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मौत के बाद आखिर क्यों जारी हुई इन 22 महिलाओं की तस्वीर? जुड़ी है दर्दनाक कहानी

इन महिलाओं की तस्वीर के साथ ही कुछ अन्य जानकारी भी शेयर की गई हैं. जैसे इनके कपड़ों का रंग, इनके द्वारा पहनी गई ज्वेलरी और शरीर पर पाए गए टैटू. लिस्ट बनाने का काम तीन देशों ने किया है.

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इंटरपोल ने जारी कीं 22 महिलाओं की डिटेल्स (तस्वीर- इंटरपोल)
इंटरपोल ने जारी कीं 22 महिलाओं की डिटेल्स (तस्वीर- इंटरपोल)

क्या आप इन महिलाओं को जानते हैं? इस वक्त इनकी तस्वीर दुनिया भर में वायरल हो रही हैं. इंटरपोल ने इनकी डिटेल्स जारी की हैं, उसका कहना है कि वो बस इनकी पहचान करना चाहता है. सभी महिलाओं के साथ एक दर्दनाक कहानी जुड़ी है. इंटरपोल ने इन सबकी तस्वीर भी शेयर की हैं. लिस्ट बनाने का काम नीदरलैंड, बेल्जियम और जर्मनी ने किया. ये वो 22 महिलाएं हैं, जिनकी साल 1976 से 2019 के बीच हत्या कर दी गई थी. इनके नाम अब भी रहस्य बने हुए हैं.

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तीन देशों ने तैयार की लिस्ट

डिटेक्टिव्स ने इंटरपोल से इनकी डिटेल्स शेयर करने के लिए कहा था. बेल्जियम की पुलिस ने 7, जर्मनी ने 6 और नीदरलैंड ने 9 महिलाओं की जानकारी दी. इन डिटेल्स में महिलाओं की तस्वीर के साथ, उनके कपड़े, ज्वेलरी और टैटू की तस्वीरें शामिल हैं. कुछ महिलाओं की उनके केस से जुड़ी जानकारी और फेशियल रिकंस्ट्रक्शन की तस्वीर भी दी गई है. 

साल 1990, क्रिसमस का दिन था. सड़क पर पैदल चल रहे यात्रियों को एक युवा महिला का शव दिखा. जो नीदरलैंड के एक पार्क में कंबल में लिपटा हुआ था. जगह बेल्जियम के बॉर्डर से ज्यादा दूर नहीं है. जांच करने पर पता चला कि उसके जीवन के आखिरी दिन बेहद भयानक थे. उसे शरीरिक यात्नाएं दी गईं. उसकी मौत भूख के कारण हुई थी. उसने लाल रंग का टॉप और बारगंडी रंग की पैंट पहनी थी. उसकी उम्र मौत के वक्त 15 से 25 साल के बीच थी. मगर उसका नाम क्या था? यही सबसे बड़ा सवाल है. 

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इंटरपोल ने शुरू किया कैंपेन

इंटरनेशनल क्रिमिनल पुलिस ऑर्गेनाइजेशन यानी इंटरपोल अपने एक नए कैंपेन के जरिए इनके नाम जानने की कोशिश कर रहा है. इस कैंपेन का नाम ऑपरेशन आइडेंटिफाए मी (Operation Identify Me) है. बुधवार को कैंपेन शुरू हुआ. जिसके तहत 22 महिलाओं के नाम पता करने की कोशिश हो रही है. ऐसा माना जा रहा है कि इनकी हत्या हुई है. इनके शव बेल्जियम, जर्मनी और नीदरलैंड में मिले हैं. इनकी हत्या के मामले आज तक सुलझ नहीं पाए हैं. कुछ केस चंद वर्ष पुराने हैं, तो कुछ दशकों पुराने. काफी जांच के बावजूद भी ये अनसुलझे रहे.

ये वो 22 मामले हैं, जिन्हें लेकर जांचकर्ता सोचते हैं कि अब पब्लिक ही कुछ मदद कर सकती है. ये बात इंटरपोल के प्रवक्ता ने कही है. महिलाओं की जानकारी इंटरपोल की वेबसाइट पर दी गई है. इंटरपोल की डीएनए यूनिट की कोऑर्डिनेटर सुजैन हिचिन का कहना है कि इस पहल का आइडिया बेल्जियम, जर्मनी और नीदरलैंड के अधिकारियों ने दिया है. 

47 साल पुराना है एक केस

संगठन के 195 सदस्य देश हैं, जो दुनिया भर की पुलिस की साथ काम करने में मदद करता है. इन महिलाओं की मौत हिंसा के कारण हुई थी. इनके हत्यारे आज तक पकड़े नहीं गए हैं. सबसे पुराना केस 47 साल पहले का है, और सबसे ताजा केस 2019 का. जांचकर्ताओं का मानना है कि ऐसा हो सकता है कि कुछ पीड़िताएं दुनिया के दूसरे हिस्सों से यूरोप आई हों.

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हिचिन का कहना है, 'हमें ये याद रखने की जरूरत है कि ये पीड़िताएं... महिलाएं, दो बार की पीड़ित हैं. इनकी हत्या की गई और फिर इनसे इनकी पहचान छीन ली गई.' अब ये केस दुनिया के सामने हैं. अधिक लोगों की इन पर नजर है. लेकिन मामले सुलझने की आशंका अब भी कम ही दिख रही है. ये महिलाएं अब बस अनसुलझे अपराधों की एक लंबी लिस्ट में शामिल हो गई हैं. इनके हत्यारों को शायद लगा होगा कि लापता होने पर इनकी कोई खबर नहीं लेगा. और कुछ ऐसा ही हुआ. 

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