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श्रीलंका मुद्दा: अमेरिकी प्रस्ताव पर केंद्र सरकार दिखाएगी कड़े तेवर

केंद्र सरकार ने बुधवार को कहा कि वह श्रीलंका के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में लाए जाने वाले प्रस्ताव में संशोधन के लिए कदम उठाएगी. मानवाधिकार हनन के लिए श्रीलंका की निंदा करते हुए सरकार ने अमेरिकी प्रस्ताव का सुर हल्का करने के आरोपों का भी खंडन किया है.

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केंद्र सरकार ने बुधवार को कहा कि वह श्रीलंका के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में लाए जाने वाले प्रस्ताव में संशोधन के लिए कदम उठाएगी. मानवाधिकार हनन के लिए श्रीलंका की निंदा करते हुए सरकार ने अमेरिकी प्रस्ताव का सुर हल्का करने के आरोपों का भी खंडन किया है.

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श्रीलंका में तमिल नागरिकों के जनसंहार पर कड़ा रुख अख्तियार करने की डीएमके, एआईडीएमके की मांग बुधवार को तमिलनाडु की सड़कों पर उतर आया. केंद्र सरकार ने कहा कि कोलंबो को कड़ा संदेश देने के लिए वह श्रीलंका के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (एनएचआरसी) में लाए जाने वाले प्रस्ताव में संशोधन के लिए कदम उठाएगी.

मानवाधिकार हनन के लिए श्रीलंका की निंदा करते हुए सरकार ने अमेरिकी प्रस्ताव का सुर हल्का करने के आरोपों का भी खंडन किया है. उधर श्रीलंका में गृह युद्ध के आखिरी दौर में लिट्टे को समूल नष्ट करने के लिए नई दिल्ली और कोलंबो के बीच सांठगांठ के आरोपों की जांच सीबीआई से कराने की मांग करते हुए श्रीलंकाई मूल के एक तमिल और पेशे से वकील ने सॉलिसीटर फर्म के माध्यम से जनहित याचिका दायर की है.

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श्रीलंका मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक बेनतीजा
इस बीच संसद में श्रीलंका के खिलाफ प्रस्ताव लाने पर विचार विमर्श के लिए शाम को बुलाई गई बैठक बेनतीजा रही और इसमें कोई राय कायम नहीं हो सकी. केंद्रीय वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि यूएनएचआरसी में लाए जाने वाले प्रस्ताव के मसौदे में संशोधन का हम प्रयास करेंगे. संवाददाता सम्मेलन में अपने मंत्रिमंडलीय सहयोगियों संसदीय कार्यमंत्री कमलनाथ और सूचना एवं प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी के साथ मौजूद चिदंबरम ने कहा, 'हम संसद में प्रस्ताव पारित करने के लिए राजनीतिक दलों से विचार-विमर्श जारी रखेंगे.' चिदंबरम ने कहा कि भारत का रुख यह है कि मानवाधिकार उल्लंघन के आरोपों पर कोलंबो को कड़ा संदेश देने और युद्ध अपराधों की जांच के लिए स्वतंत्र एवं विश्वसनीय जांच पर श्रीलंका को स्वीकार करने के लिए यूएनएचआरसी को मजबूत प्रस्ताव पारित करना चाहिए.

DMK के मंत्रियों ने प्रधानमंत्री को सौंपा इस्‍तीफा
चार साल पहले तमिल टाइगरों के खिलाफ सैन्य अभियान के दौरान तमिल नागरिकों की हत्या के आरोपों को कोलंबो लगातार खारिज करता रहा है. तीनों मंत्रियों ने इस बात पर जोर दिया कि सरकार पूरी तरह स्थिर है और डीएमके के कांग्रेस नीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार से बाहर आ जाने के बाद डवांडोल नहीं है. डीएमके के पांच मंत्रियों ने बुधवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को अपना इस्तीफा सौंप दिया. इस्तीफा सौंपने वाले मंत्रियों में केंद्रीय मंत्री एम.के. अलागिरी (रसायन एवं उर्वरक) और राज्य मंत्री एस.एस. पालानिमनिकम (वित्त), डी. नेपोलियन (सामाजिक न्याय एवं आधिकारिकता), एस. जगतरक्षकन (वाणिज्य एवं उद्योग) शामिल हैं.

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अमेरिका द्वारा लाए जा रहे प्रस्ताव को नरम करने के आरोपों का खंडन करते हुए चिदंबरम ने कहा, 'यह अफवाह है, ऐसी मीडिया रपटों का दृढ़ता से खंडन किया जाता है.' उन्होंने कहा, 'भारत की स्थिति हमेशा से यही रही है और आगे भी रहेगी कि एक प्रभावी प्रस्ताव स्वीकार किया जाए, जिससे श्रीलंका को कड़ा संदेश जा सके और उसे स्वतंत्र एवं विश्वसनीय जांच स्वीकार करने के लिए तैयार किया जा सके.' उधर डीएमके के अध्यक्ष एम. करुणानिधि ने कहा कि उनकी पार्टी ने यह समझने के बाद केंद्र की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार से खुद को अलग करने का फैसला किया कि इसने यूएनएचसीआरसी में श्रीलंका के खिलाफ लाए जाने वाले अमेरिकी प्रस्ताव को कमजोर करने में भूमिका निभाई.

श्रीलंका से विश्वसनीय जांच का आह्वान
47 सदस्यीय यूएनएचआरसी में श्रीलंका के खिलाफ प्रस्ताव पर मतदान किया जाना है. पिछले साल के मतदान के दौरान भारत ने श्रीलंका के खिलाफ मतदान किया था. सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि यूएनएचआरसी में भारत के स्थायी प्रतिनिधि दिलीप सिन्हा विचार विमर्श करने के लिए नई दिल्ली आए हुए हैं और उन्होंने प्रधानमंत्री से मुलाकात की है. चिदंबरम ने यह भी कहा कि संसद में प्रस्ताव का डीएमके की समर्थन वापसी से कोई संबंध नहीं है.
श्रीलंका के खिलाफ प्रस्ताव पर माथापच्ची!
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने कहा कि किसी राज्य की जनता की भावनाओं को रेखांकित करना सरकार का कर्तव्य है. उनका इशारा श्रीलंका पर कड़ा रुख अख्तियार करने की मांग को लेकर तमिलनाडु में हो रहे प्रदर्शनों की ओर था. केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ ने कहा कि सरकार पूरी तरह स्थिर है और डवांडोल नहीं है. हमारे बहुमत को किसी भी दल ने चुनौती नहीं दी है.

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