चुनावी मौसम में कुछ आईटी कंपनियां पैसे लेकर सोशल मीडिया पर नेताओं की इमेज चमकाने और खराब करने के काम में लगी हैं. यह खुलासा हुआ है खोजी वेबसाइट 'कोबरा पोस्ट' के स्टिंग ऑपरेशन से.
वेबसाइट ने दावा किया है कि कंपनियों ने जिन नेताओं की इमेज चमकाने का ठेका लिया है, उनमें बीजेपी के पीएम उम्मीदवार नरेंद्र मोदी भी शामिल हैं.
कोबरा पोस्ट ही वह वेबसाइट है जिसने 'गुलेल डॉट कॉम' के साथ मिलकर अमित शाह और नरेंद्र मोदी के गले की फांस बन चुके कथित महिला जासूसी मामले का खुलासा किया था. ताजा लासा मोदी की मुश्किलें और बढ़ा सकता है.
क्या वाकई भरी गई है मोदी नाम के गुब्बारे में हवा?
खुलासे के मुताबिक, आईटी कंपनियों के बाशिंदों ने कैमरे पर यह माना है कि बीजेपी और उसके पीएम उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के पक्ष में सोशल मीडिया कैंपेन चलाए जा रहे हैं. अगर यह दावा सही है तो इससे मोदी की लहर वाले बीजेपी के दावे की हवा निकल सकती है. यानी मोदी की जैसी 'लार्जर दैन लाइफ' जैसी छवि सोशल मीडिया पर नजर आती है, वह कृत्रिम हो सकती है.
पैसे लेकर फैन फॉलोइंग बढ़ाने में लगी हैं कंपनियां
लंबे समय तक चले अंडर कवर ऑपरेशन 'ब्लू वायरस' में कोबरापोस्ट ने खुलासा किया है कि किस तरह से करीब दो दर्जन आईटी कंपनियां देश भर में सोशल मीडिया (फेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब) की मदद से कुछ नेताओं की पॉपुलैरिटी फर्जी तरीके से बढ़ा रही हैं और उनके विरोधी खेमे को बदनाम करने के अभियान में लगी हैं.
धमाके और दंगे भी करवा सकती हैं ये कंपनियां
ये कंपनियां पैसे लेकर अपने ग्राहकों के लिए फेसबुक और ट्विटर पर फर्जी तरीके से फैन फॉलोइंग बढ़ाने और विरोधियों को बदनाम करने का काम करती हैं. इन कंपनियों के प्रतिनिधि कैमरे पर यह मानते कैद हुए हैं कि उनके लिए किसी शख्सियत की ऑनलाइन प्रतिष्ठा बढ़ाना या उसकी इज्जत उतारना बस एक क्लिक करने भर का काम है. यहां तक कि वोट की राजनीति के लिए ये कंपनियां छोटे बम धमाके और दंगे भी करवा सकती हैं. इनके ग्राहकों में नेता, राजनीतिक पार्टियां, कारोबारी घराने, एनजीओ और घोटालों में फंसे नौकरशाह भी शामिल हैं.
गहलोत पर भी लगा था फर्जी लाइक खरीदने का आरोप
इस फर्जीवाड़े में जुटी आईटी कंपनियां 50,000 से लेकर 3 करोड़ रुपये में किसी की इमेज चमका सकते हैं और किसी की खराब कर सकते हैं. सोशल मीडिया पर फर्जी लाइक्स और फेक प्रोफाइल के जरिए प्रचार की खबरें पहले भी आती रही हैं. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर भी अपने फेसबुक पेज के लिए लाइक खरीदने का आरोप लग चुका है. नरेंद्र मोदी के विरोधी भी आरोप लगाते रहे हैं कि सोशल मीडिया पर उनकी छवि चमकाने का काम युद्ध स्तर पर किया जा रहा है.
