उद्योग जगत का मानना है कि सरकार को महंगाई की मार झेल रहे सामान्य आय वर्ग को राहत पहुंचाने के लिये व्यक्तिगत आयकर स्लैब की न्यूनतम सीमा को एक लाख 60 हजार रुपये से बढ़ाकर दो लाख रुपये कर देना चाहिये.
उद्योग संगठन फिक्की ने कहा है कि उत्पाद शुल्क दर में वृद्धि, पेट्रोलियम उत्पादों पर सीमा शुल्क बहाल करने जैसे कई प्रस्ताव महंगाई बढ़ाने वाले हैं इनपर फिर से विचार करने की जरूरत है.
फिक्की ने 2010-11 के बजट प्रस्तावों पर वित्त मंत्रालय को दिए गए एक विस्तृत ज्ञापन में कहा है कि बजट में प्रोत्साहन पैकेज वापसी की शुरुआत को कम से कम 31 अक्टूबर तक टाल देना चाहिए ताकि उद्योग व्यवसाय की स्थिति थोड़ा मजबूत हो जाए. फिक्की ने शंका जताई है कि उत्पाद शुल्क दर में दो प्रतिशत वृद्धि से औद्योगिक गतिविधियां प्रभावित होंगी और रिकवरी प्रक्रिया एक बार फिर पटरी से उतर सकती है.
उद्योग संगठन ने कहा है कि व्यक्तिगत आयकर के मामले में ऊपर के स्लैब में तो काफी राहत दी गई है लेकिन 1.60 लाख से लेकर तीन लाख रुपये की सालाना आमदनी के वर्ग में कोई राहत नहीं दी गई. इस आयवर्ग में आने वाले करदाताओं की संख्या एक करोड़ से भी अधिक है. बढ़ती महंगाई के दौर में उन्हें भी राहत मिलनी चाहिये. {mospagebreak}
ज्ञापन में पेट्रोल और डीजल पर एक रुपया प्रति लीटर की दर से लगाये गये केन्द्रीय उत्पाद शुल्क और कच्चे तेल के आयात पर पांच प्रतिशत की दर से सीमा शुल्क को बहाल किये जाने को लेकर भी गहरी चिंता जताई गई है. इसमें कहा गया है कि पेट्रोल, डीजल पर 7.5 फीसदी का आयात शुल्क लगाये जाने से अर्थव्यवस्था पर स्फीतिकारी दबाव बढेगा. वाहन ईंधन और परिवहन लागत बढ़ने से आवश्यक उपभोग की सभी वस्तुओं की लागत भी बढ़ जायेगी.
वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने 2010-11 के बजट में दस प्रतिशत की दर वाले आयकर स्लैब को जो कि पहले 1.60 लाख से लाख रुपये कर दिया जो पहले 1.60 लाख से तीन लाख रुपये तक था. इसी तरह 20 प्रतिशत के स्लैब को तीन लाख से पांच लाख रुपये की जगह पांच लाख से आठ लाख करने का प्रस्ताव किया है. 30 प्रतिशत की उच्चतम दर को पांच लाख की जगह आठ लाख रुपये से उपर की आय लगाने का प्रस्ताव है.
फिक्की के अनुसार इस प्रस्ताव से 1.60 लाख रुपये से लेकर तीन लाख रुपये के बीच की आमदनी वालों को कोई फायदा नहीं हुआ है. इसलिये कर मुक्त आय की सीमा 1.6 लाख से बढ़ा कर दो लाख रुपये की जानी चाहिए. उद्योग संगठन ने पैन के उल्लेख की अनिवार्यता संबंधी प्रावधान को समस्या भरा बताया है. वित्त मंत्री ने आयकर की धारा 206 एए के तहत स्थायी खाता संख्या (पैन) का उल्लेख नहीं किये जाने पर 20 प्रतिशत की दर अथवा जो भी दर लागू होगी इनमें से ऊंची दर पर टीडीएस काटने का प्रस्ताव किया है.
संगठन का सुझाव है कि वरिष्ठ नागरिकों, किसानों, ट्रांसपोर्टर तथा जिनकी आय छूट सीमा से ज्यादा नहीं है अथवा जो निरक्षर हैं उनके लिये पैन के उल्लेख को वैकल्पिक कर दिया जाना. फिक्की ने केन्द्रीय बिक्री कर (सीएसटी) की दर को दो से एक प्रतिशत करने की मांग की है ताकि अगले से साल वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) लागू होने पर इसे सीएसटी पूरी तरह हटाया जा सके.