अन्ना पर जानलेवा हमले की पक्की खबर. अन्ना से जुड़ी तीन अहम जगहों में घात की खबर. साजिश ऐसी संगीन की किसी को पता चले उससे पहले काम तमाम. ऐसी खतरनाक साजिश के निशाने पर चढ़े अन्ना को अहसास भी नहीं है कि वो कैसे जानलेवा हमले से घिरे हुए हैं. वो तो अपने मकसद के लिए यहां से वहां दिनरात एक किए हुए हैं. पर इसी दौरान उनको निशाने पर लेने के लिए अन्ना के दुश्मन जमीन आसमान एक किए हुए हैं.
कोई बड़ा चमत्कार ही अन्ना की मदद कर रहा है हर बार वर्ना ऐसी खौफनाक साजिशों के बावजूद अन्ना की आवाज का बराबर गूंजते रहना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है.
टारगेट अन्ना. जी हां अन्ना बराबर भीषण खतरों से घिरते जा रहे हैं. आजतक को बेहद संवेदनशील और अहम जानकारी मिली है अन्ना पर खतरे के बारे में. इसी लिए आज हम एक बार फिर कर रहे हैं अन्ना पर बेहद सनसनीखेज खुलासा. और इसी का नाम है टारगेट अन्ना.
जुलाई 2011
अन्ना अपने गांव रालेगण सिद्धि से सड़क के रास्ते कार में पुणे जा रहे थे. पुणे एयरपोर्ट से उन्हें दिल्ली के लिए उड़ान भरनी थी. जनलोकपाल बिल को लेकर अन्ना की दल्ली में कई मीटिंग थी.
रालेगण सिद्धि से पुणे जाने के लिए अन्ना हमेशा एक ही सड़क का इस्तेमाल करते थे. उस रोज़ भी वो उसी रास्ते से पुणे जा रहे थे. पर अभी कुछ ही दूरी पर उनका काफिला पहुंचा था कि अचानक अन्ना का रूट बदल दिया गया. अब अन्ना दूसरे रास्ते से पुणे जा रहे थे. पर क्यों किसी को नहीं पता.
अगस्त 2011
अन्ना दिल्ली में महाराष्ट्र सदन में ठहरे थे. 17 अगस्त से रामलीला मैदान में उन्हें अनशन पर बैठना था. राजनीतिक गलियारे में हलचल तेज थी. हरेक की निगाह अन्ना के इस अनशन पर टिकी थी.
तभी महाराष्ट्र सदन की सुरक्षा अचानक कड़ी कर दी गई. अन्ना के इर्द-गिर्द खास सुरक्षा घेरा कस दिया जाता है. पर कुछ तरह से कि किसी को कुछ दिखाई ना दे. किसी को कुछ समझ में नहीं आया कि आखिर अचानक ये सब क्यों?
सितंबर 2011
रामलीला मैदान में 13 दिन के अनशन के बाद विजयी मुद्रा में अन्ना वापस रालेगण सिद्धि लौट गए. गांव में गणेश पूजा थी और अन्ना पिछले कई बरसों से इस पूजा में शामिल होते रहे हैं. पर इस बार पूजा में कुछ ज्यादा ही भीड़ थी.
अन्ना की आरती से पूजा शुरू हुई. अभी कई कर्यक्रम बाकी थे. पर तभी अचानक अन्ना को भीड़ से अलग कर दिया गया. और उनके इर्द-गिर्द फिर से सुरक्षा घेरा कस दिया गया. इस बार भी किसी को पता नहीं चलता कि अचानक ऐसा क्यों?
दिसंबर, 2011
रामलीला मैदान में अनशन की जबरदस्त कामयाबी के बाद अन्ना पहली बार दिल्ली लौटते हैं. उन्हें जंतर-मंतर पर एक दिन के सांकेतिक अनश पर बैठना था. दिल्ली आने के बाद अन्ना प्रेस क्लब में मीडिया से मिलने पहुंचते हैं.
पर प्रेस क्ल्ब में मीडिया के अलावा बहुत से अनजान लोग भी हैं. जिनकी पैनी नजर लगातार अन्ना पर है. जो हर वक्त अन्ना को अपने घेरे में लिए हुए हैं. वो कौन हैं और क्यों अन्ना की घेराबंदी कर रहे हैं ये भी किसी को नही पता.
चार जगह और चारों जगह अचानक हलचल. कहीं अन्ना का रूट बदल दिया गया तो कहीं अन्ना को भीड़ से अलग कर दिया गया और कहीं उनकी घेराबंदी कर दी गई. जानते हैं क्यों?
क्योंकि इन चारों ही बार इन चरों ही जगहों पर अन्ना खतरे में थे. अन्ना पर हमला होने वाला था. जानलेवा हमला, और हमला करना था जैश-ए-मोहम्मद को. जैश के चार से छह आतंकवादी दो से तीन मोटरसाइकिल पर बैठ कर अन्ना पर गोली चलाने वाले थे.
पर खुफिया ब्यूरो को चारों ही बार इसकी भनक पहले लग गई. इसके बाद महाराष्ट्र एटीएस और दिल्ली पुलिस की मदद से इन चारों हमलों को नाकाम बना दिया गया.
इसी लिए अन्ना का पुणे में रूट बदला गया था. महाराष्ट्र सदन में सुरक्षा बढ़ाई गई थी. रालेग सिद्धि में उन्हें अचानक भीड़ से अलग किया गया और प्रेस क्लब में सादी वर्दी में सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए.
दरअसल इंटेलिजेंस ब्यूरो ने जैश और कुछ लोकल आतंकवादियों के बीच पहली बार इस सिलसिले में बातचीत इंटरसेप्ट की थी. इसके बाद मई में पुंछ सेक्टर में सेना ने जब दो आतंकवदियों को गिरफ्तार किया तब अन्ना के खिलाफ इस जानलेवा हमले की पूरी साजिश सामने आई.