ऑनलाइन रेपुटेशन मैनेजमेंट में माहिर अभिषेक कुमार सोशल मीडिया पर 'कैंपेन मोदी' के लिए काम कर रहा है. खुलासे के मुताबिक, वह चुनाव से कुछ समय पहले राहुल गांधी पर एक 'अपमानजनक' कंटेंट बनाने वाले हैं, जिसे आगे वायरल किया जाना है. मोदी कैंपेन में लगी कुछ कंपनियां 'नेताजी' के विरोधी की नेगेटिव पब्लिसिटी सिर्फ 92,000 रुपये में करने को राजी हो गईं.
ऐसे हुआ पूरा खुलासा
कोबरापोस्ट के एसोसिएट एडिटर सैयद मसरूर हसन ने खुद को विरोधी पार्टी के एक काल्पनिक नेता का सहयोगी बताकर इन आईटी कंपनियों से संपर्क किया. उन्होंने कहा कि 'नेताजी' विधानसभा चुनाव से पहले सोशल मीडिया पर छवि चमकाना चाहते हैं और अपने विरोधी नेता की इज्जत उतारना चाहते हैं. इस काम के बदले उन्होंने आईटी कंपनी को मुंहमांगे पैसे की पेशकश की. इन कंपनियों ने 'नेताजी' को चुनाव जिताने के लिए कई तरह के काम करने का प्रस्ताव दिया. इसका सार इस तरह था:
-'नेताजी' के फेसबुक पेज, वेबसाइट पर फर्जी प्रोफाइल बनाकर या खरीदकर लाखों की संख्या में लाइक्स बनाने और फर्जी फॉलोवर बनाने का काम किया जाएगा.
-अगर 'नेताजी' के खिलाफ कोई टिप्पणी करता है तो उसे हटा दिया जाएगा.
-विरोधी खेमे के नेता की योजना के तहत इज्जत उतारेंगे. ऐसी टिप्पणियों को दूसरे देशों जैसे अमेरिका या कोरिया से पोस्ट करेंगे ताकि पता न चल पाए कि यह काम कहां से किया जा रहा है.
-इस तरह के प्रचार के लिए ऐसे कंप्यूटरों का इस्तेमाल किया जाएगा जिन्हें जोड़कर बनाया गया हो और काम खत्म होने के बाद उन्हें नष्ट कर दिया जाएगा.
-इस तरह के काम के लिए प्रॉक्सी कोड का इस्तेमाल किया जाएगा ताकि उनकी लोकेशन बदलती रहे और लगे कि अलग-अलग जगहों से कमेंट आ रहे हैं.
-नेताजी और उनकी पार्टी के बारे में मुसलमानों के विचारों को बदलने के लिए वे मुसलमानों की फर्जी प्रोफाइल बनाएंगे.
-वे नेता जी के प्रचार के लिए वीडियो बनाएंगे और उसे यूट्यूब पर अपलोड कर वायरल करेंगे.
-मतदान केंद्र पर पकड़ बनाने के लिए वे नेताजी को मतदाताओं के व्यवसाय, रिहाइश, उम्र, आमदनी, जाति और धर्म के हिसाब से आंकड़े देंगे.
-वे बाहरी देशों के आईपी एड्रेस का इस्तेमाल करेंगे ताकि सोशल मीडिया पर प्रकाशित सामग्री का स्रोत न पता लग पाए.
-दूसरे लोगों के कंप्यूटर को हैक कर उसके आईपी का इस्तेमाल इस तरह के गलत प्रचार के लिए करेंगे.
-ट्राई के नियमों से बचने के लिए वे इंटरनेट पर एकमुश्त सैकड़ो-हजारों की संख्या में एसएमएस भेजेंगे. इसके लिए शॉर्ट कोड का इस्तेमाल करेगें ताकि भेजने वाले की पहचान पता न लग पाए.
-अपने काम का भुगतान वे सिर्फ कैश में लेंगे ताकि यह पता लगाना मुश्किल हो जाए कि उन्होंने नेताजी के कहने पर यह सब काला कारनामा किया था.