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बकरे का हिंदू रीति-रिवाज से क‍िया गया अंतिम संस्कार, न‍िकाली गई शवयात्रा

होमगार्ड रामप्रकाश ने परिजनों के साथ बैठकर एक दिन योजना बनाई कि यदि बकरे की मौत होती है तो वह हिंदू रीति-रिवाज से उसका अंतिम संस्कार करेगा और उसकी आत्मा की शांति के लिए ब्राह्मण भोज का भी आयोजन करेगा.

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बकरे की शवयात्रा.
बकरे की शवयात्रा.
स्टोरी हाइलाइट्स
  • कौशांबी में दिखा पशु प्रेम
  • बकरे का अनोखे तरीके से किया गया अंतिम संस्कार
  • हिंदू रीति-रिवाज से बकरे का किया गया अंतिम संस्कार

यूपी के कौशांबी जिले में पशु प्रेम की यादगार तस्वीर देखने को मिली, जो लोगों के लिए एक किस्सा बन गया. यहां एक बकरे की मौत के बाद जहां परिजनों में शोक की लहर दौड़ गई. वहीं, मृत बकरे के मालिक ने बाकायदा हिंदू रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार भी किया.

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शव यात्रा के दौरान राम नाम सत्य के जयकारे भी लगाए गए. इसके अलावा बकरे की मृत आत्मा की शांति के लिए ब्राह्मण भोज का भी आयोजन किया जाएगा है. पशु प्रेम की इस कहानी को सुनकर हर कोई आश्चर्यचकित भी है और लोगों के मन में पशु प्रेम की भावना भी जागृत होने लगी है.

सिराथू तहसील क्षेत्र के सयारा मीठेपुर निहालपुर गांव निवासी रामप्रकाश यादव होमगार्ड के पद पर तैनात हैं. उनकी तैनाती मुख्य विकास अधिकारी कार्यालय में है. उन्होंने एक बकरा पाल रखा था.  बकरा घर में रहते-रहते काफी घुल मिल गया था. उसका नाम कल्लू रख दिया गया. बकरे को अपना बेटे जैसा समझकर उसका पालन-पोषण करते थे.

हिंदू रीति-रिवाज से क‍िया गया अंतिम संस्कार

परिजनों को भी बकरे से काफी प्रेम हो गया था. ऐसे में वह बकरे को किसी कसाई के हाथों बेचना नहीं चाहते थे. रामप्रकाश ने परिजनों के साथ बैठकर एक दिन योजना बनाई कि यदि बकरे की मौत होती है तो वह हिंदू रीति-रिवाज से उसका अंतिम संस्कार करेगा और उसकी आत्मा की शांति के लिए ब्राह्मण भोज का भी आयोजन करेगा.

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बकरा दो दिन से बीमार चल रहा था. उसकी दवा भी कराई गई लेकिन शुक्रवार की सुबह अचानक बकरे की मौत हो गई. इसके बाद परिजनों में शोक की लहर दौड़ गई. 

खुद का सिर भी मुंडवा लिया

ग्रामीणों के साथ मिलकर रामप्रकाश फिर बकरे की अंत्येष्टि की तैयारी में जुट गया. बकायदा बकरे की शव यात्रा निकाली गई. इसके बाद उसे अपने निजी खेत में ले जाकर हिंदू रीति रिवाज से अंतिम-संस्कार किया. इतना ही नहीं शुद्धिकरण के लिए उसने अपना सिर भी मुंडवा लिया और दाग भी दिया. 

राम प्रकाश यादव ने बताया, एक बकरा मैंने पाल रखा था. उसका नाम कल्लू था. वह साढ़े 5 साल का था. बीच में तबीयत ज्यादा खराब नहीं हुई है, पता नहीं क्या हुआ लेकिन दो दिन के भीतर बीमारी से वह मर गया. उसको मैंने अपनी जी जान से लगाकर औलाद की तरह पाला था. हमारे पास कोई संतान नहीं है, इसलिए उसी को अपना संतान समझकर पाल लिया. हमने हिंदू-रीति रिवाज में जो होता है उसी तरह अंतिम संस्कार किया है. उसकी आत्मा की शांति के लिए मैं सब कुछ करूंगा. हमने उसको ले जाकर खेत में दफनाया. जैसे किसी आम आदमी का अंतिम संस्कार होता है उसी तरह किया है. दाग भी दिया और इसकी तेरहवीं भी करूंगा. 

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