एक हाई स्कूल में पढ़ने वाली लड़की को उत्तरी इजरायल में खुदाई के दौरान एक प्राचीन 'जादुई' आइना मिला है, जो 1500 साल पुराना बताया जा रहा है. इसे तब बुरी नजर से बचने के लिए इस्तेमाल किया जाता था. लड़की ने इजराइल पुरावशेष प्राधिकरण पुरातात्विक द्वारा की जा रही खुदाई में हिस्सा लिया था, तभी उसे ये मिला. कुछ दिन पहले हाइफा की रहने वाली 17 साल की अवीव वीजमैन ने उषा नामक प्राचीन स्थल पर खुदाई में हिस्सा लिया और बीजान्टिन काल की खोज की. उसे 1,500 साल पुराना 'जादुई आइना' मिला.
उषा को ओशा के नाम से भी जाना जाता है. ये गलील में एक यहूदी गांव था, जो नाजरेथ शहर से लगभग 8 किलोमीटर दक्षिण पश्चिम में स्थित है. रोमन उत्पीड़न से भागकर रब्बियों (यहूदियों से जुड़ा शब्द) द्वारा स्थापित शहर के अवशेष हाल ही में मिले हैं, इनमें सड़कें, फर्श, अनुष्ठान स्नान स्थल, तेल और शराब बनाने की मशीन शामिल हैं. शिक्षा मंत्रालय के एक कार्यक्रम के तहत हाई स्कूल के 500 छात्रों ने खुदाई में हिस्सा लिया था. कोर्स के दौरान छात्रों ने माउंट मेरोन से माउंट हर्मन तक 90 किलोमीटर के ट्रेक पर काम किया.
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मिट्टी के बर्तन का टुकड़ा मिला
इस दौरान छात्रों ने देश भर में स्थित प्राचीन स्थलों पर इजरायल पुरातन प्राधिकरण पुरातात्विक की खुदाई में हिस्सा लिया. ये वो स्थान हैं, जिन्हें भविष्य में जनता के लिए खोला जाएगा. इन्हीं स्थानों में से एक किर्यत अता के नजदीक उषा स्थल है. यहां खुदाई का निर्देशन इजरायल पुरातन प्राधिकरण के पुरातत्वविद् हाना अबू उक्सा अबुद ने किया था.
इस हफ्ते खुदाई में एक विशेष खोज हुई. एक मिट्टी के बर्तन का टुकड़ा मिला है, जो इमारत की दीवारों के बीच जमीन से बाहर निकल रहा था. अवीव ने उसे उठाया और इजरायल पुरातन प्राधिकरण के साउदर्न इजुकेशन सेंटर के निदेशक डॉक्टर इनाट अंबर-आर्मोन को दिखाया, जिन्होंने इसे एक जादुई आइना बताया.
आइना बुरी नजर से कैसे बचाता था?
इजरायल पुरावशेष प्राधिकरण के क्यूरेटर नेविट पोपोविच के अनुसार, ये टुकड़ा 4-6वीं शताब्दी ईस्वी के बीजान्टिन काल के एक 'जादुई आइने' का हिस्सा है. बुरी नजर से सुरक्षा के लिए प्लेट के बीच में एक कांच का आइना रखा जाता था. ऐसा माना जाता है कि इससे बुरी आत्मा, जैसे कि राक्षस से बचा जा सकता है. वो जब आइने में देखते तो उन्हें अपना ही प्रतिबिंब दिखता और इससे आइने के मालिक की रक्षा होती. इसी तरह के आइने अतीत में अंतिम संस्कार के तोहफे के तौर पर मृतक को दिए जाते थे, ताकि आने वाली दुनिया की यात्रा में उसकी रक्षा की जा सके.