महंगाई से जल्दी राहत पाने की उम्मीद फिलहाल एक सपना बनकर ही रह सकती है. देश की अर्थव्यवस्था की तस्वीर पेश करने वाले आर्थिक सर्वे में कुछ यही आशंका जताई गई है.
सर्वे के मुताबिक देश में खाने-पीने के सामानों की कीमतें पिछले दिनों में तेज़ी से बढ़े हैं और ये सिलसिला आने वाले दिनों में भी बना रह सकता है. सर्वे में कहा गया है कि देश आयात पर ज़रूरत से ज़्यादा निर्भर है, जिसके चलते ज़रूरी चीज़ों के दाम काबू से बाहर होते जा रहे हैं. खासकर दालों और खाने के तेल की मांग आयात के बाद ही पूरी हो सकती है.
ऐसे में ज़रूरी है की समय समय पर कीमतों का निरीक्षण किया जाए जिससे सप्लाई और डिमांड के बीच का जो अंतर है, उस पर काबू किया जा सके. हालांकि सर्वे में देश की तरक्की की रफ्तार को संतोषजनक बताया गया है और आरबीआई की तरह ही यहां भी विकास दर इस साल 7.2 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया है.
सर्वे में कहा गया है कि 2011-12 में देश की विकास दर 9 फीसदी के आंकड़े को पार कर सकती है. वहीं चिंता की वजह बने राजकोषीय़ घाटे का अनुमान साढ़े 6 फीसदी रखा गया है.