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IPS अधिकारी प्रताप गोपेंद्र का एक वीडियो वायरल हो रहा है. इस वीडियो में उन्होंने अपने संघर्ष की कहानी शेयर की है. UPSC की तैयारी करते हुए किस तरह के उतार-चढ़ाव देखे, इस बारे में 2012 बैच के यूपी कैडर के अफसर ने विस्तार से बताया. उनका कई बार UPPCS में विभिन्न पदों के लिए सेलेक्शन भी हुआ था. उन्होंने माना कि UPSC तो औकात के बाहर लगता था.
IPS प्रताप गोपेंद्र ने कहा कि सेलेक्ट होने से पहले 6 बार मेंस और इंटरव्यू दिया. उन्होंने कहा कि जब वह IPS चुने गए तब भी नौकरी कर रहे थे. IPS प्रताप गोपेंद्र ने कहा कि सफलता का स्वाद लंबे संघर्ष के बाद मिले तो उसका स्वाद और रस बढ़ जाता है.अपनी कहानी बताने से पहले उन्होंने ये चंद लाइनें बोलीं:
मुश्किलें दिल के इरादे आजमाती हैं
स्वप्न के परदे निगाहों से हटाती हैं
हौसला मत हार गिर कर ओ मुसाफिर
ठोकरें ही तो इंसान को चलना सिखाती हैं...
IPS गोपेंद्र ने शुरुआती तैयारी के बारे में कहा- मुझे इलाहाबाद के अल्लापुर में मौजूद रामानंद नगर का वो कमरा याद है. कमरे में प्लास्टर तक नहीं था. कमरे में चूहे, छछूंदर और मेरी तन्हाई थी. इन्हीं चूहों और छछूंदर के साथ रहते हुए मैंने तैयारी शुरू की.
IPS गोपेंद्र ने बताया कि 8वीं तक की पढ़ाई बोरी पर बैठकर की. इंटर पास करने के बाद पिता जी ने पूछा था कि अब क्या करोगे? शुरुआत में करियर को लेकर भी कोई खास अंदाजा नहीं था.
गोपेंद्र ने कहा- मैंने वाराणसी के उदय प्रताप सिंह कॉलेज से बीएससी की. ग्रेजुएट होने के बाद भी करियर को लेकर आइडिया नहीं था. लेकिन, लाख सोचने के बाद मुझे यही समझ आया कि UPSC और UPPSC की तैयारी की जाए. 2005 की शुरुआत में मैं इलाहाबाद आ गया था. तैयारी के लिए जूलॉजी और बॉटनी सब्जेक्ट रखा था.
विषय बदलकर इतिहास कर लिया
IPS गोपेंद्र ने कहा दो साल तक उनका तैयारी वाला संघर्ष जारी रहा. यहां (इलाहाबाद) नॉन साइंस सब्जेक्ट के लिए तो माहौल था. पर, उन्हें अपने सब्जेक्ट (जूलॉजी और बॉटनी) को लेकर कुछ भी पता नहीं चल पाता था. इसके बाद अपने दोस्तों की सलाह पर विषय बदलकर इतिहास कर लिया.
IPS गोपेंद्र ने कहा- इतिहास की कोचिंग के लिए टीचर ने फीस तीन हजार रुपए मांगी, लेकिन निवेदन करने पर 2500 रुपए कर दी. पर, मेरी औकात नहीं थी कि मैं उन्हें एक बार में इतनी फीस दे दूं. फिर मैंने 5 किश्तों में 2500 रुपए दिए.
IPS गोपेंद्र ने बताया कि उन्होंने दूसरा सब्जेक्ट दर्शन शास्त्र लिया. लेकिन, इस सब्जेक्ट को लेकर भी कोई खास अंदाजा नहीं था. इसी दौरान टीचर ने दर्शनशास्त्र पढ़ाते हुए 'कर लो दुनिया मुट्ठी में' पर व्याख्यान दिया. उन्होंने कोचिंग में मौजूद तमाम लोगों से इस पर लेख लिखने के लिए कहा.
बाद में इसी टीचर ने IPS गोपेंद्र का लेख पढ़कर फोन किया. वह उनके लेख से काफी प्रभावित हुए. IPS गोपेंद्र ने कहा- अमूमन वो टीचर फोन नहीं करते थे, लेकिन उन्होंने कहा कि तुम्हारा लेख पढ़कर मैं खुद को रोक नहीं पाया.
इसी टीचर ने उन्हें अहसास करवाया कि वह इस एग्जाम को क्लियर कर सकते हैं. इसके बाद उनका कॉन्फिडेंस बढ़ गया. गोपेंद्र एक ऐसे शख्स से मिले जो लंबे अर्से से तैयारी कर रहा था.
2008 में पहली बार UPSC का प्री एग्जाम दिया और क्रैक किया. मेंस एग्जाम भी क्वालिफाई कर लिया. इंटरव्यू के लिए इसके बाद वह दिल्ली पहुंचे. पर, उनका सेलेक्शन नहीं हुआ. IPS प्रताप गोपेंद्र ने कहा कि उन्होंने तय कर लिया था कि वह घर तभी जाएंगे जब नौकरी मिल जाएगी. शायद उनकी पॉजिटिविटी का ही नतीजा था कि उनका सेलेक्शन हो गया.