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स्पेस स्टेशन में कैसे पहनते हैं पैंट? धरती के अंदाज से तो बिल्कुल अलग! वायरल हुआ वीडियो

धरती से लाखों किलोमीटर दूर स्पेस में इंसान की जिंदगी बिल्कुल अलग होती है. एक ऐसी जगह, जहां जीरो ग्रेविटी में रोजमर्रा के काम भी चुनौती बन जाते हैं. ब्रश करना, नहाना, यहां तक कि पानी पीना भी आसान नहीं होता. अक्सर अंतरिक्ष यात्री ऐसे वीडियो शेयर करते हैं, जिनमें स्पेस स्टेशन की डेलीलाइफ दिखती है.

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स्पेस स्टेशन में कैसे पहनते हैं पैंट? (Photo Credit-@astro_Pettit)
स्पेस स्टेशन में कैसे पहनते हैं पैंट? (Photo Credit-@astro_Pettit)

धरती से लाखों किलोमीटर दूर स्पेस में इंसान की जिंदगी बिल्कुल अलग होती है. एक ऐसी जगह, जहां जीरो ग्रेविटी में रोजमर्रा के काम भी चुनौती बन जाते हैं. ब्रश करना, नहाना, यहां तक कि पानी पीना भी आसान नहीं होता. अक्सर अंतरिक्ष यात्री ऐसे वीडियो शेयर करते हैं, जिनमें स्पेस स्टेशन की डेलीलाइफ दिखती है.

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नासा के केमिकल इंजीनियर और अंतरिक्ष यात्री डॉन पेटिट ने हाल ही में इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर अपनी पैंट पहनने का अनोखा तरीका दिखाया.

उन्होंने वीडियो के कैप्शन में मजाकिया अंदाज में लिखा कि दोनों पैर एक साथ. वीडियो की शुरुआत में स्पेस स्टेशन का नजारा दिखता है, जहां एक पैंट हवा में खड़ी होती है. फिर धीरे-धीरे डॉन पेटिट तैरते हुए नीचे आते हैं और बिना हाथों की मदद से पैंट पहन लेते हैं.

देखें वीडियो

 

अंतरिक्ष में अलग जिंदगी
डॉन पेटिट अक्सर ऐसे वीडियो शेयर करते रहते हैं, जो दिखाते हैं कि स्पेस स्टेशन की जिंदगी धरती से कितनी अलग होती है. हाल ही में उन्होंने कैमरे का लेंस बदलने का एक वीडियो भी शेयर किया था, जिसमें बताया कि माइक्रोग्रैविटी में यह काम कितना मुश्किल हो सकता है.

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कौन हैं डॉन पेटिट?

डॉन पेटिट एक अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री, रसायन इंजीनियर और आविष्कारक हैं, जो नासा में अपने लंबे और प्रभावशाली करियर के लिए जाने जाते हैं. उनका जन्म 20 अप्रैल 1955 को सिल्वरटन, ओरेगन में हुआ था. उन्होंने एरिज़ोना विश्वविद्यालय से केमिकल इंजीनियरिंग में पीएचडी प्राप्त की है.

उन्होंने कई महत्वपूर्ण अंतरिक्ष मिशनों में भाग लिया है। पहली बार 2002 में स्पेस शटल एंडेवर (STS-113) के जरिए ISS पहुंचे और वहाँ 5 महीने से अधिक समय बिताया. इसके बाद वह 2008 में STS-126 मिशन में शामिल हुए और ISS के लिए जरूरी उपकरण पहुंचाए। फिर 2011-12 में एक्सपीडिशन 30/31 का हिस्सा बने और 6 महीने तक अंतरिक्ष में रहे.

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