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'फोन किया... I love you बोला'! पाकिस्तान की रईस लड़की से यासीन मलिक ने कैसे की शादी

यासीन की पत्नी मुशाल पाकिस्तान के एक बेहद रईस परिवार से हैं. उनके पिता एक फेमस इकोनॉमिस्ट थे. वह पहले पाकिस्तानी थे जिन्हें नोबल प्राइज जूरी मेंबर बनाया गया था.

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पहली मुलाकात में ही मुशाल को दिल दे बैठा था यासीन (Credit- Mushaal Hussein Mullick)
पहली मुलाकात में ही मुशाल को दिल दे बैठा था यासीन (Credit- Mushaal Hussein Mullick)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • पाकिस्तान के बहुत संपन्न परिवार से आती हैं मुशाल
  • साधारण परिवार से है यासीन

साल 2005. अलगाववादी नेता यासीन मलिक पाकिस्तान गया था. वह कश्मीर को भारत से अलग करने के लिए पाकिस्तान का समर्थन मांगने गया था. वहीं एक फंक्शन के दौरान मुशाल हुसैन मलिक ने यासीन को पहली बार सुना था. यासीन ने तब अपनी स्पीच के दौरान फैज की नज्म को पढ़ा था.

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मुशाल वहां अपनी मां के साथ गई थीं. उन्होंने उस समय को याद करते हुए कहा था- मैं उसके पास गई और कहा कि मुझे तुम्हारी स्पीच पसंद आई. फिर हमलोगों ने हाथ मिलाया और उसने मुझे अपना ऑटोग्राफ दिया. यासीन ने तब मुशाल को दोस्तों के साथ कश्मीरी आंदोलन के समर्थन में चलाए जा रहे अपने सिग्नेचर कैंपन के लिए बुलाया था.

तब पाकिस्तान से लौटने के एक दिन पहले यासीन ने मुशाल की मां को फोन किया. मुशाल ने बताया- मेरी मां ने उससे कहा कि हमारी दुआएं तुम्हारे साथ है, इसके जवाब में यासीन ने मुझे फोन देने को कहा.

पहले अंग्रजी, फिर उर्दू में यासीन ने किया प्यार का इजहार

शुरुआत में कुछ हंसी मजाक हुई. जिसके बाद यासीन ने अंग्रेजी में मुशाल को 'I love you' कह दिया. मुशाल ने उस बातचीत को याद करते हुए बताया- जवाब में मैंने उससे पूछा कि क्या उसे पाकिस्तान पसंद है? उसने कहा 'हां, खासतौर से तुम.' पास में मां की मौजूदगी की वजह से मुशाल थोड़ी नर्वस हो रही थी.

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mushaal and yaseen
श्रीनगर में बर्फबारी का मजा लेते यासीन और मुशाल (File photo)

जिसके बाद खराब नेटवर्क का दिखावा करते हुए वह खिड़की के पास आ गई. फिर यासीन ने दोबारा प्यार का इजहार किया, लेकिन इस बार उर्दू में. इसके बाद मुशाल ने यासीन का फोन काट दिया. उसने फिर ट्राय किया, लेकिन मुशाल ने फोन ऑफ कर दिया. उन्होंने कहा- मैं स्पीचलेस थी, और मेरा दिमाग बस काम नहीं कर रहा था.

वहीं मुशाल के साथ पहली मुलाकात के बारे में यासीन ने कहा था- वह पहली नजर का प्यार था. यासीन ने कहा- मैंने तभी फैसला कर लिया था कि अगर मैं कभी शादी करूंगा तो इसी के साथ करूंगा.

हज के दौरान तय हुई यासीन-मुशाल की शादी

यासीन के इंडिया वापस लौटने के बाद मुशाल उससे MSN chat पर बात किया करती थी. दोनों के बीच प्यार बढ़ता गया. फिर बारी आई परिवार को इसकी जानकारी देने की. मुशाल के मुताबिक, जब उनकी मां को दोनों के बारे में पता चला तो उन्होंने कहा कि वह यासीन के स्ट्रगल का रिस्पेक्ट करती हैं, लेकिन उन्हें डर था कि यासीन को फिर से जेल हो सकती है.

mushaal with her mother
अपनी मां रेहाना हुसैन मलिक के साथ मुशाल (File Photo)

बाद में, हज के दौरान यासीन की मां की मुलाकात मुशाल की मां से हुई और दोनों की शादी की बात पक्की हो गई. 22 फरवरी 2009 को पाकिस्तान में दोनों की शादी हुई थी. शादी के बाद मुशाल कश्मीर भी आई थीं. फिलहाल वह अपनी बेटी के साथ पाकिस्तान में ही रहती हैं.

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बहुत संपन्न है मुशाल का परिवार

मुशाल, पाकिस्तान के बहुत संपन्न परिवार से आती हैं. उनके पिता प्रोफेसर एमए हुसैन मलिक एक फेमस इकोनॉमिस्ट थे. वह जर्मनी के बॉन यूनिवर्सिटी के इकोनॉमिक्स डिपार्टमेंट के हेड भी रह चुके हैं. वह पहले ऐसे पाकिस्तानी थे जिन्हें नोबल प्राइज जूरी मेंबर बनाया गया था. प्रोफेसर मलिक की मौत अगस्त 2002 में हार्ट अटैक से हुई थी.

मुशाल की मां, रेहाना हुसैन मलिक पाकिस्तान मुस्लिम लीग के महिला विंग की पूर्व सेक्रेटरी जनरल हैं. उनका भाई वाशिंगटन डीसी में फॉरेन पॉलिसी एनालिस्ट है. 

साधारण परिवार से है यासीन

यासीन मलिक का फैमली बैकग्राउंड साधारण सा है. 1980 के दशक में बॉर्डर पार कर पाकिस्तान आने वाले 5 लोगों में वह भी था. बाद में, घाटी में वह हथियारबंद गतिविधियों को अंजाम देने लग गया. वह सैकड़ों बार गिरफ्तार हुआ. कैद में उसे बुरी तरह से टॉर्चर किया गाय. उसे फेशियल पैरालिसिस हो गया, बाएं कान में बहरापन आ गया और उसका एक हार्ट वाल्व भी डैमेज हो गया.

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यासीन के माता-पिता के साथ मुशाल (File Photo)

1990 के दशक में स्वास्थ्य के आधार पर उसे छोड़ दिया गया. जिसके बाद वह खुद कभी हिंसा करते नहीं देखा गया. उसने बस शुरुआती पढ़ाई की है. वह इकलौता बेटा है और अपने पुश्तैनी घर में ही रहता था.

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बता दें कि यासीन मलिक पर UAPA के सेक्शन 16 (टेररिस्ट एक्ट), 17 (आतंकी गतिविधियों के लिए पैसे जुटाना), 18 (आतंकी वारदात को अंजाम देने की साजिश रचने) और 20 (आतंकवादी संगठन का सदस्य होने) और IPC के सेक्शन 120-B (क्रिमिनल साजिश रचने) और 124-A (देशद्रोह) के तहत मामला दर्ज हुआ था. इस पर उसने अपना बचाव करने से इनकार कर दिया. जिसके बाद उसे आजीवन कैद की सजा सुनाई गई.

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