जीवन की परेशानियों से तंग आकर बहुत से लोग अकेलेपन को ही अपनी दुनिया बना लेते हैं. मामला तब ज्यादा बिगड़ जाता है, जब ऐसे लोगों की तादाद इतनी बढ़ जाए और सरकार की टेंशन बढ़ जाती है. एक देश में इस वक्त यही हो रहा है. यहां 15 लाख लोग अपने घरों में कैद हो गए हैं. ये रिलेशनशिप और कोविड में नौकरी जाने जैसे मुद्दों से परेशान हैं. इनमें 15 साल से लेकर 64 साल तक के लोग शामिल हैं.
मामला जापान का है. ऐसे लोगों की संख्या जापान की आबादी का 2 फीसदी है. इनमें से पांच तिहाई ने इसके पीछे की वजह कोरोना वायरस महामारी को बताया है. जापान में लोगों के एकांत में रहने और समाज से खुद को काटने की प्रक्रिया को हिकिकोमोरी (Hikikomori) कहा जाता है.
हिकिकोमोरी से जुड़ी 5 बड़ी बातें-
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, ये शब्द जापानी मनोवैज्ञानिक तमाकी सैटो ने अपनी 1998 में आई किताब 'सोशल विदड्रॉल - एडोल्सेंस विदाउट एंड' में लिखा था.
एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटानिका के अनुसार, उस शख्स को हिकिकोमोरी से पीड़ित माना जाता है, जब वह कम से कम छह महीने तक समाज से दूरी बनाए रखने जैसा व्यावहार करता है.
हिकिकोमोरी से पीड़ित व्यक्ति घर से बाहर निकलने से मना कर देता है, चाहे फिर स्कूल जाने की बात हो, दफ्तर जाने की हो या फिर घर का सामान बाहर स्टोर से खरीदने की बात हो. ये लोग घर से बाहर कदम रखने से ही इनकार कर देते हैं.
एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटानिका के मुताबिक, हिकिकोमोरी के पीछे की वजहें पूरी तरह स्पष्ट नहीं हैं. कुछ मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि इंसान जीवन में किसी तनावपूर्ण घटना से तंग आकर खुद को समाज से काट लेता है. कुछ स्टडीज में ये बात भी सामने आई है कि हिकिकोमोरी का संबंध परिवार में दिक्कतें या दर्द का अनुभव भी होता है.
जापान में बीते कुछ वर्षों में लोगों द्वारा समाज से खुद को एकदम अलग किए जाने के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. इसे चिंता, डिप्रेशन या समाज में भय की स्थिति से भी जोड़ा जाता है.