जाने-माने कवि आचार्य जानकी बल्लभ शास्त्री ने इस उम्र में उन्हें 'पद्मश्री' पुरस्कार दिए जाने को अपमानजनक बताया है.
उल्लेखनीय है कि शिक्षा, कला एवं चिकित्सा के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान देने के लिए बिहार की 3 विभूतियों- आचार्य जानकी बल्लभ शास्त्री, डॉ. आर. एन. सिंह एवं हरि उप्पल को इस वर्ष 'पद्मश्री' पुरस्कार से सम्मनित किया गया है.
95 वर्षीय शास्त्री ने कहा कि उनकी हमेशा बहुत उपेक्षा की जाती रही और इस पुरस्कार से उनके बाद की पीढी के कई लोगों को पहले ही सम्मनित किया जा चुका है. ऐसे में इस उम्र में उन्हें यह पुरस्कार दिए जाने का कोई मतलब नहीं. शास्त्री की एक परिचित एवं कवयित्री रश्मि रेखा ने बताया कि इस पुरस्कार के लिए कल शास्त्री जी के नाम की घोषणा होने पर वे एवं उनकी पत्नी छाया देवी काफी आक्रोशित थे और वे इसे स्वीकार करना नहीं चाहते थे.
मुजफ्फरपुर के निराला निकेतन में रह रहे शास्त्री ने बडी संख्या में गाय सहित अन्य पशुओं को पाल रखा है और वे उनकी सेवा में लगे रहते हैं तथा उन पशुओं को खिलाने-पिलाने पर उन्हें काफी राशि खर्च करनी पडती है. शास्त्री जी ने कहा कि इस पुरस्कार के मिलने से वे उत्साहित नहीं है और इससे जो राशि मिलेगी उसे वे इन पशुओं की सेवा के लिए स्वीकार कर लेंगे.
शास्त्री इससे पूर्व वर्ष 1987 में राजेंद्र शिखर सम्मान, वर्ष 2001 में उत्तर प्रदेश के भारत-भारती सम्मान, शिवपूजन सम्मान से सम्मानित किए जा चुके हैं.