आपने हिंदी फिल्मों अकसर देखा होगा कि किसी हादसे में सिर पर चोट लगने के बाद जब हीरो को होश आता है तो उसकी याद्दाश्त खो चुकी होती है. उसे कुछ याद नहीं रहता और होश में आने पर वह सबसे पहला पूछता है, 'मैं कहां हूं'. लेकिन क्या आपने असल जिंदगी में ऐसे शख्स को देखा है जिसका दिमाग एक हादसे में बुरी तरह चोटिल हो जाता है, लेकिन फिर वह मैथ्स का जीनियस बन जाता है. जी हां, यह सच है.
यह कहानी है कॉलेज ड्रॉपआउट जैसन पैजेट की जो आज से 12 साल पहले 31 साल के थे और अपने पिता के फर्नीचर स्टोर में काम करते थे, लेकिन वॉशिंगटन में एक रात उनके साथ हुई मारपीट की वारदात ने हमेशा के लिए उनकी पूरी जिंदगी को बदल कर रख दिया.
उस रात जैसन के दिमाग में गंभीर चोटें आईं थीं और इलाज के बाद वो दुनिया को एक अलग ही नजरिए से देखने लगे. किसी जमाने में जिस लड़के को कॉलेज से निकाल दिया गया था अब उसे गणित और फिजिक्स से प्यार हो चुका था. मेडिकल जांच के दौरान पता चला कि उन्हें सेवेंट सिंड्रोम हो गया है. अब तक पूरी दुनिया में केवल 40 लोग ही ऐसे हैं जिन्हें यह सिंड्रोम है और जैसन उनमें से एक हैं. आपको बता दें कि इस सिंड्रोम की बदौलत कभी बेहद आम रहा कोई शख्स ब्रेन इंजरी के बाद गणित, कला या संगीत का विद्वान बन जाता है.
जैसन ने अब 'स्ट्रक बाई जीनियस: हाउ ए ब्रेन इंजरी मेड मी ए मैथमेटिकल मार्वल' नाम की कीताब में अपने जीवन के अनुभवों को लिखा है.
13 सितंबर 2002 की रात जैसेन की जिंदगी उस वक्त पूरी तरह बदल गई जब उनके घर के पास के एक बार में उनके साथ लूटपाट की गई. दो बदमाशों ने पीछे से उन पर हमला किया और उनके सिर के पिछले हिस्से पर घूसा मारा. जैसन बेहोश हो गए. उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां चोट की वजह से उनके सिर पर निकल आए गुमटे का इलाज किया गया. उसी रात उन्हें अस्पताल से छुट्टी भी दे दी गई.
अगली सुबह जब जैसन उठे तो उन्होंने देखा कि चीजों को देखने का उनका नजरिया बदल चुका है. अब वे उन चीजों पर भी गौर कर रहे थे, जिन पर पहले उन्होंने जरा भी ध्यान नहीं दिया था. उन्होंने बाथरूम में नल खोला और देखा कि पानी की धार तेज थी और जमीन पर गिरने के बाद वह ऊपर की ओर लौट रही थी. जैसन कहते हैं, 'पहले तो मैं भौचक्का रह गया. मुझे खुद की फिक्र होने लगी, लेकिन वह नजारा इतना खूबसूरत था कि मैं उसे देखता रहा'.
अब जैसन ने काम पर जाना छोड़ दिया और वह अपना सारा वक्त गणित और फिजिक्स पढ़ने में बिताने लगे. हादसे से पहले चित्रकारी के प्रति उनकी कोई दिलचस्पी नहीं थी, लेकिन अब वह ज्यामितिय पैटर्न बनाने लगे और कभी-कभी तो उन्हें अपना काम खत्म करने में हफ्तों लग जाते थे.
लेकिन इस टैलेंट का एक खराब पहलू भी था और वह यह कि जिस जैसन को घूमना-फिरना और दोस्तों के साथ मौज-मस्ती करना अच्छा लगता था वह अब अंर्तमुखी हो गया था. अब वह हर वक्त घर पर ही रहते. उन्होंने अपने घर की खिड़कियों को कंबल से ढक दिया और किसी से मिलना-जुलना पूरी तरह से बंद कर दिया. कीटाणुओं को लेकर जैसन कुछ ज्यादा ही सजग हो गए और वे तब तक हाथ धोते रहते जब तक कि वे लाल न हो जाएं. और यही नहीं अगर उनकी बेटी हाथ नहीं धोती थी तो वह उसे भी गले नहीं लगाते थे.
जैसन को लगने लगा था कि वह सनकी हो गए हैं, लेकिन एक दिन उन्होंने बीबीसी पर डेनियल टैम्मेट के ऊपर बनी एक डॉक्यूमेंट्री देखी. उस दिन को याद करते हुए जैसन कहते हैं, 'डॉक्यूमेंट्री देखकर मुझे पता लगा कि मेरे साथ क्या हो रहा है'.
डॉक्यूमेंट्री देखने के बाद उन्होंने फैसला किया कि वह सेवेंटिज्म विशेषज्ञ डॉक्टर डैरोल्ट ट्रेफर्ट से मिलेंगे, जिन्होंने बाद में जैसन को बताया कि उन्हें सेवेंट सिंड्रोम हैं. फिलहाल इस दुनिया में 40 ऐसे लोग हैं जिन्हें सेवेंट सिंड्रोम से प्रभावित पाया गया है. ये सभी लोग ब्रेन इंजरी के बाद पहले से कहीं ज्यादा स्मार्ट और तेज बन गए.
फिनलैंड के डॉक्टर ब्रोगार्ड ने एमआरआई मशीन से जैसन की जांच कर बताया कि उनके दिमाग का बांया हिस्सा चोट लगने के बाद ज्यादा सक्रिय हो गया है. यह वही हिस्सा है जो गणित से प्यार करता है.
अब 43 साल के जैसन पैजेट का मानना है कि वह तो बस एक उदाहरण हैं कि हर किसी में एक जीनियस छिपा है. उनके मुताबिक, 'मेरा मानना है कि ये शक्तियां हमारे अंदर ही छिपी हुईं हैं और मैं इस बात का जिंदा प्रमाण हूं. अगर यह मेरे साथ हो सकता है तो किसी के साथ भी हो सकता है'.