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देश के युवाओं में 'सरकारी बाबू' बनने की होड़

एक वक्त था जब ज्यादातर युवा सरकारी बाबू बनने की बजाय निजी कंपनियों की चैलैंजिंग जॉब को चुनते थे ताकि वो जमाने के साथ कदम से कदम मिला कर चल सके,लेकिन एक सर्वे के मुताबिक अब युवा सरकारी नौकरी को कहीं ज्यादा तवज्जो दे रहे हैं.

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एक वक्त था जब ज्यादातर युवा सरकारी बाबू बनने की बजाय निजी कंपनियों की चैलैंजिंग जॉब को चुनते थे ताकि वो जमाने के साथ कदम से कदम मिला कर चल सके,लेकिन एक सर्वे के मुताबिक अब युवा सरकारी नौकरी को कहीं ज्यादा तवज्जो दे रहे हैं.

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सर्वे की मानें तो खासतौर से वो युवा जो प्रतिष्ठित बिज़नेस स्कूलों से पढ़कर निकलते हैं और अच्छी नौकरी की तलाश करते हैं तो उनकी सबसे पहली पसंद सरकारी नौकरी होती है.

क्या है एसोचैम का सर्वे
एसोचैम ने ये सर्वे फरवरी 2013 से मार्च 2013 के बीच करवाया है. सर्वे में कुल 2000 युवाओं की राय ली गई, जिसमें से लगभग 88 फीसदी ने सरकारी नौकरी को तरजीह दी. सर्वे में शामिल युवाओं ने सबसे ज़्यादा रुचि OIL & GAS कंपनियों में दिखाई. वहीं, प्राइवेट जॉब को उनकी पसंद में सबसे अंतिम स्थान मिला. गांवों में सरकारी नौकरी चाहने वालों की तादाद पहले से अच्छी खासी है लेकिन अब सर्वे से पता चला कि मेट्रो सिटीज़ में भी यही हाल है. इस सर्वे में दिल्ली-एनसीआर, मुंबई, अहमदाबाद, बैंगलोर, हैदराबाद, चंडीगढ़ जैसे शहर शामिल थे.

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युवाओं में सरकारी नौकरी के लिए बढ़ता रुझान बेवजह नहीं है, बल्कि इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह है सरकारी नौकरी में स्थिरता का होना. विशेषज्ञों के मुताबिक महंगाई और कॉस्ट कटिंग के ज़माने में नौकरी कब चली जाए ये किसी को नही पता और यही वजह है कि एक टिकाऊ सरकारी नौकरी युवाओं के लिए बहुत मायने रखती है.

लेकिन सिर्फ नौकरी का टिकाऊ होना ही काफी नहीं. सर्वे के मुताबिक सरकारी नौकरियों और खासतौर से तेल और गैस कंपनियों में मिलने वाले भत्ते युवाओं को पीएसयू कंपनियों की तरफ आकर्षित कर रहे हैं.

एक समय था जब युवाओं का रुझान कॉरपोरेट हाउसेज की तरफ ज्यादा होने लगा था लेकिन सर्वे में आए नतीजे बताते है कि अब ऐसा नही है. जाहिर है जब टिकाऊ नौकरी के साथ बढ़िया सैलरी हो तो भला कौन सरकारी नौकरी की चाह नही रखेगा.

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