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मासूम बच्‍चों ने खोले मां के कत्‍ल के राज

फ्लैट नंबर 88 के बेडबॉक्स में एक औरत की लाश. लाश के साथ कमरे में मौजूद दो लोग. एक आदमी और एक औरत अब सवाल ये कि ये दो जिंदा लोग एक मुर्दा के साथ एक ही छत के नीचे क्या कर रहे हैं या क्यों रह रहे हैं? तो यही है तो फ्लैट नंबर 88 की सबसे बड़ी मिस्ट्री जो आज आपके सामने खुलने जा रही है.

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फ्लैट नंबर 88 के बेडबॉक्स में एक औरत की लाश. लाश के साथ कमरे में मौजूद दो लोग. एक आदमी और एक औरत अब सवाल ये कि ये दो जिंदा लोग एक मुर्दा के साथ एक ही छत के नीचे क्या कर रहे हैं या क्यों रह रहे हैं? तो यही है तो फ्लैट नंबर 88 की सबसे बड़ी मिस्ट्री जो आज आपके सामने खुलने जा रही है.

एक मोबाइल फोन से दिल्ली पुलिस कंट्रोल रूम में एक कॉल आती है. कॉल करने वाले ने पुलिस को बताया कि सफदरजंग एन्क्लेव में हुमांयूपुर के मकान नंबर 88 में कुछ गड़बड़ है. इस मकान से तेज़ बदबू आ रही है. सूचना मिलते ही पीसीआर वैन मौके पर पहुंच गई.

मकान नंबर 88 का का दरवाज़ा अंदर से बंद था. पुलिस ने कई बार दरवाज़ा खटखटाया तो आखिरकार एक शख्स ने धीरे से दरवाज़ा खोल कर झांका लेकिन वो किसी भी हाल में दरवाज़ा खोलने को तैयार नहीं था.

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पुलिस ने किसी तरह धक्का देकर दरवाज़ा खुलवाया. कमरे के अंदर मौजूद पुरूष और एक बूढ़ी महिला पुलिस की मौजूदगी से सन्न रह गये.

इस कमरे में कई जगह खून के धब्बे साफ नज़र आ रहे थे. खून देखकर पुलिस को अंदाजा हो गया कि हो ना होइस कमरे में कोई राज़ जरुर दफ्न है. ये मकान सुरेंदर सिंह नाम के इस शख्स का है और ये महिला सुरेंदर की मां है. पुलिस की लाख कोशिशों के बाद भी ये दोनों अपनी जुबान खोलने को तैयार नहीं हैं ये दोनों ही कमरे में बिखरे खून का सच छुपाना चाह रहे हैं.

घबराये हुए दोनों लोग पुलिस को कुछ बताने को तैयार नहीं थे कि तभी पुलिस को खून के कुछ धब्बे कमरे में रखे दीवान पर गई. ज्यों ही पुलिस ने दीवान खोला उनका सामना हुआ एक महिला की लाश से बुरी तरह खराब हो चुकी थी. ये लाश पूरी तरह खून से सनी हुई थी. उसके जिस्म पर कई चोट के निशान ये बता रहे थे कि महिला का कत्ल किया गया है.

घर के दीवान में पड़ी ये लाश आखिर किसकी है? और इस लाश से इन दोनों का क्या रिश्ता है? आखिर कौन थी वो महिला, उसे किसने और क्यों मारा. आखिर क्यों उसे दीवान में इस तरह छुपाया गया था. क्या है दीवान वाली लाश की पहेली?

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लाख कोशिश के बाद भी कमरे में मौजूद सुरेंद्र और लखपति देवी पुलिस के सामने क़त्ल का राज़ नहीं उगल रहे. तभी पुलिस ने घर का दूसरा कमरा खोल दिया और इस दूसरे कमरे में मिलते हैं तीन बच्चे. कौन हैं ये बच्चे और बक्से वाली लाश से इनका क्या रिश्ता है?

सफ़दरजंग एन्कलेव के हुमायूंपुर गांव में मकान नंबर 88 में बेडबॉक्स में मिली महिला की लाश के सिलसिले में पुलिस सुरेंदर और लखपति देवी से पूछ-ताछ कर रही थी. पूछ्ताछ में पुलिस को ये तो पता चल गया कि जिस महिला की लाश मिली है उसका नाम उर्मिला है लेकिन दोनों पुलिस को ये नहीं बता रहे थे कि आखिर किसने और क्यों उसे मारा है.

पुलिस को बेडबॉक्स से लाश मिली. कमरे में मौजूद उर्मिला का पति सुरेंद्र और उसकी मां लखपति देवी पुलिस को कुछ नहीं बता रहे थे कि तभी पुलिस ने घर का दूसरा कमरा खोला जिसमें बंद थे उर्मिला के डरे-सहमे तीन बच्चे. पुलिस ने कमरे में बंद तीनों बच्चों को बाहर निकाला. बच्चों ने अपना नाम निवेदिता, सूर्यप्रताप और सिद्धार्थ बताया. डरे-सहमे बच्चों ने को जो कहानी बताई उसने पुलिस के भी होश उड़ा दिये. बच्चों ने बताया कि बेडबॉक्स में जो लाश है वो उनकी मां उर्मिला की है और कातिल कोई और नहीं बल्कि उनका पिता सुरेंदर, दादी लखपति देवी और ताऊ नरेंदर सिंह है.

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सुरेंदर और लखपति देवी जो अब तक पुलिस को कत्ल के बारे में कुछ नहीं बता रहे थे वो पुलिस को दिये बच्चों के बयान से टूट गये. धीरे-धीरे क़त्ल की पूरी कहानी पुलिस के सामने खुल चुकी थी.

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