भारतीय सेना से जुड़े दो लोगों की जान बचाने के लिए वायु सेना ने हाल ही में एक अद्भुद ऑपरेशन चलाया. उनकी जान बचाने के लिए उन्हें कहीं से रेस्क्यू नहीं किया गया बल्कि किडनी और लिवर उनतक पहुंचाया गया. केवल डेढ़ घंटे के भीतर वायु सेना के विशेष विमान ने मिशन पूरा कर लिया और दोनों की जान बच गई.
आधी रात को पूरा किया गया मिशन
अंग्रेजी अखबार 'द टाइम्स ऑफ इंडिया' में छपी खबर के अनुसार, सेना से रिटायर हो चुके 56 साल के एक सैनिक लिवर कैंसर से जूझ रहे थे. वहीं एक जवान किडनी फेलियर से पीड़ित था. इन दोनों का इलाज दिल्ली के आर्मी
रिसर्च एंड रेफरल हॉस्पिटल में चल रहा था. उधर पुणे के आर्म्ड फोर्सेज मेडिकल कॉलेज एंड कमांड हॉस्पिटल में इलाजरत 45 साल की महिला को ब्रेन डेड घोषित किए जाने के बाद उनके परिजनों ने उनके अंगों को दान करने का
फैसला किया. महिला ने अपना लिवर और दोनों कि़डनी दान कर दिया. इनमें से एक किडनी को डॉक्टरों ने उसी अस्पताल में भर्ती एक मरीज में ट्रांसप्लांट कर दिया. वहीं दूसरी किडनी और लिवर को शनिवार आधीरात वायुसेना के
विमान से दिल्ली पहुंचाया गया.
दिल्ली के आर्मी अस्पताल के लिवर ट्रांसप्लांट युनिट के हेड कर्नल पीपी राव ने कहा, 'आमतौर पर पुणे से दिल्ली का सफर दो घंटे का होता है. लेकिन वायुसेना की मदद से केवल डेढ़ घंटे में ही ऑर्गन यहां पहुंच गए .' उन्होंने कहा, 'जैसे ही अंग यहां पहुंचे हमने सर्जरी शुरू कर दी.' डॉक्टरों ने बताया कि ऑर्गन ट्रांसप्लांट के बाद दोनों मरीजों की सेहत में सुधार है.
ब्रेन डेड शख्स एक से ज्यादा अंग दान कर सकता है
आर्म्ड फोर्सेज ऑर्गन रीट्रिवल एंड अथॉरिटी(AORTA), 2007 के तहत कोई भी ब्रेन डेड घोषित इंसान एक से ज्यादा अंग दान कर सकता है. उसे अपने 30 से ज्यादा ऑर्गन और टिशू डोनेट करने की अनुमति है. वहीं जीवित
व्यक्ति केवल अपनी किडनी, लिवर का एक हिस्सा और पैनक्रिया का कुछ हिस्सा दान कर सकता है, वो भी केवल अपने माता-पिता या बच्चों को.
भारतीय नौ सेना ने रचा है इतिहास
भारतीय नौसेना के डोर्निसर विमान ने 24 जुलाई को एक दिल तिरुवनंतपुरम से कोच्चि पहुंचाया जिससे एक ऑटो ड्राइवर की जान बचाई जा सकी. यह पहला मौका था जब भारतीय सेना का विमान एक आम नागरिक की
मेडिकल इमरजेंसी के लिए एयर एंबुलेंस में तब्दील किया गया.