
कला का न कोई मजहब होता है और न कोई जात-पात. इसी की मिसाल हैं हैदराबाद के कातिब (Calligrapher) अनिल कुमार चौहान. वो अपनी कैलीग्राफी की कला से हैदराबाद की 100 से ज्यादा मस्जिदों की दीवारों पर कुरान की आयतें लिख चुके हैं. देश भर में कुल मिलाकर वो अब तक करीब 200 मस्जिदों में आयतें उकेर चुके हैं.
चौहान पिछले 25 साल से भी ज्यादा समय से कैलीग्राफी में अपना हुनर दिखा रहे हैं. चौहान की कैलीग्राफी में दिलचस्पी दुकानों के लिए साइनबोर्ड पेंट करने के दौरान पैदा हुई. जल्दी ही यह उनका एक जुनून बन गई.
चौहान के मुताबिक पहले हैदराबाद में उर्दू में साइनबोर्ड अधिक लिखे जाते थे. चौहान को आर्टिस्टिक लिखाई तो आती थी लेकिन उर्दू नहीं. साइनबोर्ड बनवाने वाला जैसा लिख कर देता था चौहान उसे वैसे का वैसा अपनी लिखाई से उतार देते थे. यही सब करते हुए अचानक फिर इनके मन में उर्दू पढ़ने लिखने की ललक जगी और इन्होंने इसे सीख लिया.
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चौहान का कहना है कि सुंदर लिखावट देखने के बाद सबसे पहले उन्हें 1995 में हैदराबाद की मस्जिद-ए-नूर की दीवारों पर कुरान की आयतें लिखने का मौका मिला. हालांकि एक हिंदू की ओर से आयतें लिखे जाने पर तब कुछ लोगों ने एतराज जताया, पर चौहान ने अपना काम जारी रखा. उन्होंने हैदराबाद में इस्लामिक स्टडी की सर्वोच्च संस्था जामिया निजामिया से इस सिलसिले में मंजूरी भी जारी करवाई. चौहान की कला जामिया निजामिया के पुस्तकालय को भी सुशोभित कर रही है, जहां उन्होंने कुरान के 'सूरह यासीन' को उकेरा है.
महाकाली मंदिर को भी कला से सजाने काम
चौहान हैदराबाद शहर के प्राचीन महाकाली मंदिर को भी हरेक साल बोनालू त्योहार में सजाने का भी काम करते है. मस्जिद हो या मंदिर चौहान की कला की हर कोई तारीफ करता है. कैलीग्राफी के अलावा चौहान अच्छा गाते भी हैं. वे हर शनिवार को अपने घर पर हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं. इसके अलावा वो कर्नाटक के बिदर में हर इस्लामी महीने की 28 तारीख को नात गाने जाते हैं.