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मोदी शासन के दौरान सांप्रदायिक हिंसाएं बढ़ी: रिपोर्ट

'सबका साथ सबका विकास' के नारे के साथ जोरदार तरीके से आने वाली बीजेपी सरकार की हर तरफ आलोचना हो रही है.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

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'सबका साथ सबका विकास' के नारे के साथ जोरदार तरीके से आने वाली बीजेपी सरकार की हर तरफ आलोचना हो रही है. ह्यूमन राइट्स ग्रुप एमनेस्टी इंटरनेशनल की साल 2015 की जारी ऐनुअल रिपोर्ट में मोदी सरकार की जमकर आलोचना की गई है. रिपोर्ट में कहा गया कि मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान सांप्रदायिक हिंसाओं में काफी बढ़ोतरी हुई है.

एमनेस्टी इंटरनेशनल ने सरकार की आलोचना करते हुए कहा है कि भारत में नई मोदी सरकार के शासन के दौरान सांप्रदायिक हिंसाएं घटने की बजाए बढ़ी हैं. उनके शासनकाल में उत्तर प्रदेश और कुछ अन्य राज्यों में सांप्रदायिक हिंसा में बढ़ोतरी हुई. साथ ही भ्रष्टाचार, जाति आधारित भेदभाव के अलावा जातिगत भेदभाव जैसी हिंसाएं फैली हैं.

सांप्रदायिक हिंसा का जिक्र करते हुए कहा गया है, 'चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश में सांप्रदायिक घटनाएं हुईं, जिससे हिंदू और मुस्लिम समुदाय के बीच तनाव पैदा हो गया. रिपोर्ट में कहा गया कि मोदी सरकार के दौरान नेताओं की जुबान भी बेलगाम रही है, कुछ नेताओं पर भी भड़काऊ भाषण देकर हिंसा भड़काने की कोशिश के आरोप लगे. रिपोर्ट के मुताबिक 'दिसंबर में हिंदू संगठनों पर कई मुस्लिम और ईसाइयों को जबरन हिंदू धर्म में शामिल करने का भी आरोप लगा था.

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रिपोर्ट में कहा गया है कि, ' पिछले साल मई में हुए आम चुनाव के बाद बीजेपी की अगुआई वाली सरकार सत्ता में आई. सुशासन और विकास का दावा करने वाले पीएम नरेंद्र मोदी ने गरीबी में जी रहे लोगों के लिए वित्तीय सेवा की पहुंच और साफ-स्वच्छता बढ़ाने को लेकर प्रतिबद्धता दिखाई.'

रिपोर्ट के मुताबिक सरकार ने कॉर्पोरेट से जुड़े प्रोजेक्टों से प्रभावित समुदायों के साथ विचार-विमर्श की जरूरतों को कम करने की दिशा में कदम उठाए. साथ ही रिपोर्ट में अधिकारियों के जरिए लगातार लोगों की निजता और अभिव्यक्ति के अधिकार का उल्लंघन किए जाने का भी जिक्र किया गया है. इन सभी के अलावा रिपोर्ट में भूमि अधिग्रहण अध्यादेश को लेकर भी आलोचना की गई है.

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