इशरत जहां एनकाउंटर मामले में अब सुप्रीम कोर्ट में 11 मार्च को सुनवाई होगी. वकील एम एल शर्मा ने इशरत एनकाउंटर मामले में गुजरात पुलिस के खिलाफ आपराधिक मामला खारिज करने की याचिका दी है. साथ ही याचिका में इस मामले में कानूनी कार्रवाई का सामना कर रहे पुलिसवालों को मुआवजा देने की भी बात कही गई है.
वकील की याचिका पर सुनवाई
इससे पहले मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट इशरत जहां मामले में सुनवाई के लिए राजी हो गया था. वकील एम एल शर्मा ने अदालत से इस केस की जल्द सुनवाई की अपील की थी. लेकिन अदालत ने जल्द अपील की अर्जी ठुकरा दी थी. अदालत ने कहा था कि एक सामान्य केस की तरह ही इसकी सुनवाई होगी.
हेडली के बयान को बनाया सबूत
दरअसल वकील ने अपनी याचिका में 26/11 मामले में गवाह आतंकी डेविड हेडली के बयान को सबूत के तौर पर पेश किया. हेडली ने अपनी गवाही में इशरत को लश्कर से जुड़े होने की बात कही थी. हेडली ने बताया था कि इशरत लश्कर की फिदायीन हमलावर थी.
नरेंद्र मोदी थे निशाने पर
याचिका में मुंबई की एक विशेष अदालत के 11 फरवरी 2016 के फैसले का भी जिक्र किया गया है. जिसमें इशरत समेत जिन 4 लोगों को एनकाउंटर में मार गिराया था वो सभी आतंकी संगठन लश्कर से जुड़े थे. और उनके निशाने पर उस वक्त के गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी थे.
वंजारा समेत कई पुलिसवाले पर कार्रवाई
गौरतलब है कि 15 जून 2004 को तत्कालीन डीआइजी डीजी वंजारा की अगुवाई में अहमदाबाद पुलिस ने इशरत को 3 अन्य आतंकियों के साथ मार गिराया था. इस मामले में वंजारा समेत कई पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई थी. उनके खिलाफ अब भी मुंबई की एक अदालत में मुकदमा चल रहा है.