जनरल विजय कुमार सिंह (वी के सिंह) भारतीय सेना के 24वें जनरल हैं. इन्हें पीवीएसएम, एवीएसएम, वाईएसएम और एडीसी जैसे सम्मान हासिल हैं. जनरल सिंह ऐसे पहले ट्रेंड कमांडो हैं जिन्हें देश का आर्मी चीफ बनने का गौरव हासिल है. साथ ही सरकार को सुप्रीम कोर्ट तक ले जाने वाले भी वो पहले जनरल हैं.
राजस्थान स्थित पिलानी के बिरला पब्लिक स्कूल से स्कूली शिक्षा लेने वाले जनरल सिंह के पिता और दादा जी भी भारतीय सेना में कार्यरत थे. उनके पिता कर्नल थे जबकि दादा जेसीओ. सेना को सेवा देने वाला यह परिवार हरियाणा के भिवांडी जिले के बोपारा गांव का रहने वाला है.
जनरल सिंह ने सेना में अपने करियर की शुरुआत 14 जून 1970 को बतौर सेकेंड लेफ्टिनेंट राजपूत रेजीमेंट के साथ की. जनरल सिंह को काउंटर इन्सर्जन्सी ऑपरेशन और ऊंचाई पर दुश्मनों पर धावा बोलने की विद्या में महारत हासिल है.
उन्होंने बांग्लादेश युद्ध को करीब से देखा है और सेना अध्यक्ष के पद पर कार्यरत होने से पूर्व कई अन्य महत्वपूर्ण पदों पर अपनी सेवा दी है.
वी के सिंह सेना मुख्यालय में मिलिट्री ऑपरेशंस डायरेक्टोरेट के पद पर काम कर चुके हैं. इससे पहले जब भारतीय सेना को 2001 में संसद पर हमले के बाद ऑपरेशन पराक्रम के तहत सीमा पर तैनात किया गया था तो वी के सिंह ब्रिगेडियर जनरल स्टाफ ऑफ ए कॉर्प्स के तौर पर कार्यरत थे.
उन्होंने पंजाब में अंबाला के दो कॉर्प्स और जालंधर के 11 कॉर्प्स के कमांडेंट के तौर पर भी अपनी सेवा दी है. साथ ही भूटान स्थित इंडियन मिलिट्री ट्रेनिंग टीम के मुख्यालय में बतौर अध्यापक भी वो अपनी सेवाएं दे चुके हैं.
वी के सिंह को काउंटर इन्सर्जन्सी फोर्स के प्रमुख के तौर बेहतरीन कार्य के लिए अति विशिष्ठ सेवा मेडल से नवाजा जा चुका है.
अपने विशिष्ठ कार्यों के कारण 31 मार्च 2012 को जनरल वी के सिंह आर्मी चीफ बनाये गए.
हालांकि तब तक सिंह अपने जन्मतिथि को लेकर विवादों में आ चुके थे. इस मामले को लेकर वो सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट तक गए. हालांकि, इसी साल 10 फरवरी को उन्होंने अपनी रिट याचिका वापस ले ली. कोर्ट ने यह माना कि सिंह के जन्मतिथि में कोई विवाद नहीं है लेकिन उसने इस बात की तहकीकात करनी चाही कि आखिर कैसे इस तारीख को दर्ज किया गया. कोर्ट ने साथ ही यह भी कहा कि सिंह ने तीन अवसरों पर गलत जन्मतिथि को स्वीकार किया.
जनरल सिंह मिलिट्री प्रमुख के रूप में लगातार विवादों में रहे. कभी अपने जन्मतिथि को लेकर तो कभी चिट्ठी लीक को लेकर. इसके बावजूद जनरल वी के सिंह की छवि बेहद साफ और ईमानदार अधिकारी की रही है. यही कारण है कि रिटायर होने से पहले ही उनके भविष्य को लेकर कयास लगाया जाने लगा है और टीम अन्ना की तरफ से भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम का हिस्सा बनने का निमंत्रण भी उन्हें मिला है.