गूगल डूडल ने सोमवार को कर्नाटक गायक एमएस सुब्बुलक्ष्मी का 97वां का जन्मदिन मनाया. गूगल डूबल की तस्वीर में सुब्बुलक्ष्मी की लाल-काली बिंदी, तानपुरा, तबला, मृदंग और घटम को दिखाया गया है.
सुब्बुलक्ष्मी कर्नाटक फ्यूजन, रॉक और शास्त्रीय संगीत के लिए जानी जाती हैं. एमएस सुब्बुलक्ष्मी पहली भारतीय संगीतकार हैं, जिन्हें भारत रत्न से नवाजा गया. रमन मैगसेसे अवॉर्ड पाने वाली भी वह पहली भारतीय संगीतकार हैं.
इनके काम को सम्मान देने के लिए कुछ समय पहले सोने के कुछ गढ़े हुए सिक्के तैयार किए गए थे, जिन्हें कैंसर और मधुमेह के शोध के लिए दान में दे दिया गया था. अब सुब्बुलक्ष्मी के 88 साल के जीवन को फिल्मकार राजीव मेनन पर्दे पर दिखाएंगे. मेनन ने पहले तमिल फीचर फिल्म 'मिन्सारा कन्नावु' (हिंदी में 'सपने') का निर्देशन किया था.
सुब्बुलक्ष्मी को उनकी गायकी के साथ ही मानवीय कार्यों के लिए भी जाना जाता है. 2004 में उन्होंने 88 साल की उम्र में दम तोड़ दिया. 1947 में महात्मा गांधी ने एक बार कहा था कि वह एमएस सुब्बुलक्ष्मी द्वारा मीरा भजन हरि तुम हरो का कविता पाठ ज्यादा पसंद करेंगे, बजाय की कोई उसे गाकर सुनाए. पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने कहा था, 'मै कौन हूं, संगीत की रानी के सामने खड़ा एक प्रधानमंत्री.'
सुब्बुलक्ष्मी का जीवन 1916 में मदुरै के तमिल टेंपल से शुरू हुआ. उनकी मां वीना शानमुकावैदिवु एक संगीतकार थीं और उनकी शिक्षक भी. इसके बाद वह संगीत की दुनिया में आगे बढ़ती गईं. सिनेमा ने उन्हें नई ऊंचाईयां दी. उनकी दूसरी फिल्म आने के बाद उनकी शादी एक पत्रकार और संगीत प्रेमी टी सदाशिवम से हुई. सदाशिवम ने उनके करियर को आगे बढ़ाने में उनकी बहुत मदद की.
वरिष्ठ राजनेता सी राजगोपालचारी ने कहा था कि सुब्बुलक्ष्मी और सदाशिवम देश में सांस्कृतिक पुर्नाजागरण का केंद्र थे.