उनका इरादा हीरो बनने का नहीं बल्कि निर्देशक बनने का था. वे ऐसी फिल्में करने में यकीन करते हैं जो उन्हें खुद को देखने पर अच्छी लगें.
वे अपने मामू आमिर खान की इस बात में यकीन करते हैं ''फिल्म में काम करते समय आपको निर्देशक को पूरा सपोर्ट करना चाहिए क्योंकि वही एक ऐसा शख्स होता है, जिसका साथ कोई नहीं देता.''
इसी मंत्र के चलते उनकी कोशिश ऐसी फिल्में करने की रहती है जो सभी के लिए फायदे का सौदा सिद्ध हों. वे फिल्में देखने के बेहत शौकीन हैं और हर हफ्ते 2-3 फिल्में देखते हैं. वे राजू हिरानी से काफी प्रेरित हैं क्योंकि उनकी फिल्म में बेहतरीन कहानी के साथ ही छिपा हुआ संदेश देने की शैली उन्हें बेहद पसंद है.
वे कहते हैं, ''उनकी फिल्मों में सोल और हार्ट दोनों होते हैं.'' उनकी आने वाली फिल्म एक मैं एक तू में वे अलग अंदाज में करीना कपूर के साथ नजर आने वाले हैं.
पढ़ते हैं: सार्थक किताबें जिनसे कुछ हासिल हो. जैसे, इन दिनों फोटोग्राफी के ऊपर एक किताब पढ़ रहे हैं.
पसंद हैः स्कूबा डाइविंग और स्काई डाइविंग.
प्रेरणाः परिवार को मानते हैं. उनका मानना है कि ये परिवार ही होता है जो अच्छे और बुरे दौर में हमेशा साथ खड़ा रहता है.
मूलमंत्रः किसी भी फिल्म के चयन के लिए वे अपने तीन सूत्रीय फंडे पर यकीन करते हैं यानी निर्देशक कौन है, निर्माता कौन है और पटकथा कैसी है. अगर तीनों में से कोई भी कमजोर होगा, तो नुकसान तय है.
राज की बातः मामू ने कह रखा है कि तुम्हें मेरा सिर्फ इतना ही फायदा मिलेगा कि तुम्हें ऑडिशन का मौका मिलेगा. जाने तू... जिसे आमिर पहले किसी के साथ साझा तौर पर बना रहे थे, उसके लिए उन्होंने बहुत सारे लोगों के साथ ऑडिशन दिया था. किसी कारण जब आमिर ने अकेले फिल्म निर्माण का फैसला लिया तो उन्हें फिर से ऑडिशन देना पड़ा था. डेल्ही बेली के लिए उनके पांच ऑडिशन हुए थे.
''फिल्मी दुनिया में ह्ढतिस्पर्धा में मेरा यकीन नहीं है क्योंकि यहां हर किसी की रेस अपने खुद के साथ है.''- इमरान खान
''वे एकदम प्रोफेशनल हैं और अपने कैरेक्टर के लिए पहले से तैयारी शुरू कर देते हैं.''- दानिश असलम, निर्देशक