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..हिटलर भी था वियाग्रा का शौकीन

एक नई किताब की माने तो नाजी तानाशाह एडोल्फ हिटलर यौन शक्ति बढ़ाने के लिए वियाग्रा का प्रयोग करता था. इस अध्ययन के लिए चिकित्सा अभिलेखागार में बंद रहे दस्तावेजों और कुछ गोपनीय सैन्य दस्तावेजों को आधार बनाया गया है.

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एक नई किताब की माने तो नाजी तानाशाह एडोल्फ हिटलर यौन शक्ति बढ़ाने के लिए वियाग्रा का प्रयोग करता था. इस अध्ययन के लिए चिकित्सा अभिलेखागार में बंद रहे दस्तावेजों और कुछ गोपनीय सैन्य दस्तावेजों को आधार बनाया गया है.

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किताब में दावा किया गया है कि हिटलर 82 प्रकार की विभिन्न दवाओं का सेवन करता था जिसमें ‘‘वियाग्रा’’ भी शामिल थी. यह वियाग्रा टेस्टोस्टेरोन से निकाला गया एक प्रकार का सत था. द डेली टेलीग्राफ समाचारपत्र ने खबर दी है कि किताब ‘‘वाज हिटलर इल’’ में कहा गया है कि हिटलर को विश्वास था कि यौन शक्ति वर्धक औषधि उससे उम्र में काफी छोटी प्रेमिका इवा ब्राउन के साथ संबंध बनाने में आवश्यक उर्जा प्रदान करेगी.

किताब में लिखी गई बातें हिटलर के निजी चिकित्सक थियोडोर मोरेल उर्फ रीच सिरिंज के दस्तावेजों पर आधारित हैं. किताब में कहा गया है कि मोरेल ने वर्ष 1944 में हिटलर को टेस्टोस्टेरोन और बछड़े के प्रोटेस्ट ग्रंथियों के शुक्राणुओं का इंजैक्शन देना शुरू कर दिया था. क्रिटिश डेली की खबर के अनुसार मोरेल ने पर्विटिन, ग्लूकोज, मेथाम्थेटामाइन का इंजैक्शन, बारबीटूरेट, ऑपिटेट के अलावा कुछ अन्य तत्व की कुछ खुराक भी हिटलर को दी थी.

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56 वर्ष की आयु में मरने वाले हिटलर का मानना था कि छोटे बछड़े के शुक्राणु और उसकी प्रोटेस्ट ग्रंथियां उसकी 33 वर्ष की प्रेमिका ब्राउन के साथ संबंध स्थापित करने में यौन शक्ति प्रदान करता है. बर्लिन के बंकर में हिटलर के साथ ही एक नई नवेली दुल्हन के रूप में ब्राउन ने भी अप्रैल 1945 में साइनाइड खाकर जान दे दी. चिकित्सक के अभिलेखों के अनुसार हिटलर के बीमार होने पर वह अपने स्वास्थ्य के प्रति काफी डर गया और एक ऐसी अवस्था आई कि वह इसके उपचार के लिए 28 विभिन्न प्रकार की औषधियां लेने लगा.

किताब के लेखक हेनरिक एब्रेल और बर्लिन के चराइट यूनिवर्सिटी हास्पीटल के हेंस जाओचिम न्यूमैन ने बताया कि वे इस बात का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या हिटलर का खराब स्वास्थ्य उसके लाखों लोगों की मौत के फैसले के लिए जिम्मेदार तो नहीं था. आखिरकार एब्रेल और न्यूमैन ने अंत में यही निष्कर्ष निकाला कि हिटलर पार्किंसन बीमारी से ग्रस्त था. वह भ्रम रोग से ग्रसित नहीं था. वह अपने द्वारा की गई कार्रवाई को लेकर पूरी तरह सचेत और जिम्मेदार था. हिटलर को लेकर अन्य बातें जो सामने आई उससे पता चलता है कि हिटलर को कैंसर से मरने का डर था. वह उच्च रक्तचाप, एंठन और सिरदर्द से पीड़ित था.

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