छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में नक्सली हमले की चपेट में आने के बावजूद ज़िंदा बच गए जवानों ने छत्तीसगढ़ पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उनका कहना है कि वो 7 घंटे तक नक्सलियो से लड़ते रहे लेकिन मदद के लिए छत्तीसगढ़ पुलिस के जवान नहीं पहुंचे.
इतना ही नहीं, गश्त पर जाते वक़्त पुलिस ने इन्हें जंगल के भीतरी रास्तों का नक्शा भी नहीं सौंपा था. लिहाजा जंगल के तमाम रास्ते इन जवानों के लिए भूल-भुलैया साबित हुए और सीआरपीएफ का एक पूरा दस्ता नक्सलियों के हत्थे चढ़ गया. 80 में से 76 जवानों को नक्सलियों ने मौत के घाट उतार दिया. बाक़ी बचे 4 को वो मरा समझकर चले गए. ये जवान फिलहाल रायपुर के रामकृष्ण अस्पताल में भर्ती हैं. इनमें से 2 की हालत बेहद गंभीर है.
इस बीच नक्सली हमले में मारे गए जवानों के शव बुधवार को दिल्ली लाए जाएंगे. छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में मंगलवार को नक्सली हमले में शहीद 76 जवानों को श्रद्धांजलि दी गई. श्रद्धांजलि सभा ज़िला मुख्यालय जगदलपुर में हो रही है. यहां केंद्रीय गृहमंत्री पी चिदंबरम भी पहुंच चुके हैं. श्रद्धांजलि सभा में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह, गृहमंत्री ननकी राम कंवर और सीआरपीएफ के स्पेशल डीजी विजय रमन भी मौजूद थे.
छत्तीसगढ़ के गृह मंत्री ननकी राम कंवर ने नक्सलियों के खिलाफ सेना के इस्तेमाल की मांग की है. कंवर ने चेतावनी दी है कि अगर नक्सल प्रभावित इलाक़ों में जल्द सेना की तैनाती नहीं हुई तो लोकतंत्र ख़तरे में पड़ जाएगा.
छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में हमले के बाद पूरे झारखंड में एलर्ट जारी कर दिया गया है. नक्सली गतिविधियों से झारखंड बुरी तरह प्रभावित है. इसीलिए दंतेवाड़ा हमले के बाद झारखंड की सीमा सील कर दी गई है और नक्सलियों के खिलाफ चल रहा ऑपरेशन ग्रीन हंट तेज कर दिया गया है. नक्सलियों ने झारखंड, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार होते हुए नेपाल तक रेड कॉरिडोर बना रखा है. यही वजह है कि हमले के बाद सरकार और सतर्क हो गई है.