मनौवैज्ञानिकों का दावा है कि किसी मनुष्य के चेहरे के विन्यास से उसके व्यक्तिगत लक्षणों, मसलन अपराध में किसी के शामिल होने के प्रति झुकाव या किसी नौकरी विशेष के प्रति रवैया आदि का पता चल जाता है.
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की मदद से इस संबंध में कराये गये एक अध्ययन में मनोवैज्ञानिकों के एक दल ने यह सिद्धांत दिया है कि मानव चेहरा 270 अलग अलग ज्यामितीय आकार, आकृतियों से बना होता है, जिनसे पता चल सकता है कि कोई व्यक्ति विशेष किस तरह का व्यवहार या प्रतिक्रिया दे सकता है.
शोध में मनोवैज्ञानिकों के दल का नेतृत्व कर रहे शीतला प्रसाद ने प्रेस ट्रस्ट को बताया कि हमारी पद्धति किसी मानव विशेष के वास्तविक मानस को सामने ला सकती है, जो कि आमतौर पर दृश्य मनोविज्ञान के पीछे दबी होता है. इलाहाबाद विश्वविद्यालय से संबद्ध एविंग क्रिस्चियन कालेज में मनोविज्ञान विभाग के प्रमुख प्रसाद ने कहा कि शोध करीब एक साल पहले शुरू हुआ था जब उन्होंने यूजीसी से संपर्क किया और उनके इस विचार को सराहना के साथ मंजूरी मिल गयी.
उन्होंने कहा कि हमने इस परिकल्पना के साथ शुरूआत की कि मानवीय आकृतिविज्ञान के लिहाज से लोगों का लुक अलग अलग होता है. हमने अलग अलग क्षेत्रों के 500 से अधिक लोगों की तस्वीरों की मदद से प्रयोग किये.
प्रसाद ने बताया कि हर शख्स या महिला के तीन.तीन फोटो लिये गये, जिनमें एक सामने से खींचा गया और दो दायीं.बांयी तरफ से, इस दौरान कैमरे को चेहरे से सात फुट दूर रखा गया. उन्होंने कहा कि इसके बाद हमने एक विशेष साफ्टवेयर की मदद से लोगों के चेहरे के ज्यामितीय विन्यासों का विस्तृत ब्योरा तैयार किया. हमने जिन लोगों की तस्वीरों का अध्ययन किया, इनमें पेशेवर, शिक्षाविद के साथ.साथ विचाराधीन कैदी भी शामिल थे.
प्रसाद ने कहा कि हमने एक जैसे व्यक्तित्व वाले लोगों के चेहरे के ज्यामितीय विन्यास में समानताएं देखीं, हालांकि इसे नग्न आंखों से नहीं पहचाना जा सकता. उन्होंने कहा कि अब हम मानवीय चेहरे के ज्यामितीय विन्यासों के आधार पर एक निर्देशिका बनाना चाहते हैं ताकि इस पद्धति को बड़े पैमाने पर इस्तेमाल में लाया जा सके, जो ब्रेन मैपिंग एवं नार्को, विश्लेषण की तरह प्रभावशाली हो सकती है. शोधकर्ता इस मामले में और अधिक सहायता के लिए विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी मंत्रालय से संपर्क के बारे में सोच रहे हैं.