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...जानें कैंसर को कैसे रोकता है योग

योग प्रणाली में कैंसर कोशिकाओं को समाज में क्रिमनल के तौर पर देखा जाता है. कोशिकाओं के यह समूह खतरनाक साबित होते हैं. क्योंकि यह बड़ी दिक्कत पैदा कर सकते हैं. इसी तरह कैंसर कोशिकाएं हमारे सारे शरीर में मौजूद रहती हैं, लेकिन उनमें से कुछ हमारे जीवन या शरीर को उस तरह प्रभावित नहीं करती. जब तक वे अकेली हों तो कोई समस्या नहीं.

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योग प्रणाली में कैंसर कोशिकाओं को समाज में क्रिमनल के तौर पर देखा जाता है. कोशिकाओं के यह समूह खतरनाक साबित होते हैं. क्योंकि यह बड़ी दिक्कत पैदा कर सकते हैं. इसी तरह कैंसर कोशिकाएं हमारे सारे शरीर में मौजूद रहती हैं, लेकिन उनमें से कुछ हमारे जीवन या शरीर को उस तरह प्रभावित नहीं करती. जब तक वे अकेली हों तो कोई समस्या नहीं. हालांकि यही कोशिकाएं जब बढ़ने लगती हैं, तो उनका हमारी सेहत पर बुरा असर दिखाई देने लगता है.

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आखिर क्यों होता है कैंसर?
योग में आमतौर पर हम इसे इस तरह देखते हैं जैसे इंसान के व्यवहार, खान-पान, जीवनशैली या किन्हीं दूसरी वजहों से जब ऊर्जा में कुछ खास किस्म का खालीपन पैदा हो जाता है तो हमारे शरीर में कैंसर कोशिकाओं के बढ़ने का खतरा बनता है. अगर शरीर के किसी खास हिस्से में ऊर्जा का प्रवाह ठीक नहीं हो तो कैंसर कोशिकाएं उस जगह को छुपने और फलने-फूलने के लिए चुन लेती हैं. कैंसर कोई बिमारी नहीं, बल्कि इसमें कुछ कोशिकाएं आपके खिलाफ हो जाती हैं और इससे आपका शरीर ही आपके खिलाफ काम करने लग जाता है.

कैंसर की रोकथाम
शरीर में कैंसर संक्रमित कोशिकाओं की रोकथाम का हमारे पास सबसे आसान तरीका समय से उपवास रखना है. इन कोशिकाओं को सामान्य कोशिकाओं से ज्यादा पोषक तत्वों की जरूरत होती है और कुछ खास दिन खुद को भोजन से दूर रख कर आप शरीर में कैंसर संक्रमित उन कोशिकाओं की संख्याओं को कम कर सकते हैं.

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आप रोजाना नीम और हल्दी के पेस्ट से बनी गोलियां भी ले सकते हैं. यह कैंसर पीड़ित व्यक्ति के लिए भले एक उपचार ना हो, लेकिन यह शरीर में कैंसर कोशिकाओं की संख्या को काबू में रखते हैं, जिससे वे शरीर के खिलाफ एकजुट नहीं हो पाती हैं. जब शरीर में इनका स्तर बढ़ता है, तो यह कोशिकाओं में ऊर्जा के प्रवाह को रोकते हैं और शरीर के वे हिस्से जहां ऊर्जा का प्रवाह नहीं हो पाता उनमें कैंसर कोशिकाओं के बढ़ने का खतरा बढ़ जाता है.

नीम और हल्दी के एक साथ सेवन से यह ऊर्जा विस्तारक के तौर पर काम करता है. नेत्र रोग विशेषज्ञ आखों की पुतलियों को फैलाने के लिए जैसे विस्तारक का इस्तेमाल करते हैं. वैसे ही नीम और हल्दी हमारे शरीर में उसी तरह काम करते हैं और शरीर के अंदर हर एक छिद्र में ऊर्जा के प्रवाह और उसे भरने में मदद करते हैं.

योग और कैंसर
यहां कुछ खास किस्म की आध्यात्मिक तरीके भी हैं, जो शरीर प्रणाली को सुधारे और संतुलन बनाने में मदद कर सकती हैं. हम नहीं बता सकते हैं कि कैंसर से पीड़ित मरीजों के लिए यह तरीके किस हद तक मददगार होते हैं, लेकिन हमने कई ऐसे मरीजों को जरूर देखा हैं जो इन उपायों की बदौलत पूरी तरह ठीक हो गए हैं. हमने ऐसे भी लोग देखे हैं जो योग के जरिये कीमोथेरेपी के बाद बड़ी ही तेजी से उससे उबर गए. उन मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टर भी उन्हें देख कर दंग रह गए. यहां यह पक्के तौर पर तो नहीं कहा जा सकता कि योग की वजह से उनका कैंसर ठीक हो गया, लेकिन चिकित्सीय उपचार के साथ योग करने से कैंसर के मरीजों को फायदा जरूर मिला है.

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