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ये कंपनी कर्मचारियों पर 'लुटाएगी' 5 करोड़, नशे में बॉस ने लिया फैसला!

हांगकांग के ब्लैक शीप रेस्टोरेंट समूह ने कोरोना के कारण कई महीनों से अपने घर नहीं गए कर्मचारियों को अपने खर्च पर उनके घर भेजने का फैसला लिया है. फ्लाइट से लेकर कोविड टेस्ट जैसे सभी खर्च को कंपनी उठाएगी.

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Photo- Black Sheep Restaurant
Photo- Black Sheep Restaurant
स्टोरी हाइलाइट्स
  • पिछले दो सालों से अपने घर नहीं गए कर्मचारी
  • हांगकांग के ब्लैक शीप रेस्टोरेंट समूह का फैसला
  • सभी कर्मचारियों को अपने खर्च पर भेजेंगे घर

हांगकांग के ब्लैक शीप रेस्टोरेंट समूह ने अपने कर्मचारियों को एक नायाब तोहफा दिया है. दरअसल, कोरोना के कारण कई महीनों से अपने घर नहीं गए कर्मचारियों को इस समूह ने घर अपने खर्च पर भेजने का फैसला लिया. कंपनी ने कहा कि जल्द ही वे सभी कर्मचारियों को उनके परिवार वालों से मिलने के लिए भेजेंगे और इसका सारा खर्च भी कंपनी ही उठाएगी.

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फ्लाइट से लेकर कोविड टेस्ट सबकी जिम्मेदारी कंपनी ही उठाएगी. यहां तक अगर कर्मचारियों को अधिक छुट्टियां लेनी भी पड़ जाएं तो उसका भी पैसा उन्हें मिलेगा. सैलरी से कोई कटौती नहीं की जाएगी. और जब कर्मचारी वापस आएंगे तक भी उनके पूरे सफर, रहने और खाने पीने का खर्च कंपनी ही उठाएगी.

लेकिन शर्त ये होगी कि वापस आने पर कर्मचारी को कम से कम एक साल कंपनी के साथ काम करते रहना होगा. इस रेस्टोरेंट के 250 से अधिक ऐसे कर्मचारी हैं जिन्हें कंपनी हांगकांग से भारत, इंग्लैंड, नेपाल जैसे पड़ोसी देशों के साथ-साथ अर्जेंटीना, नाइजीरिया, फ्रांस, दक्षिण अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया जैसे दूर-दराज के देशों में स्थित अपने घर जाने की अनुमति देगी.

कर्मचारियों के लिए इस कदम को उठाने के पीछे सबसे बड़ा हाथ है ब्लैक शीप रेस्टोरेंट के सह-संस्थापक सैयद असीम हुसैन और क्रिस्टोफर मार्क का. हुसैन ने बताया कि इसके लिए कंपनी करीब 4.8 करोड़ रुपये खर्च करेगी. उन्होंने बताया कि उन्होंने ये फैसला उस समय लिया जब वे शराब पी रहे थे. हुसैन ने कहा कि हां ये थोड़ा पागलपन है लेकिन एक अच्छा कदम है. उन्होंने कहा कि जब हमने इस फैसले के बारे में अपने बिजनेस पार्टनर्स को बताया तो पहले वे इसके खिलाफ थे. लेकिन बाद में मान गए. हुसैन ने बताया कि सभी कर्मचारियों को अगले साल के जनवरी माह में घर भेजना शुरू किया जाएगा.

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उल्लेखनीय है कि, कोरोना काल में कई लोग विदेशों में फंस गये थे जिस कारण वे अपने वतन नहीं लौट पा रहे थे. भारत के पंजाब के रहने वाले संदीप अरोड़ा ने साल 2020 से अपने परिवार को नहीं देखा. इंग्लैंड के मैनचेस्टर में रहने वाली एमी स्टॉट भी जून 2019 से अपने घर नहीं गई हैं. वैसे ही नेपाल की रहने वाली सबी गुरुंग की कहानी भी कुछ ऐसी ही है. उन्होंने भी दो सालों से अपने परिजनों को नहीं देखा जो उनका इंतजार कर रहे हैं.

अपने परिवार के साथ संदीप अरोड़ा.
अपने परिवार के साथ संदीप अरोड़ा.

भारत में पंजाब के रहने वाले संदीप ने कहा, 'मैं कोरोना काल के समय से अपने घर नहीं गया हूं. यह घड़ी मेरे और परिवार वालों के लिए बहुत कठिन रही. मेरा बेटा 8 साल का है और वह हमेशा मुझसे यही पूछता था कि मैं उससे मिलने कब आउंगा. पहले मैं हर छह महीने में घर जाता था. लेकिन अब दो साल से गया ही नहीं हूं.'

उधर, इंग्लैंड की रहने वाली रेस्टोरेंट कर्मचारी स्टॉट ने बताया कि वह पिछले 27 महीनों से हांगकांग में हैं. उन्होंने कहा, 'परिवार से दूर रहना सबसे मुश्किल दौर होता है. इस दौरान मैंने अपने कुछ खास परिजनों को भी खो दिया. मैं अंतिम समय में भी उनसे मिलने नहीं जा पाई थी. लेकिन अब मैं घर जाने के लिए बेहद उत्साहित हूं. और उम्मीद करती हूं कि वहां मैं अपने परिवार वालों के साथ एक अच्छा समय बिताउंगी.'

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वहीं, नेपाल की रहने वाली सबी गुरुंग ब्लैक शीप रेस्टोरेंट में पिछले 8 सालों से काम कर रही हैं. उन्होंने कहा, 'मैं नेपाल के पोखरा से हूं. जो कि बेहद खूबसूरत जगह है. यहां मेरे माता-पिता और मेरा प्यारा सा कुत्ता रहता है. मैं इनसे पिछले दो सालों से मिल नहीं पाई हूं. मुझे इन सभी की बहुत याद आती है.'

 

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