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तंबाकू पर स्वास्थ्य संबंधी चेतावनी के मामले में भारत पीछे

तंबाकू उत्पादों पर चित्रात्मक चेतावनी को लेकर जारी बहस के बीच एक विश्लेषण में पाया गया है कि कुछ लातिन अमेरिकी देशों में पूरे पैकेट पर जबकि थाईलैंड और सिंगापुर में आधे हिस्से पर इस प्रकार के संदेश छपे होते हैं. जबकि भारत में चेतावनी संदेश के लिए तंबाकू उत्पादों के पैकेट के अधिकतम 40 फीसद हिस्से का ही इस्तेमाल किया जाता है.

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तंबाकू उत्पादों पर चित्रात्मक चेतावनी को लेकर जारी बहस के बीच एक विश्लेषण में पाया गया है कि कुछ लातिन अमेरिकी देशों में पूरे पैकेट पर जबकि थाईलैंड और सिंगापुर में आधे हिस्से पर इस प्रकार के संदेश छपे होते हैं. जबकि भारत में चेतावनी संदेश के लिए तंबाकू उत्पादों के पैकेट के अधिकतम 40 फीसद हिस्से का ही इस्तेमाल किया जाता है.

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जहां वेनेजुएला और पनामा में तंबाकु उत्पादों के पूरे डिब्बे पर चेतावनी भरे संदेश होते हैं वहीं कनाडा, उरूग्वे, हांगकांग, सिंगापुर, थाईलैंड और ईरान में 50 फीसद हिस्से पर इस प्रकार के संदेश होते हैं.

स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़े के अनुसार भारत, बेल्जियम, ब्रिटेन और मेलेशिया जैसे देशों की सूची में है जहां डिब्बे के 40 फीसद या उससे अधिक हिस्से पर चेतावनी संदेश होते हैं.

तम्बाकू सेवान के खतरों का चित्रण करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली ‘छवियों’ या चित्रों की संख्या भी विभिन्न देशों में अलग अलग है. जहां बेल्जियम में ऐसी तस्वीरों की संख्या 42 है वहीं उरूग्वे में 23, ब्राजील में 29 और कनाडा में 16 तस्वीरों का इस्तेमाल किया जाता है. वहीं भारत में तीन प्रकार की तस्वीरें..फेंफड़ा, बिच्छू और कैंसर प्रभावित होठ के चित्र ही तम्बाकू उत्पादों के सेवन के खतरों के प्रति लोगों को आगाह करते है.

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इन चित्रों को बारी-बारी से प्रकाशित किए जाने के मामले में जहां सिंगापुर और ताइवान में 24 महीने में एक चक्र पूरा होता है वहीं आस्ट्रेलिया, बेल्जियम, न्यूजीलैंड और हांगकांग में हर 12 महीने में चक्र पूरा हो जाता है. ब्राजील में पांच महीने में ही सभी प्रकार की तस्वीरों को सामाने का चक्र पूरा कर लिया जाता है. इसके विपरीत भारत में इस खतरे की चेतावनी देने वाले चित्रों को बदल बदल कर प्रकाशित करने की कोई नीति नहीं हैं.

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