए झटके की तरह है. इस फैसले से कई मुल्क के लीडर हताश हैं. वहीं एक छोटे से देश के पूर्व राष्ट्रपति ने ऐसे नेताओं को फटकार लगाई और कहा है कि आप रोते क्यों हो, क्या आप अमेरिका में टैक्स देते हो?

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ट्रंप ने कई देशों को मिलने वाली मदद पर रोक लगा दी है.
ट्रंप ने कई देशों को मिलने वाली मदद पर रोक लगा दी है.

डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका की ओर से दुनिया के कई देशों को मिल रही आर्थिक मदद पर फुलस्टॉप लगा दिया है. अफ्रीका के कई छोटे-छोटे देश बड़ी उम्मीद भरी निगाहों से अमेरिका की ओर से मिल रहे डॉलर पर नजर टिकाये रहते थे. लेकिन अब ये सहायता बंद हो गई है. ट्रंप के इस फैसले पर अफ्रीका के कई छोटे-छोटे देश हताश हैं.  

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इन छोटे-छोटे देशों को केन्या के पूर्व राष्ट्रपति उहुरु केन्याटा ने फटकार लगाई है साथ ही साथ उन्होंने ट्रंप पर तंज भी कसा है. उहुरु केन्याटा ने अफ्रीकी नेताओं को कहा कि 'आप रो क्यों रहे हैं, वहां आपकी सरकार नहीं है, वो आपका देश नहीं है."

बता दें कि ट्रंप प्रशासन ने एक कार्यकारी आदेश के माध्यम से सभी अमेरिकी विदेशी सहायता कार्यक्रमों की समीक्षा करने के लिए उन पर व्यापक रोक लगाने की घोषणा की. गौरतलब है कि संयुक्त राज्य अमेरिका मानवीय आधार पर दुनिया में सबसे ज्यादा सहायता प्रदान करने वाला देश है. इस मामले में उसकी हिस्सेदारी 40 प्रतिशत है.

ट्रंप ने कहा कि दूसरे देशों को अमेरिका की ओर से दी जाने वाली मदद अमेरिकी हितों के अनुरूप नहीं है और कई मामलों में तो ये अमेरिकी मूल्यों के खिलाफ भी है.

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बुधवार को केन्याटा, जो 2013 से 2022 तक केन्या के राष्ट्रपति रहे हैं, ने मोम्बासा में पूर्वी अफ्रीका क्षेत्र वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा शिखर सम्मेलन में क्षेत्रीय नेताओं को संबोधित किया. 

अपनी टिप्पणी में केन्याटा ने ट्रम्प द्वारा ग्लोबल मेडिकल सहायता रोके जाने के बारे में "रोने" के लिए नेताओं को आड़े हाथों लिया. 

पूर्व राष्ट्रपति केन्याटा ने कहा, "मैंने कुछ लोगों को रोते हुए देखा कि ट्रम्प ने फंडिंग बंद कर दी है. वह हमें और पैसा नहीं दे रहे हैं." उन्होंने पूछा, "आप क्यों रो रहे हैं? यह आपकी सरकार नहीं है; यह आपका देश नहीं है. ट्रंप के पास कोई वजह नहीं है कि वो कुछ दें, आप अमेरिका में तो टैक्स नहीं देते हैं." 


ट्रंप पर तंज कसते हुए केन्याटा ने कहा कि ये तो आप लोगों के लिए वेकअप कॉल है.  तालियों की गड़गड़ाहट के बीच पूर्व राष्ट्रपति ने कहा, "ये हमारे लिए वेकअप कॉल है और ये सोचने का वक्त है अब हम अपनी मदद करने के लिए क्या करने जा रहे हैं, रोने के बजाय अब ये सोचने का समय है. कोई भी आपको हमेशा के लिए मदद नहीं करने वाला है."

अफ्रीकी नेताओं की चेतना को झकझोरते हुए केन्याटा ने कहा, "अब वक्त आ गया है कि हम ये सोचें कि हम अपने संसाधनों का अपनी बेहतरी के लिए कैसे इस्तेमाल कर सकते हैं. अब तक हम इसका गलत प्रयोग करते आए हैं."

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सीएनएन के अनुसार अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प के इस आदेश पर अफ्रीका रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र के महानिदेशक डॉ. जीन कासेया बताते हैं कि इस फंडिंग रोक का उन लाखों लोगों पर कितना विनाशकारी प्रभाव पड़ेगा जो पीड़ित हैं और यह न केवल गरीब देशों के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक बड़ा खतरा बन गया है. 

बता दें कि राष्ट्रपति बनते ही ट्रंप ने अमेरिका को विश्व स्वास्थ्य संगठन से भी बाहर कर लिया है. ट्रम्प का यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब अफ्रीका में काम कर रहे WHO के पास स्वास्थ्य संबंधी कामों के लिए पहले से ही पर्याप्त धन नहीं था. इस वर्ष की शुरुआत में 12 में से आठ क्षेत्रों को 50% से भी कम धन दिया गया था.

अफ्रीकी क्षेत्र के लिए WHO के माध्यम से सभी अमेरिकी फंडिंग का 27 प्रतिशत पोलियो उन्मूलन में जाता है, 20% गुणवत्तापूर्ण आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं तक बेहतर पहुंच के लिए उपयोग किया जाता है, और शेष राशि का अधिकांश हिस्सा महामारी की तैयारी और निपटान में जाता है.

WHO और  अमेरिका की साझेदारी ने लंबे समय से अफ्रीका में HIV/AIDS से निपटने के उपायों को सपोर्ट दिया है. लेकिन अब  फंड की कमी से पूरे महाद्वीप में रोकथाम, परीक्षण और उपचार कार्यक्रमों की उपलब्धता कम हो सकती है. इससे 2030 तक एड्स को समाप्त करने की मुहिम को खतरा है.
 

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